कहा, Non Veg milk लोगों की आस्था के अलावा बहुत से किसानों का रोज़गार जायेगा
गीता वर्मा (टेलिस्कोप डेस्क)। भारत में Non veg milk/ नॉन-वेज मिल्क नहीं बिकेगा। अमेरिका को साफ़ न कह दी गई है। कारण कई हैं -लेकिन सबसे बड़ा है आस्था।
वास्तव में जब से अमेरिका ने भारत के बहुत से उत्पादों पर टैरिफ बढ़ाने की बात की है तब से एक शब्द चर्चा में है। वो है Non Veg milk। वास्तव में अमेरिका चाहता है कि भारत उससे डेयरी उत्पाद अधिक ख़रीदे लेकिन भारत आस्था और संस्कृति की वजह से ऐसा नहीं करना चाहता। कारण है अमेरिकी डेयरी उद्योगों में गायों को ऐसा चारा दिया जाता है जिसमें जानवरों का मांस या ख़ून मिला होता है। इससे वज़न भी बढ़ता है। कई जगह इसे ‘ब्लड मील’ भी कहा जाता है।
Non Veg milk – सनद रहे भारत में एक बड़ी आबादी मांस नहीं खाती। ऐसे में वो उन गायों का दूध कैसे पी लेंगे जिन्होंने मांस खाया हो।
ऐसी गायों के दूध यानी Non Veg milk को लेकर कई रिपोर्ट छप रही हैं।
सिएटल टाइम्स के एक लेख के मुताबिक़, “गायों को ऐसा चारा दिया जाता है जिसमें सुअर, मछली, चिकन, घोड़े और यहां तक कि बिल्लियों या कुत्ते का मांस होता है और मवेशियों को प्रोटीन के लिए सुअर और घोड़े का ख़ून दिया जाता है. जबकि मोटे होने के लिए इन जानवरों के फ़ैट का हिस्सा भी शामिल होता है। “
अमेरिका काफ़ी समय से चाहता है कि भारतीय बाज़ार उसके मिल्क प्रोडक्ट्स के लिए खोले जाएं। एक तो भारत में बाजार बहुत बड़ा है ऊपर से जनसंख्या भी बड़ी है।
मालूम हो अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से टैरिफ़ लगाने की तय की गई नौ जुलाई की अंतिम तारीख़ को आगे बढ़ाकर अब एक अगस्त कर दिया गया है। इसमें यह एक कारण नॉन-वेज मिल्क को लेकर भारत का फैसला लेना भी हो सकता है। अमेरिका को लगता है कि शायद भारत का दिल बदल जाये।
दूसरी तरफ भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता जारी है। दोनों की ओर से एक अंतरिम ट्रेड डील की उम्मीद की जा रही है जिसकी घोषणा जल्द हो सकती है।
हालांकि अमेरिका लगातार कृषि और डेयरी प्रोडक्ट के लिए भारतीय बाज़ार खोले जाने की मांग कर रहा है लेकिन भारत ने कृषि और डेयरी क्षेत्र की सुरक्षा के लिए न झुकने का संकेत दिया है।
भारत सरकार ने ‘नॉन-वेज मिल्क’ पर अपनी चिंताओं का हवाला देते हुए अमेरिकी डेयरी उत्पादों के आयात की इजाज़त देने से इनकार कर दिया है। अगर ये समझौता हो जाता है तो इससे दोनों देशों के बीच साल 2030 तक व्यापार 500 अरब डॉलर तक पहुंचने की संभावना है।
भारत चाहता है कि विचार तभी संभव है जब अमेरिकी डेयरी प्रोडक्ट के लिए कड़े नियम लागू करे। यह सुनिश्चित किया जा सके कि आयातित दूध ऐसी गायों के हों जिन्हें जानवरों के मांस या ख़ून वाला चारा न खिलाया जाता हो।
डेयरी को लेकर भारत ने रक्षात्मक रुख़ भी अपनाया है क्योंकि इससे देश में करोड़ों लोगों को आजीविका मिलती है, जिनमें छोटे किसान भी हैं।
अमेरिका ने कहा-यह ग़ैर ज़रूरी व्यापारिक बाधा
हालांकि, अमेरिका ने कहा कि यह ग़ैर ज़रूरी व्यापारिक बाधा है।
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर बातचीत विफल हो जाती है, तो इसकी कम संभावना है कि ट्रंप भारत पर 26% टैरिफ़ दर को फिर से लागू करेंगे।
दरअसल अमेरिका भारत के साथ अपने तक़रीबन 45 अरब डॉलर के व्यापार घाटे को कम करने के लिए कृषि और डेयरी निर्यात के लिए दरवाज़े खोले जाने की मांग कर रहा है।

हालांकि ट्रंप प्रशासन ने 23 देशों को चिट्ठी भेज टैरिफ़ की समयसीमा एक अगस्त तक के लिए बढ़ा दी है।
भारत के प्रेस इन्फ़ॉर्मेशन ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक़, साल 2023-24 में देश में 23.92 करोड़ टन दूध हुआ था। कुल दूध उत्पादन में दुनिया में भारत का पहला स्थान है।
भारत ने 2023-24 में 27.26 करोड़ डॉलर का 63,738 टन दुग्ध उत्पाद यूएई, सऊदी अरब, अमेरिका, भूटान और सिंगापुर को भेजा था।
भारतीय स्टेट बैंक की हाल में ही आई एक रिपोर्ट के मुताबिक़, अगर अमेरिकी डेयरी उत्पादों को इजाज़त दी जाती है तो इससे भारतीय दुग्ध उत्पाद के दाम कम से कम 15% गिर जाएंगे और इससे किसानों को हर साल 1.03 लाख करोड़ रुपए का नुक़सान हो सकता है।
रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि डेयरी उत्पाद खोलने की वजह से भारत दुग्ध उत्पादक देश से दुग्ध उपभोक्ता देश बन सकता है, इसलिए ऐसा कोई भी निर्णय न लिया जाये जिससे नुकसान ज्यादा और फायदा कम हो।

Non Veg milk
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