UGC-फैकल्टी मेंबर्स को वेतन वृद्धि से वंचित करने को आठ साल पुराना सरकारी निर्देश लागू
नई दिल्ली। UGC-University Grants Commission / विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने अनुसंधान योग्यता के लिए कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में फैकल्टी यानि कि संकाय सदस्यों को वेतन वृद्धि से वंचित करने के आठ साल पुराने सरकारी निर्देश को लागू कर दिया है, जिससे शिक्षक सदमे में हैं।
फैकल्टी मेंबर्स का कहना है कि कहीं उन्हें अब तक भुगतान की गई राशि की संभावित वसूली के बारे में न कह दिया जाये। इस बात को लेकर वो चिंतित हैं।
विस्तृत जानकारी के अनुसार, विश्वविद्यालयों को एक दशक से अधिक समय तक पीएचडी और एमफिल डिग्री वाले फैकल्टी मेंबर्स /संकाय सदस्यों को वेतन वृद्धि देने की अनुमति देने के बाद, यूजीसी ने यू-टर्न लिया है और संस्थानों को ऐसा करने से रोक दिया है। वेतन वृद्धि के मुद्दे पर उच्च शिक्षा विभाग के पत्र का पालन करने के लिए यूजीसी ने एक दिन पहले ही केंद्रीय विश्वविद्यालयों को स्पष्टीकरण जारी किया।
UGC-2 नवंबर, 2017 के पत्र का हवाला
यूजीसी ने मंत्रालय के 2 नवंबर, 2017 के पत्र का हवाला देते हुए कहा: “प्रोत्साहन संरचना (incentive structure ) वेतन संरचना (pay structure) में ही अंतर्निहित है, जिसमें एमफिल या पीएचडी डिग्री वाले लोग कैरियर उन्नति योजना के तहत तेजी से प्रगति करेंगे। एमफिल या पीएचडी की डिग्री प्राप्त करने के लिए अग्रिम वेतन वृद्धि के रूप में कोई प्रोत्साहन नहीं दिया जाएगा।
राजधानी कॉलेज के संकाय सदस्य / फैकल्टी राजेश झा ने कहा: “वेतन वृद्धि से इनकार अनुसंधान और प्रतिभा को बढ़ावा देने के उद्देश्य को विफल करता है। बड़ी चिंता यह है कि संस्थान वेतन वृद्धि के लिए भुगतान की गई राशि की वसूली के लिए कह सकता है।