अंतिम संस्कार 30 दिसंबर को दोपहर तीन बजे लोधी क्रीमेशन ग्राउड नई दिल्ली में
पंजाब के कपूरथला रियासत की महारानी गीता देवी का 86 वर्ष की आयु में निधन हो गया। कपूरथला के महाराजा ब्रिगेडियर सुखजीत सिंह की पत्नी गीता देवी अपने बेटे टिक्का शत्रुजीत सिंह के साथ ग्रेटर कैलाश कॉलोनी, नई दिल्ली में रह रही थीं। उन्हें दिल की बीमारी थी। संक्षिप्त बीमारी के बाद वीरवार शाम उन्होंने नई दिल्ली स्थित अपने घर पर अंतिम सांस ली।
महारानी गीता देवी का शुमार देश की चुनिंदा बेहद सम्मानित महिलाओं में होता था। गीता देवी का अंतिम संस्कार 30 दिसंबर को दोपहर तीन बजे लोधी क्रीमेशन ग्राउड नई दिल्ली में किया जाएगा। अंतिम यात्रा में रियासत के गणमान्य व्यक्तियों, शुभचिंतकों और सदस्यों के शामिल होने की उम्मीद है। उनका जाना अपने पीछे अनुग्रह, सेवा और सांस्कृतिक संरक्षण की विरासत छोड़ गया है।
महारानी गीता देवी के स्वर्ग सिधार जाने के बारे उनके पुत्र एवं कपूरथला रियासत के वंशज टिक्का शत्रुजीत सिंह ने बताया कि महारानी साहिबा को देर शाम हार्ट की थोड़ी समस्या महसूस हुई थी, वह उन्हें तुरंत अस्पताल ले गए लेकिन महारानी साहिबा घर में ही रहना चाहती थी। इसलिए उन्हें घर ले आया गया और रात सवा सात बजे उन्होंने अंतिम सांस ली।
कपूरथला रियासत की महारानी गीता देवी की मौत से राजशाही के एक अध्याय का अंत हो गया।
छोटी उम्र से ही राजशाही
एक कुलीन वंश में जन्मी महारानी गीता देवी ने छोटी उम्र से ही राजशाही का सार अपनाया। परंपरा और सम्मान से भरे परिवार से आने के कारण, उनके पालन-पोषण ने एक संतुलित और प्रतिष्ठित व्यक्तित्व की नींव रखी, जो बाद में कपूरथला की महारानी के रूप में प्रतिष्ठित हुईं।
महाराजा ब्रिगेडियर सुखजीत सिंह से विवाह
महारानी गीता देवी और महाराजा ब्रिगेडियर सुखजीत सिंह का मिलन महज एक वैवाहिक गठबंधन नहीं था, बल्कि दो प्रभावशाली ताकतों का मिलन था। उनकी साझेदारी ने परंपरा और आधुनिकता के संश्लेषण का उदाहरण दिया, एक ऐसी विरासत को बढ़ावा दिया जो पीढ़ियों तक गूंजती रहेगी। एक विशिष्ट कुलमाता, उन्होंने अपना जीवन महाराजा ब्रिगेडियर सुखजीत सिंह के साथ साझा किया, और उन्होंने मिलकर एक परिवार का पालन-पोषण किया जिसमें टिक्का शत्रुजीत सिंह, गायत्री देवी और प्रीति देवी शामिल हैं।
परोपकार और सार्वजनिक सेवा
महारानी गीता देवी की विरासत का एक उल्लेखनीय पहलू परोपकार और सार्वजनिक सेवा के प्रति उनकी प्रतिबद्धता में निहित है। उनके परोपकारी प्रयासों ने द ट्रिब्यून की स्थापना करने वाले दूरदर्शी परोपकारी सरदार दयाल सिंह मजीठिया के लोकाचार को प्रतिबिंबित किया। सामुदायिक कल्याण की भावना से, उन्होंने हाशिये पर पड़े लोगों का उत्थान करने वाले कार्यों का समर्थन किया और सामाजिक न्याय की वकालत की।
एक शाही कुलमाता के रूप में अपनी भूमिका से परे, महारानी गीता देवी संस्कृति और परोपकार की संरक्षक थीं, जिन्होंने कपूरथला के सामाजिक ताने-बाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
महारानी गीता देवी के निधन पर बीकानेर के राज्यश्री कुमारी, गुजरात रियासत के युवराज, गवालियार स्टेट, पटियाला रियासत के महाराजा कैप्टन अमरिंदर सिंह, बडौदा, जयपुर जोधपुर आदि रियासतों के युवराजों व राजाओं ने शोक व्यक्त किया है।