सीबीएसई से स्पष्टीकरण मांगा, कहा-सिख विरोधी गतिविधि स्वीकार नहीं
अमृतसर। केंद्र सरकार द्वारा घोषित ‘वीर बाल दिवस’ पर कई स्कूलों में बच्चों ने साहिबजादों जैसी वेशभूषा पहन कर उनके चरित्र की नाटकीय प्रस्तुति दी। इसका शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) ने संज्ञान लिया है।
एसजीपीसी ने इसे सिख सिद्धांतों और परंपराओं के खिलाफ बताया। शिक्षा, संस्कृति और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय और केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) से स्पष्टीकरण भी मांगा है। एसजीपीसी अध्यक्ष एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी ने कहा कि ऐसे किसी भी सिख विरोधी गतिविधि को स्वीकार नहीं किया जा सकता।
धामी ने कहा कि सिख सिद्धांतों, रीति-रिवाजों, परंपराओं और मूल्यों के खिलाफ कोई भी गतिविधि सिख मानसिकता को चोट पहुंचाती है और हाल ही में केंद्र सरकार के निर्देश के तहत विभिन्न राज्यों में शैक्षणिक संस्थानों में ‘वीर बाल दिवस’ पर आयोजित कार्यक्रमों को लेकर बड़ी आपत्तियां आ रही हैं।
सिख संगत ने साहिबजादों की भूमिका निभाने के संबंध में शिकायतें दी हैं। उन्होंने कहा कि सिख सिद्धांतों को बिगाड़ने वाले इन कार्यक्रमों पर संज्ञान लेते हुए शिरोमणि कमेटी ने विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों और सीबीएसई से अपना रुख रखने को कहा है।
‘वीर बाल दिवस’ का नाम बदला जाए
धामी ने कहा कि श्री अकाल तख्त साहिब के आदेशानुसार ‘वीर बाल दिवस’ का नाम बदलने के विषय में पहले ही पत्र लिखा जा चुका है लेकिन केंद्र सरकार ने आज तक इसे गंभीरता से नहीं लिया है।
इस संबंध में एसजीपीसी और सिख संगत की चिंता सिख परंपराओं के खिलाफ जाने का नतीजा है और अब बच्चों से साहिबजादों की भूमिका निभाने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि इस सिख विरोधी घटना की जिम्मेदारी सीधे तौर पर केंद्र सरकार और संबंधित राज्य सरकारों की हैं।
ऐसे कार्यों को सिख जगत कभी स्वीकार नहीं कर सकता और साहिबजादों के चरित्र को चित्रित करने वाले शिक्षण संस्थानों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।