नई दिल्ली। दुनिया भर में जलवायु बदलाव के परिणाम सामने आ रहे हैं। गर्मी बढ़ रही है। महासागर और नदियां गर्म हो रही हैं। सर्दियां कम हो गई हैं। फरवरी में ही केरल में येलो अलर्ट और चिपचिपी गर्मी के कारण चेतावनी जारी करनी पड़ी।
बढ़ता तापमान कई और परिवर्तन ला रहा है। कई बहुत हैरानीजनक हैं। इसमें एक है मछलियों सहित कई जानवरों का गर्म तापमान के चलते शरीर का आकार छोटा होना। यूमैस एमहर्स्ट में जीव विज्ञान के शोधकर्ता और मुख्य अध्ययनकर्ता जोशुआ लेंथियर कहते हैं, हमारे पास इसके पीछे एक इशारा भी है, जो तापमान और आकार के नियम को बता रहा है पर दशकों के शोध के बावजूद, हम अभी भी यह नहीं समझ पाए हैं कि तापमान बढ़ने के साथ आकार क्यों घटता है।
आखिर क्यों हो रहा शरीर का आकार छोटा?
शोधकर्ता ने बताया कि एक प्रमुख सिद्धांत, गिल ऑक्सीजन लिमिटेशन (जीओएल), मानता है कि मछली की वृद्धि इस बात पर निर्भर करती है कि गिल्स पानी से कितनी ऑक्सीजन खींच रहे हैं। जैसे ही पानी गर्म होता है, मछली की जैव रासायनिक प्रक्रियाएं तेज हो जाती हैं और उसे अधिक ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है। लेकिन गर्मी के कारण पानी का तापमान बढ़ जाता है जिससे वो सहज सांस नहीं ले पातीं इसलिए उनका आकार सिमट रहा है।
जीओएल के सिद्धांत का तर्क है कि गलफड़ों का सतह क्षेत्र सीमित होता है जो उनके द्वारा आपूर्ति की जा सकने वाली ऑक्सीजन की मात्रा में रुकावट डालता है और इस प्रकार, गर्म पानी की स्थिति में मछलियां इतनी बड़ी नहीं हो सकती हैं। इसलिए, मछलियां उस सीमित ऑक्सीजन को पूरा करने के लिए सिकुड़ रही हैं जितना कि उनके गलफड़े आपूर्ति कर सकते हैं।
जीओएल सिद्धांत भविष्य में दुनिया भर में मत्स्य पालन में भारी कमी के अनुमान को उजागर करता है, जिसमें प्रकृति के संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय संघ (आईयूसीएन) द्वारा उपयोग किए जाने वाले कुछ और चीजें भी शामिल हैं, लेकिन इनका कभी भी सीधे परीक्षण नहीं किया गया है।
परीक्षण के लिए छोटी मछलियां थीं, जिनका शुरू में वजन एक से दो ग्राम के बीच था, उन्हें टैंकों में रखा गया था, जिनमें से कुछ में पानी का तापमान सामान्य, 15 डिग्री सेल्सियस था और जिनमें से कुछ में 20 डिग्री सेल्सियस तक गर्म पानी था। प्रयोग की शुरुआत में और फिर उसके बाद हर महीने मछलियों का वजन मापा गया। उनकी ऑक्सीजन खपत को दो सप्ताह, तीन महीने और छह महीने में भी मापा गया।
एक बार जब उन्होंने अपने आंकड़ों का विश्लेषण करना शुरू किया, तो कुछ चीजें स्पष्ट हो गई, गर्म टैंकों में ब्रुक ट्राउट अपेक्षा के अनुरूप छोटे थे।
लेंथियर कहते हैं, हमें इससे जुड़े विषयों को और अध्ययन करने की आवश्यकता है, ताकि ये समझाया जा सके कि हमारी गर्म होती दुनिया के साथ सबसे अच्छा तालमेल कैसे बिठाया जाए।