जालंधर / नई दिल्ली। दिसंबर और जनवरी में मौसम सामान्य से अधिक शुष्क रहा है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के अनुसार, इसलिए उत्तर भारत में फरवरी में सामान्य या फिर सामान्य से अधिक बारिश होने की उम्मीद है।
एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए, आईएमडी के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने कहा कि भारत में फरवरी में इस बार सामान्य से अधिक वर्षा हो सकती है। उत्तर पश्चिम भारत में जनवरी में केवल 3.1 मिमी बारिश दर्ज की गई, जो 1901 के बाद से दूसरी सबसे कम बारिश है।
सम्भावना है कि फरवरी में सामान्य से अधिक यानी औसत से 122 प्रतिशत से अधिक वर्षा होने की संभावना है। महापात्र ने कहा, फरवरी के दौरान पूरे देश में मासिक वर्षा सामान्य से अधिक (दीर्घकालिक औसत से 119 प्रतिशत से अधिक) होने की संभावना है। ये भी कहा गया है, फरवरी के दौरान मध्य भारत के कुछ हिस्सों में सामान्य से कम शीत लहर वाले दिन हो सकते हैं।
1971-2020 के आंकड़ों के आधार पर, फरवरी में उत्तर भारत और पूरे देश में वर्षा की लंबी अवधि का औसत (एलपीए) क्रमशः 65 मिमी और 22.7 मिमी है। मौसम कार्यालय ने कहा कि इस बार गर्मी पर भी जनवरी के सूखा जाने का असर पड़ेगा। भारत के अधिकांश हिस्सों और पूर्व-मध्य भारत के कुछ हिस्सों में अधिकतम तापमान सामान्य से नीचे रहने की संभावना है।
उत्तर भारत में 1 जनवरी से 31 मार्च के बीच वार्षिक वर्षा लगभग 18 प्रतिशत हो जाती है। विशेष रूप से जम्मू और कश्मीर और लद्दाख में इस अवधि के दौरान उनकी वार्षिक वर्षा का 31 प्रतिशत बरस जाता है। इन महीनों के दौरान होने वाली बारिश क्षेत्र में रबी फसलों और जल प्रबंधन के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।
पूर्वोत्तर और मध्य भारत में सामान्य से सामान्य से अधिक बारिश का अनुमान है। दक्षिण प्रायद्वीपीय भारत में सामान्य से कम वर्षा होने की संभावना है। आईएमडी के अनुसार, फरवरी में देश के अधिकांश हिस्सों में न्यूनतम तापमान सामान्य से ऊपर रहने की संभावना है, जबकि उत्तर-पश्चिम, पश्चिम मध्य, उत्तर-पूर्व और पूर्व-मध्य भारत के कुछ हिस्सों में अधिकतम तापमान सामान्य से ऊपर रहेगा।