Fairness Cream: गोरा करने वाली क्रीमों से किडनी हो सकती है खराब : Study
Fairness Cream: फेयरनेस क्रीम के बढ़ते उपयोग से मेम्ब्रेन नेफ्रोपैथी (एमएन) के मामले बढ़ रहे हैं
जालंधर/नई दिल्ली । Fairness Cream: भारत में गोरे रंग के लिए आज भी लोग न जाने क्या-क्या करते हैं। शादी के लिए भी गोरी लड़की ढूंढी जाती है। धूप शरीर के लिए बहुत ज़रूरी है फिर भी लोग धूप में जाने से डरते हैं। इसलिए नित नए विज्ञापन सिर्फ गोरा करने वाली क्रीमों को समर्पित मिल जायेंगे।
भारत की जनसँख्या भी इसमें बड़ा रोल निभाती है। इसलिए त्वचा को गोरा करने वाली क्रीमों का भारत एक बहुत बड़ा बाजार है, इन क्रीमों में पारे की भारी मात्रा होती है जो किडनी को नुकसान पहुंचाने के लिए जिम्मेवार है
एक नए अध्ययन में कहा गया है कि Fairness Cream के इस्तेमाल से भारत में किडनी की समस्याएं बढ़ रही हैं। रोज़ नए मरीज आ रहे हैं जो किडनी की किसी न किसी समस्या से पीड़ित हैं। किडनी की फ़िल्टर की ताक़त कम हो जाती है और व्यक्ति बीमार होता चला जाता है।
मेडिकल जर्नल किडनी इंटरनेशनल में प्रकाशित अध्ययन से पता चला है कि पारे की भारी मात्रा वाली फेयरनेस क्रीम के बढ़ते उपयोग से मेम्ब्रेन नेफ्रोपैथी (एमएन) के मामले बढ़ रहे हैं, यह एक ऐसी स्थिति है जो किडनी के छानने की प्रक्रिया को नुकसान पहुंचाती है और प्रोटीन रिसाव का कारण बनती है।
मेम्ब्रेन नेफ्रोपैथी (एमएन) एक ऑटोइम्यून बीमारी है जिसके कारण नेफ्रोटिक सिंड्रोम होता है। यह एक किडनी विकार है जिसके कारण शरीर मूत्र में बहुत अधिक प्रोटीन उत्सर्जित करता है।
अध्ययन के हवाले से शोधकर्ता ने बताया कि पारा त्वचा के माध्यम से अवशोषित हो जाता है और गुर्दे के छानने की प्रक्रिया पर असर डालता है, जिससे नेफ्रोटिक सिंड्रोम के केसों में वृद्धि होती है।
अध्ययन में शोधकर्ता ने कहा, भारत के अनियमित बाजारों में व्यापक रूप से उपलब्ध ये क्रीम तेजी से सुधार का वादा करती हैं, लेकिन किस कीमत पर? उपयोगकर्ता अक्सर इसे एक परेशान करने वाली लत बताते हैं, क्योंकि इसका उपयोग बंद करने से त्वचा का रंग और भी गहरा हो जाता है।

Fairness Cream: लिपस्टिक क्रोमियम से भरी, जो कैंसरकारी है
अपने अध्ययन के माध्यम से सौंदर्य प्रसाधनों में भारी धातुओं की मौजूदगी का खुलासा, सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) ने साल 2014 में ही कर दिया था। सीएसई के अध्ययन में कहा गया था कि गोरा बनाने वाली क्रीम में पारा है जो अत्यंत विषैला माना जाता है। लिपस्टिक, जिसके बिना हममें से कई लोगों का काम नहीं चल पाता, क्रोमियम से भरी हो सकती है, जो कैंसरकारी है।
अध्ययन करने वाली सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) की प्रदूषण निगरानी लैब (पीएमएल) का कहना था कि सौंदर्य प्रसाधनों में पारे का उपयोग भारत में प्रतिबंधित है। पीएमएल ने जिन फेयरनेस क्रीमों का परीक्षण किया उनमें से 44 प्रतिशत में पारा पाया गया। इसमें लिपस्टिक के 50 प्रतिशत नमूनों में क्रोमियम और 43 प्रतिशत में निकिल पाया गया। लैब ने सीसा और कैडमियम की भी जांच की, लेकिन यह नहीं मिला।
उस दौरान सीएसई की महानिदेशक सुनीता नारायण ने कहा था कि “कॉस्मेटिक उत्पादों में पारा मौजूद नहीं होना चाहिए। इन उत्पादों में उनकी उपस्थिति पूरी तरह से अवैध और गैरकानूनी है।”
इस वर्तमान अध्ययन की बात करें तो, अध्ययन में जुलाई 2021 से सितंबर 2023 के बीच दर्ज किए गए मेम्ब्रेन नेफ्रोपैथी (एमएन) के 22 मामलों की जांच की गई।
Fairness Cream: त्वचा को गोरा करने वाली क्रीम का उपयोग करने की बात स्वीकार
एस्टर एमआईएमएस अस्पताल में भर्ती उन मरीजों में कई तरह के लक्षण पाए गए थे, जिनमें अक्सर थकान होने, हल्की सूजन और मूत्र में झाग बढ़ने के छोटे संकेत पाए गए थे। केवल तीन रोगियों में खतरनाक सूजन थी, लेकिन सभी के मूत्र में प्रोटीन का स्तर बढ़ा हुआ पाया गया था।
एक मरीज में सेरेब्रल वेन थ्रोम्बोसिस विकसित हुआ, मस्तिष्क में रक्त का थक्का जम गया था, लेकिन गुर्दे का कार्य सभी में ठीक पाया गया।
अध्ययन के निष्कर्षों से पता चला कि लगभग 68 प्रतिशत या 22 में से 15 तंत्रिका एपिडर्मल वृद्धि कारक-जैसे 1 प्रोटीन (एनईएल-1) के लिए पॉजिटिव थे – मेम्ब्रेन नेफ्रोपैथी (एमएन) का एक दुर्लभ रूप से अधिक घातक है।
15 मरीजों में से 13 में लक्षण शुरू होने से पहले ही त्वचा को गोरा करने वाली क्रीम का उपयोग करने की बात स्वीकार की। बाकियों में से एक के पास पारंपरिक स्वदेशी दवाओं के उपयोग का इतिहास था जबकि दूसरे के पास कोई पहचानने योग्य चीज नहीं थी।
Fairness Cream: ज्यादातर बीमारी क्रीमों के उपयोग बंद करने पर ठीक
अध्ययन में शोधकर्ताओं ने कहा, ज्यादातर मामले उत्तेजक क्रीमों के उपयोग को बंद करने पर ठीक हो गए थे। यह सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए एक बहुत बड़ा खतरा पैदा करता है और ऐसे उत्पादों के उपयोग के खतरों के बारे में सार्वजनिक जागरूकता फैलाना और इस खतरे को रोकने के लिए स्वास्थ्य अधिकारियों को सचेत करना जरूरी है।
अध्ययन के हवाले से शोधकर्ता ने सोशल मीडिया से आकर्षित करने और अभिनेताओं पर इन क्रीमों को बढ़ावा देने और अरबों रुपये के उद्योग में उनके उपयोग को कायम रखने का भी आरोप लगाया, उन्होंने आगे कहा, इन पर तुरंत रोक लगाई जानी चाहिए ताकि लोगों को खतरे से बचाया जा सके।
Fairness Cream
https://telescopetimes.com/category/health-and-education-news/
https://www.healthshots.com/health-news/fairness-creams-may-lead-to-kidney-problems-says-study/