AAP govt : पेट्रोल और डीजल पर वैट में बढ़ोतरी, जमीन के कलेक्टर दरों में वृद्धि की आलोचना
चंडीगढ़, 18 अक्टूबर
विपक्ष के नेता (एलओपी) प्रताप सिंह बाजवा ने AAP govt / आम आदमी पार्टी (आप) के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार पर तीखा हमला करते हुए आरोप लगाया कि वह पंजाब के लोगों पर अत्यधिक और अन्यायपूर्ण कर व्यवस्था का बोझ डालने की साजिश कर रही है। बाजवा ने पहले से ही संकटग्रस्त आबादी पर और अधिक वित्तीय संकट थोपने की सरकार की स्पष्ट मंशा की आलोचना की।
बाजवा ने हाल ही में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के पूर्व वरिष्ठ अर्थशास्त्री और सेवानिवृत्त आईआरएस अधिकारी अरबिंद मोदी की पंजाब वित्त विभाग के मुख्य सलाहकार के रूप में नियुक्ति पर प्रकाश डाला। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इस नियुक्ति का उद्देश्य पंजाब की अर्थव्यवस्था को मौजूदा वित्तीय संकट से उबारना था, लेकिन इसका इस्तेमाल जनता पर और अधिक बोझ डालने के लिए किया जा रहा है।
बाजवा ने कहा, “आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल के पसंदीदा टेक्नोक्रेट अरविंद मोदी ने अपने शुरुआती विचार-विमर्श में पंजाब के लोगों पर कर का बोझ बढ़ाने की जोरदार सिफारिश की, जो पहले से ही करों के भारी बोझ से जूझ रहे हैं।” एक विस्तृत बयान में, बाजवा ने भगवंत मान के नेतृत्व वाली सरकार की पेट्रोल और डीजल पर मूल्य वर्धित कर (वैट) में हाल ही में की गई बढ़ोतरी और जमीन के लिए कलेक्टर दरों में वृद्धि की आलोचना की।
उन्होंने कहा, “घरेलू और वाणिज्यिक दोनों उपभोक्ताओं के लिए बिजली दरों में पहले से ही काफी बढ़ोतरी देखी गई है। किसी को आश्चर्य होता है कि क्या कोई ऐसा रास्ता बचा है, जहां इस प्रशासन ने आम आदमी का शोषण न किया हो। इस सरकार की राजकोषीय नीतियों ने पंजाबियों की जेबें खाली करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।
बाजवा ने पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा से “क्रूर कर व्यवस्था” को समाप्त करने का आह्वान किया और पंजाब के लोगों को तत्काल राहत देने की मांग की। बाजवा ने कहा, “अब समय आ गया है कि सरकार सार्वजनिक खजाने को निचोड़ने का अंतहीन स्रोत मानना बंद करे और इसके बजाय लोगों को कुछ राहत दे।
विपक्षी नेता ने बताया कि अरबिंद मोदी ने हाल ही में पंजाब में लगभग 25,000 पेंशनभोगियों की वैधता पर संदेह जताया था। बाजवा ने चेतावनी देते हुए कहा, “क्या आप सरकार यह सुझाव दे रही है कि ये 25,000 पेंशनभोगी धोखेबाज हैं? ऐसा लगता है कि पेंशनभोगी इस प्रशासन की क्रूर राजकोषीय नीतियों के अगले शिकार होंगे।”
बाजवा ने आढ़तियों (कमीशन एजेंटों) को जीएसटी के दायरे में लाने की आप सरकार की कथित योजना की भी आलोचना की और चिंता व्यक्त की कि राज्य के राजकोषीय स्वास्थ्य में सुधार के बहाने सरकार समाज के विभिन्न क्षेत्रों का शोषण करने की तैयारी कर रही है। बाजवा ने निष्कर्ष निकाला, “यह राजकोषीय सुधार नहीं है – यह दिनदहाड़े लूट है।”