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Reading: ASSOCHAM : भारत में हर चौथी दवा नकली, इसलिए मर रहे मरीज
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ASSOCHAM
National

ASSOCHAM : भारत में हर चौथी दवा नकली, इसलिए मर रहे मरीज

The Telescope Times
Last updated: January 18, 2025 2:05 pm
The Telescope Times Published January 18, 2025
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ASSOCHAM : दवाओं में सक्रिय साल्ट या तो मौजूद नहीं या बेहद कम मात्रा में

ASSOCHAM: नकली दवा का वार्षिक कारोबार 352 करोड़ रुपये

ASSOCHAM : तेलंगाना में पकड़ीं गई दवाई में मिला चॉक, कैसे ठीक होंगे आप

नई दिल्ली। भारत में हर चौथी दवा नकली या घटिया है। इन दवाओं में सक्रिय साल्ट या तो मौजूद नहीं होता या बेहद कम मात्रा में होता है, जिससे मरीज की बीमारी ठीक होने के बजाय बिगड़ने लगती है। नकली दवाओं का यह कारोबार मरीजों की जान को जोखिम में डाल रहा है और इसका वार्षिक कारोबार 352 करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है। ये खुलासा एसोचैम की रिपोर्ट में हुआ है।

Contents
ASSOCHAM : दवाओं में सक्रिय साल्ट या तो मौजूद नहीं या बेहद कम मात्रा मेंASSOCHAM: नकली दवा का वार्षिक कारोबार 352 करोड़ रुपयेASSOCHAM : तेलंगाना में पकड़ीं गई दवाई में मिला चॉक, कैसे ठीक होंगे आपकीमोथेरेपी के नकली इंजेक्शन का गैंग गिरफ्तारनकली दवाओं का वैश्विक कारोबार करीब 16,60,000 करोड़ काउत्तराखंड और यूपी में नकली दवाओं की फैक्ट्रियां बंद

कीमोथेरेपी के नकली इंजेक्शन का गैंग गिरफ्तार

लोगों के जान माल की किसी को नहीं पड़ी है। कई स्तर पर चेकिंग की सुविधा है लेकिन जब हमाम में सब नंगे हैं तो क्वालिटी कौन देखेगा। पिछले दिनों एक ऐसा गिरोह पकड़ा गया जो कैंसर के इलाज में इस्तेमाल होने वाले कीमोथेरेपी इंजेक्शन के साथ खिलवाड़ कर रहा था। गिरोह के लोग ब्रैंडेड इंजेक्शन की खाली शीशियों में सस्ती एंटी-फंगल दवा भरकर लाखों रुपये में बेच रहे थे।

कुछ दवाएं, जैसे कफ सिरप और डिप्रेशन पिल्स, नशे के लिए इस्तेमाल की जा रही हैं। रेव पार्टियों में डिप्रेशन की गोलियां और एविल इंजेक्शन का खूब इस्तेमाल हो रहा है।

कई नामी दवा कंपनियां अब अपने उत्पादों पर QR कोड और हेल्पलाइन नंबर अंकित कर रही हैं, ताकि ग्राहक नकली दवाओं की पहचान कर सकें। लोगों को भी जागरूक होना पड़ेगा कि किध तरह नक्कालों से सावधान रहें ।

नकली दवाओं का वैश्विक कारोबार करीब 16,60,000 करोड़ का

ASSOCHAM REPORT IS SAYING ABOUT NEXUS

वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) के अनुसार, नकली दवाओं का वैश्विक कारोबार करीब 16,60,000 करोड़ रुपये का है। इन दवाओं का 67% हिस्सा जीवन के लिए खतरनाक होता है। वहीं, भारतीय बाजार में नकली और घटिया दवाओं का सालाना कारोबार 352 करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है। एसोचैम की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 25% दवाएं नकली या घटिया गुणवत्ता की हैं, जिससे मरीजों की हालत बिगड़ने का खतरा बढ़ जाता है।

पिछले साल तेलंगाना में ड्रग कंट्रोल एडमिनिस्ट्रेशन की छापेमारी के दौरान करोड़ों की नकली दवाएं पकड़ी गईं। इन दवाओं में चाक पाउडर और स्टार्च भरा गया था। अमोक्सिलिन जैसी दवाओं में सक्रिय साल्ट की मात्रा तय मानक से बेहद कम पाई गई। यह खेप उत्तराखंड के काशीपुर और यूपी के गाजियाबाद से कूरियर के जरिए तेलंगाना भेजी गई थी।

उत्तराखंड और यूपी में नकली दवाओं की फैक्ट्रियां बंद

उत्तराखंड में सैंपल जांच में कई दवा कंपनियों के प्रोडक्ट खरे नहीं उतरे, जिसके चलते उनके लाइसेंस रद्द किए गए। 2024 में आगरा के मोहम्मदपुर इलाके में नकली दवाएं बनाने वाली एक फैक्ट्री का भंडाफोड़ किया गया, जहां से 80 करोड़ रुपये की नकली दवाएं जब्त की गईं।

दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने नकली दवाओं के कई सिंडिकेट का खुलासा किया। गाजियाबाद के लोनी में एक गोदाम पकड़ा गया, जहां डॉक्टरों की मिलीभगत से बड़े पैमाने पर नकली दवाएं बनाई जा रही थीं। ये दवाएं भारत समेत अमेरिका, इंग्लैंड और बांग्लादेश को भी सप्लाई की जा रही थीं

विशेषज्ञों का कहना है कि ड्रग कंट्रोल डिपार्टमेंट और पुलिस को मिलकर एक्सपर्ट टीम बनानी चाहिए, जो नकली दवाओं के कारोबार पर सख्त निगरानी रखे। इसके अलावा, सभी सरकारी और निजी अस्पतालों की नियमित जांच की जानी चाहिए। नकली दवाओं का धंधा रोकने के लिए निगरानी तंत्र को और मजबूत बनाने की आवश्यकता है।

https://telescopetimes.com/category/trending-news/national-news

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