वाराणसी। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के कुलपति द्वारा चिकित्सा विज्ञान के स्त्री-रोग एवं प्रसूति विभाग की प्रो. संगीता राय को विभाग का विभागाध्यक्ष नियुक्त किया गया है। यह नियुक्ति 1 दिसम्बर 2023 से तीन वर्ष के लिए की गई है।
प्रोफेसर संगीता ने बताया कि स्त्री-रोग विज्ञानी को गर्भाशय-अंडाशय और नली से जुड़े विकारों को ठीक करने में विशेषज्ञता हासिल होती है।
उन्होंने बताया कि मेडिकल कॉलेज में बच्चों को शरीर क्रिया विज्ञान-हार्मोन्स के बारे में पढ़ाना होता है, जबकि निजी अस्पतालों में ज्यादा जोर प्रसूति-विज्ञान पर होता है।
सीजैरियन के जरिए प्रसव कराने के बढ़ते चलन पर उन्होंने कहा कि स्त्री को गर्भधारण करने के समय से ही मानसिक रूप से इसके लिए तैयार करना चाहिए कि उसका जीवन श्रमशील रहे, जिससे उसकी हड्डियों में लचीलापन रहे और प्रसव-पीड़ा सहन करने की शक्ति उसके अंदर हो।
उन्होंने बताया कि बच्चा चूँकि टनल से होकर बाहर आता है तो उसके ऊपर दबाव पड़ता है, जिससे उसे सांस लेने में दिक्कत आती है तो प्रसव-पीड़ा 12 घंटे से अधिक नहीं होनी चाहिए, वर्ना बच्चे की सेहत पर असर पड़ता है।
उन्होंने बताया कि लेबर पेन यानि कि प्रसव-पीड़ा को बढ़ाने के लिए ऑक्सीटोसिन का इंजेक्शन दिया जाता है। उन्होंने कहा कि आजकल संभ्रांत वर्ग एक ही बच्चा चाहता है, इसलिए भी महिलएं लेबर-पेन से बचना चाहती हैं और सीजैरियन को वरीयता देती हैं। लेकिन ऑपरेशन के उपरांत की जटिलताओं से बचने के लिए बेहतर होता है कि बच्चे की नार्मल डिलवरी की जाए।