लगभग 0.5 प्रतिशत या 300 हत्याएं पानी से संबंधित
संयुक्त राष्ट्र कार्यालय ऑन ड्रग्स एंड क्राइम (यूएनओडीसी) की एक रिपोर्ट आई है। इसमें कहा गया है कि भारत में हत्याओं का कारण प्राकृतिक संसाधन या संपत्ति विवाद है। ये आंकड़े 2019-21 के हैं। बताया गया है कि पानी को लेकर विवाद, जनसंख्या वृद्धि, आर्थिक विस्तार और जलवायु परिवर्तन के कारण स्थिति खराब होने के कारण हिंसा में वृद्धि हुई।
यूएनओडीसी के अनुसार, लगभग 16.8 प्रतिशत हत्या का यह आंकड़ा बताता है कि उक्त अवधि में देश में होने वाली हर छठी ऐसी हत्या को उपरोक्त कारणों से जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।
यूएनओडीसी की ग्लोबल स्टडी ऑन होमिसाइड रिपोर्ट 2023 में आगे बताया गया है कि 2019-21 में भारत में दर्ज की गई लगभग 0.5 प्रतिशत या 300 हत्याएं पानी से संबंधित संघर्षों के कारण थीं। इसे इसी माह रिलीज किया गया था। रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि जनसंख्या वृद्धि, आर्थिक विस्तार और जलवायु परिवर्तन के कारण स्थिति खराब होने के कारण हिंसा में वृद्धि हुई है।
सबसे अधिक हत्याएं 2021 में
रिपोर्ट में कहा गया है कि प्राकृतिक संसाधनों की कमी का असर पहले से ही अंतरराष्ट्रीय हत्याओं पर पड़ रहा है।
ऐसी हत्याओं के पीछे (पारस्परिक श्रेणी में) अन्य कारणों में ऑनर किलिंग, प्रेम संबंध, अवैध संबंध, व्यक्तिगत प्रतिशोध या दुश्मनी, दहेज, जादू टोना, मनोरोगी या सीरियल किलर, पागलपन, रोड रेज और बलात्कार से संबंधित हत्याएं शामिल हैं।
“बीते दो दशकों में हत्याओं की वैश्विक गिनती में लगातार स्थिरता के बावजूद, इस अवधि में सालाना ऐसे मामलों की संख्या लगभग 0.4 से 0.45 मिलियन पीड़ितों के बीच पाई गई है। वर्ष 2021 असाधारण रूप से घातक रहा।”
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा 2020 में जारी एक रिपोर्ट में कहा गया था कि 2017-19 में पानी से संबंधित संघर्षों में कम से कम 232 भारतीयों ने अपनी जान गंवाई। इसमें कहा गया था कि भारत में पानी से संबंधित अपराध 2017 की तुलना में 2018 में दोगुने हो गए हैं।