कहा, ये भयानक सपने जैसा, किसी भी बच्चे के साथ ऐसा न हो
न्यूयॉर्क। मैं अपने बेटे फीनिक्स और अब बेटी लंदन की मां के रूप में अपनी सबसे महत्वपूर्ण भूमिका में हूं।
मैं इनको दुनिया की हर ख़ुशी देना चाहती हूं। ऐसा माहौल देती हूं कि इनको सुरक्षित महसूस हो। कभी नहीं चाहूंगी कि वे दोनों या कोई भी बच्चा वो सब झेले जो मैंने पाया है।
जी, ये कहना है सेलिब्रिटी पेरिस हिलटन का। एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि बच्चों के बारे में उन्होंने मीडिया को नहीं बताया। वो चाहती थीं कि उनके बच्चे हर तरह की नेगेटिव एनर्जी से दूर रहें। उन्होंने अपने प्रेगनेंसी पीरियड को एन्जॉय किया।
बुरे दिनों के बारे में पूछने पर कहती हैं कि जब वो 16 साल की थी तब कैलिफ़ोर्निया, इडाहो, मोंटाना और यूटा जैसे शहरों में उन्हें ठीक करने के नाम पर ले जाया गया। उनका शारीरिक, भावनात्मक और यौन दुर्व्यवहार किया गया था। ठीक करने और प्यार करने के नाम पर शोषण होता था। इन सेंटरों के कर्मचारी मारते थे। बिना मतलब दवाई खिलाई जाती थी। सोने नहीं देते थे। बाथरूम में कैमरे लगा रखे थे। कई -कई दिन अकेला रखते थे और बिना बात के चिल्लाते थे।
मेरे पेरेंट्स को लगा कि ऐसे करके वो मुझे किशोरावस्था की सही समझ देंगे। उन्होंने कहा था, ये सख्त रास्ता है पर तुम्हारे भले के लिए ही है।
कुछ यादें बहुत खरब हैं
यूटा के प्रोवो कैन्यन स्कूल में, मुझे आधी रात में कई बार एक कमरे में ले जाया गया। एक मेज पर लिटाया गया, और चुप रहने के लिए कहा गया। मेडिकल परीक्षण करने की आड़ में स्टाफ के सदस्यों ने मेरे साथ दुर्व्यवहार किया।
उन्होंने कहा कि तब मैंने अपनी भावनाओं को दबा कर रखा। क्योंकि छोटी थी। समस्या का हल निकालना नहीं आता था। लेकिन अब 20 साल बाद मैं उस दर्द को उद्देश्य में बदल रही हूं।
कहती हैं, मेरा लक्ष्य है कि जब फीनिक्स और लंदन किशोर हों, तब तक दुनिया भर में ‘उपचार’ के नाम पर किसी भी बच्चे के साथ दुर्व्यवहार न किया जाए।
लेकिन ये आसान नहीं होगा।
अमेरिका में, राज्य बाल कल्याण और किशोर न्याय प्रणालियों, मानसिक स्वास्थ्य प्रदाताओं, शरणार्थी पुनर्वास एजेंसियों, स्कूल जिलों और अभिभावकों द्वारा हर साल देश के सबसे कमजोर 200,000 युवाओं को युवा आवासीय कार्यक्रमों में भेजा जाता है।
इन सुविधाओं में बूट कैंप, जंगल कार्यक्रम, चिकित्सीय बोर्डिंग स्कूल, आवासीय उपचार सुविधाएं और कम्युनिटी घर शामिल हैं।
उनका मानना है कि अब कुछ ऐसे कानून चाहिए जो ऐसा कुछ न होने दें जो उनके साथ हुआ। वो इसपर काम कर रही हैं। जगह -जगह जाकर फैक्ट्स जुटाना और उन्हें डॉक्यूमेंट में बदलना उनकी रूटीन है। वो लोगों से भी सहयोग किए उम्मीद करती हैं क्योंकि जो वो करने जा रही वो आसान नहीं है। इसमें अरबों के फंड आते हैं।