किसानों ने बताया- मौसम से गेहूं अप्रभावित, पंजाब में हाल में हुई बारिश ने सोने पर सुहागा का काम किया
नई दिल्ली। 2024 में कोहरे और ठंड के लंबे दौर ने देश में कई जगह आलू, सरसों और मसूर जैसी रबी फसलों को प्रभावित किया है। किसानों और कृषि वैज्ञानिकों को चिंता है कि अगर ऐसा मौसम देर तक चला तो मौसम संबंधी कुछ कारक इन फसलों के उत्पादन को प्रभावित कर सकते हैं। हालांकि पंजाब और बिहार में किसानों ने कहा कि ठंड से गेहूं अप्रभावित है।
कृषि वैज्ञानिकों ने बताया कि ऐसे मौसम से गेहूं को फायदा होता है, जिससे पूर्वी राज्य बिहार में फसल की बंपर पैदावार का अनुमान है।
दूसरी ओर, विभिन्न जिलों में कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) के वैज्ञानिकों ने कई दिनों तक चली शीत लहर और शीत दिवस की स्थिति के कारण रबी फसलों के नुकसान की पुष्टि की है।
डीएवी यूनिवर्सिटी जालंधर में कृषि विभाग के हेड डॉक्टर राहुल ने बताया कि पंजाब में हाल में हुई बारिश ने भी सोने पर सुहागा का काम किया है। समय पर हुई इस बरसात से फसल अच्छी होगी। पंजाब के अंदर मौसम की विषमताएं भी फसल पर प्रभाव डालती हैं। सरसों यहां इस प्रान्त में ठीक हुई है। लोग सरसों जल्दी भी बीज लेते हैं क्योंकि मक्की की रोटी के साथ उसका खाया जाना कल्चर है।
रोहतास के वैज्ञानिक रतन कुमार ने बताया, रोहतास जिले में आलू की फसल पिछले महीने खराब मौसम से सबसे अधिक प्रभावित हुई है। अनुमान है कि आलू की फसल 20 से 25 फीसदी और सरसों की फसल 10 फीसदी से ज्यादा खराब हो गई है। शुक्र है, गेहूं की फसल को ऐसी कोई क्षति नहीं हुई।
कुमार ने जिक्र किया कि पर्याप्त उत्पादन के लिए रबी फसलों की समय पर और जल्दी बुआई के महत्व पर जोर दिया जाता है। उन्होंने विशेष रूप से बदलती जलवायु के साथ देर से बुआई से उपज और उत्पादन पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभावों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, बुवाई में देरी करने वाले किसान लंबे समय तक ठंड और कोहरे के कारण अधिक नुकसान की शिकायत करते हैं।
औरंगाबाद जिले के केवीके के वैज्ञानिक अनुप कुमार चौबे ने बताया कि ठंड और कोहरे से आलू, सरसों और मसूर की फसल को नुकसान हुआ है। देर से बोई गई आलू की फसल को 25 से 40 फीसदी तक नुकसान हुआ है, जबकि जल्दी बोई गई आलू की फसल को 15 फीसदी नुकसान हुआ है। सरसों की फसल को भी 10 से 15 फीसदी तक नुकसान हुआ है।
वैज्ञानिक ने कहा, किसानों के सामने चुनौती यह है कि वे दिसंबर तक धान की कटाई करते हैं और फिर दिसंबर के मध्य या जनवरी की शुरुआत में सरसों और आलू सहित रबी फसलों की बुआई शुरू करते हैं, जिससे उन्हें गंभीर ठंड की स्थिति का सामना करना पड़ता है।
कृषि विभाग ने सभी जिला कृषि अधिकारियों को कड़ाके की ठंड के कारण रबी फसलों को नुकसान और उत्पादन पर इसके संभावित प्रभाव पर रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है। आलू उगाने वाले किसान ठंड के दिनों और रातों सहित कम तापमान के कारण ठंड से पत्तियों के जलने की आम समस्या से जूझ रहे हैं, जिसे स्थानीय रूप से झुलसा रोग के रूप में जाना जाता है।
सबौर स्थित बिहार कृषि विश्वविद्यालय के कृषि मौसम वैज्ञानिक सुनील कुमार ने बताया कि आलू में झुलसा रोग की व्यापक रिपोर्टें सामने आई हैं।