Audit Report – इनमें अस्वीकृत सिमुलेटरों का उपयोग और खराब रोस्टरिंग प्रणाली भी जिक्रयोग
नई दिल्ली: हाल ही में एक हादसे के बाद से एयर इंडिया के संचालन को ले कर कई तरह की जांच चल रही थी। इसमें चौंकाने वाली बातें सामने आईं हैं। नागरिक उड्डयन को नियंत्रित करने वाली भारत की सरकारी संस्था, नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) की एक ऑडिट रिपोर्ट में एयर इंडिया के संचालन में 50 से अधिक खामियां पाई गई हैं।
खामियां पिछले महीने गुजरात के अहमदाबाद में उड़ान भरने के तुरंत बाद उसके बोइंग 787 विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद सामने आई हैं, जिसमें उसमें सवार 242 लोगों में से 241 की मौत हो गई थी।
जून में हुई इस दुर्घटना की प्रारंभिक रिपोर्ट में पाया गया कि उड़ान भरने के बाद ईंधन नियंत्रण स्विच लगभग एक साथ ही बंद हो गए थे। रिपोर्ट में कहा गया है कि एक पायलट ने दूसरे से पूछा कि उसने ईंधन क्यों बंद किया और दूसरे ने जवाब दिया कि उसने ऐसा नहीं किया था।
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, डीजीसीए ने जुलाई में 10 डीजीसीए निरीक्षकों और चार लेखा परीक्षकों द्वारा किए गए अपने ऑडिट में एयर इंडिया में 51 सुरक्षा खामियां पाईं। ऑडिट रिपोर्ट में चिह्नित की गई सुरक्षा खामियों में कुछ पायलटों के लिए पर्याप्त प्रशिक्षण का अभाव, अस्वीकृत सिमुलेटरों का उपयोग और खराब रोस्टरिंग प्रणाली शामिल है।
रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, डीजीसीए की 11-पेज की गोपनीय ऑडिट रिपोर्ट में सात ‘स्तर I’ उल्लंघनों को चिह्नित किया गया है जो महत्वपूर्ण हैं और जिन्हें जुलाई तक ठीक किया जाना आवश्यक है। इसमें 44 अन्य ‘गैर-अनुपालन’ (non-compliances) भी पाए गए हैं जिन्हें 23 अगस्त तक ठीक किया जाना आवश्यक है।
समाचार एजेंसी ने अधिकारियों के हवाले से बताया कि उन्होंने कुछ अनिर्दिष्ट बोइंग 787 और 777 पायलटों के लिए ‘बार-बार होने वाला प्रशिक्षण’ में कमियां (recurrent training gaps) पाई, उन्होंने कहा कि उन्होंने अनिवार्य आवधिक मूल्यांकन से पहले अपने मॉनिटरिंग कर्तव्यों को पूरा नहीं किया था।
मॉनिटरिंग कर्तव्य वे अनिवार्य कार्य हैं, जहां पायलट उड़ान नहीं भरते, बल्कि यह देखते हैं कि कॉकपिट में उपकरण किस प्रकार कार्य करते हैं।
डीजीसीए की रिपोर्ट में परिचालन और सुरक्षा जोखिमों की भी ओर इशारा किया गया है और कहा गया है कि एयर इंडिया ने कुछ ‘श्रेणी सी हवाई अड्डों’ के लिए ‘उचित मार्ग मूल्यांकन’ नहीं किया। श्रेणी सी हवाई अड्डे वे होते हैं जिनके पहुंच मार्ग और प्रस्थान अक्सर विशिष्ट भौगोलिक या परिचालन कारकों के कारण चुनौतीपूर्ण या जटिल होते हैं, और ऐसे संचालन के लिए चालक दल को विशेष रूप से प्रशिक्षित करने की आवश्यकता होती है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि एयर इंडिया ने ऐसे हवाई अड्डों के लिए ऐसे सिमुलेटरों के साथ प्रशिक्षण आयोजित किया था जो योग्यता मानकों को पूरा नहीं करते थे।
चार अंतरराष्ट्रीय उड़ानें अपर्याप्त केबिन क्रू के साथ उड़ान भर चुकी
रॉयटर्स की रिपोर्ट में डीजीसीए की ऑडिट रिपोर्ट के हवाले से कहा गया है, ‘यह चुनौतीपूर्ण हवाई अड्डों तक पहुंचने के दौरान सुरक्षा जोखिमों पर विचार न करने का कारण हो सकता है। ’
रॉयटर्स ने आगे बताया कि ऑडिट रिपोर्ट में एयरलाइन की रोस्टरिंग प्रणाली की भी ‘आलोचना’ की गई है, जिसमें बताया गया है कि अगर किसी उड़ान में न्यूनतम संख्या में क्रू सदस्य तैनात नहीं होते हैं, तो यह ‘सख्त अलर्ट’ नहीं देती, इसमें बताया गया है कि कम से कम चार अंतरराष्ट्रीय उड़ानें अपर्याप्त केबिन क्रू के साथ उड़ान भर चुकी हैं।
ऑडिट रिपोर्ट में दरवाज़ों और उपकरणों की जांच में ‘प्रक्रियाओं के साथ असंगतता’ और ‘प्रशिक्षण दस्तावेज़ों में खामियां’ भी पाई गईं. इसमें आगे कहा गया है कि एयरबस A320 और A350 के लिए किसी मुख्य पायलट को नियुक्त नहीं किया गया था।
रॉयटर्स की रिपोर्ट में ऑडिट रिपोर्ट के हवाले से कहा गया है, ‘इससे जवाबदेही की कमी और इन प्रकार के विमानों के उड़ान संचालन की प्रभावी निगरानी में कमी आती है। ’
इस बीच, द ट्रिब्यून की एक रिपोर्ट में दावा किया गया कि डीजीसीए ने अपनी ऑडिट रिपोर्ट में 80 से अधिक उल्लंघनों और टिप्पणियों को चिह्नित किया है, जबकि पीटीआई की एक रिपोर्ट में उल्लंघनों की संख्या ‘लगभग 100’ बताई गई है।
रॉयटर्स को दिए एक बयान में एयर इंडिया ने दावा किया कि ऑडिट के दौरान वह ‘पूरी तरह पारदर्शी’ रही। रिपोर्ट के अनुसार, एयर इंडिया ने यह भी कहा कि वह ‘निर्धारित समय सीमा के भीतर नियामक को अपना जवाब, सुधारात्मक कार्रवाइयों के विवरण के साथ प्रस्तुत करेगी।