चंडीगढ़/जालंधर। किसानों ने सरकार तक अपनी बात पहुंचाने के लिए अपनी स्ट्रटेजी बदल ली है। किसान नेताओं ने कहा कि अगर सरकार को उनके ट्रैक्टर-ट्राली से दिक्कत है तो वे इनके बिना ही दिल्ली की ओर बढ़ेंगे।
इस कारण पंजाब-हरियाणा के शंभू-खनौरी बॉर्डर पर किसान आंदोलन की अगुवाई कर रहे संगठनों ने फैसला लिया है कि 6 मार्च को देशभर के किसान दिल्ली कूच करेंगे। इसका ऐलान किसान नेता सरवण सिंह पंधेर ने बठिंडा में शुभकरण सिंह की अंतिम अरदास के दौरान मंच से किया।
इसके अलावा केंद्र सरकार पर दबाव बनाने के लिए 14 मार्च को दिल्ली में ‘किसान महापंचायत’ करेंगे। संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने कहा कि महापंचायत’ में 400 से अधिक किसान संघ भाग लेंगे।
पंधेर ने कहा कि हरियाणा-पंजाब के किसान खनौरी-शंभू बॉर्डर पर ही आंदोलन चलाएंगे, जबकि देश के बाकी हिस्सों से किसान उस दिन दिल्ली पहुंचेंगे।
पंजाब में किसान मजदूर मोर्चा और संयुक्त किसान मोर्चा गैर-राजनीतिक के नेता पंधेर ने कहा, 10 मार्च को दोपहर 12 से 4 बजे तक देशभर में ट्रेनें भी रोकी जाएंगी।
पंधेर ने आह्वान किया कि 6 मार्च को हरियाणा-पंजाब को छोड़कर दूसरे राज्यों के किसान अपने-अपने तरीके से दिल्ली पहुंचे। चाहे वे ट्रेन से आए या फिर पैदल।
सरकार कहती है कि किसान ट्रेन-बस से दिल्ली पहुंच सकते हैं, जबकि दिल्ली जा रहे बिहार-कर्नाटक के किसानों को पुलिस ने ट्रेन से गिरफ्तार कर लिया।
6 मार्च के कूच से साफ हो जाएगा कि सरकार किसानों को बिना ट्रैक्टर ट्रॉली के भी दिल्ली आने देना चाहती है या नहीं।
शुभकरण के पोस्टमॉर्टम में सिर में मिले धातु के टुकड़े
वहीं किसान शुभकरण की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक उसके सिर पर धातु के कुछ टुकड़े मिले हैं।
जिन्हें असली गोलियों से जोड़ा जा रहा है। पंजाब पुलिस ने यह रिपोर्ट हरियाणा पुलिस को भेजी है। पंजाब पुलिस ने शुभकरण के सिर से मिले धातु को जांच के लिए एक्सपर्ट को भेज दिया है। जिसके जरिए पुष्टि की जाएगी कि यह गोली के हैं या किसी दूसरी वस्तु के। कुछ पुलिस अधिकारियों का यह भी कहना है कि रबड़ की गोलियों के पीछे भी धातु लगा होता है। ऐसा भी हो सकता है कि हरियाणा पुलिस ने खनौरी बॉर्डर पर रबड़ की गोलियां चलाई हों और वही शुभकरण के सिर में लगी हो।
टला नहीं है कूच : डल्लेवाल
पंजाब और हरियाणा के सीमाओं पर आंदोलनकारी किसान डटे हुए हैं। इस बीच किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने कहा कि हमारा दिल्ली चलो मार्च टला नहीं है। डल्लेवाल ने कहा, हम किसान हैं, लेकिन फिर भी पुलिस हम पर शेलिंग कर रही है। हमारा दिल्ली जाने का प्रोग्राम अभी टला नहीं है, ऐसे में हम दिल्ली जरूर जाएंगे। मांगें नहीं मानी गई तो पूरे देश से किसानों को अपने इस आंदोलन में आने के लिए कहेंगे।
किसानों की मांगें
फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए कानूनी गारंटी, स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने, किसानों व कृषि मजदूरों के लिए पेंशन, कृषि ऋण माफ करने, पुलिस में दर्ज मामलों को वापस लेने, लखीमपुरी खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए न्याय सहित किसानों की कई मांग हैं।
बता दें कि एसकेएम ने 2020-21 में केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन का नेतृत्व किया था। इसके बाद केंद्र सरकार ने कानूनों को वापस ले लिया था।