22 जनवरी को शुष्क दिवस और शाकाहारी दिवस घोषित करने की मांग
नई दिल्ली। राकांपा (शरद पवार गुट) नेता जितेंद्र अवहाद ने कहा कि भगवान राम शाकाहारी होते हुए 14 साल तक जंगल में कैसे रह सकते थे। महाराष्ट्र के नेता जितेंद्र अवहाद की यह टिप्पणी कि भगवान राम कभी भी शाकाहारी नहीं थे क्योंकि वह शाकाहारी होने के कारण 14 साल तक जंगल में नहीं रह सकते थे, पर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। ये टिपण्णी तब आई है जब कुछ दिन बाद 22 जनवरी को भाजपा ने राम के अभिषेक दिवस की तैयारी कर रखी है।
राम भक्तों ने मांग की, अयोध्या में मंदिर को 22 जनवरी को शुष्क दिवस घोषित किया जाए और उस दिन सभी मांसाहारी भोजन पर प्रतिबंध लगाया जाए।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के विधायक (शरद पवार गुट) जितेंद्र अवहाद ने कहा कि भगवान राम एक बहुजन और मांसाहारी थे और एक शिकारी थे। “हम इतिहास नहीं पढ़ते और राजनीति में सब कुछ भूल जाते हैं। राम हमारे हैं। हम बहुजनों के हैं। जो खाने के लिए शिकार करते थे… राम कभी शाकाहारी नहीं थे। वह मांसाहारी थे। जो आदमी जंगल रहता था वह कैसे मांसाहारी हो सकता है।
बीजेपी विधायक राम कदम ने कहा कि अगर बालासाहेब ठाकरे जीवित होते तो शिवसेना का सामना अखबार ‘राम मांसाहारी’ टिप्पणी की आलोचना करता। राम कदम ने वीरवार को ट्वीट किया, “लेकिन आज की वास्तविकता यह है कि उन्हें (उद्धव सेना) कोई फर्क नहीं पड़ता कि कोई हिंदुओं का मजाक उड़ाता है। वे उदासीन हैं, बर्फ की तरह ठंडे हैं। लेकिन जब चुनाव आएगा, तो वे हिंदुत्व के बारे में बात करेंगे।”
राम कदम ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को पत्र लिखकर 22 जनवरी को शुष्क दिवस और शाकाहारी दिवस घोषित करने की मांग की।
अपनी टिप्पणी से उपजे विवाद पर प्रतिक्रिया देते हुए, जितेंद्र अवहाद ने कहा, यह विवाद क्या है कि भगवान राम ने क्या खाया? कोई दावा करेगा कि भगवान राम मेथी-भाजी खाते थे। उस समय चावल नहीं थे। राम क्षत्रिय थे और क्षत्रिय मांसाहारी हैं। मैंने जो कहा, मैं उस पर पूरी तरह कायम हूं। भारत की 80% आबादी मांसाहारी है, वे भगवान राम के भक्त भी हैं,”।
वनवास के दौरान भगवान राम खाते थे फल: पुजारी
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येन्द्र दास ने बयान की निंदा करते हुए कहा कि शास्त्रों में लिखा है कि भगवान राम वनवास के दौरान फल खाते थे। एनसीपी नेता जितेंद्र अवहाद जो बोल रहे हैं वह पूरी तरह से झूठ है। हमारे धर्मग्रंथों में यह कहीं नहीं लिखा है कि भगवान राम ने अपने वनवास के दौरान मांसाहारी भोजन किया था। यह लिखा है कि वह फल खाते थे।