Water Mafia: 10000 सैलरी में से 3000 का पानी खरीदते हैं
Water Mafia : सरकारों का कोई कंट्रोल नहीं, सुप्रीम कोर्ट दे दखल -लोगों की मांग
Water Mafia : गुरुग्राम में 50000 न देने पर पानी की पाइप नष्ट की
Water Mafia :कोलकाता में भी टैंकर माफिया ले रहा मनमाफिक पैसे
Water Mafia : प्राइवेट टैंकर वाले बेच रहे 2500 रुपए में एक टैंकर
जालंधर/चंडीगढ़ /नई दिल्ली (Water Mafia) पूरा देश पीने वाले पानी की तंगी से जूझ रहा है। पंजाब, राजधानी दिल्ली, कोलकाता, गुरुग्राम, उत्तर प्रदेश, सिलिकॉन वैली बेंगलुरु आदि। कई दशक से बेंगलुरु पानी के लिए तरस रहा है। दोहन ऐसे ही जारी रहा तो पंजाब में पानी का लेवल 2039 तक 300 मीटर और नीचे चला जाएगा। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की निगरानी समिति ने अध्ययन रिपोर्ट में कहा है कि साल 2039 तक पंजाब में भूजल स्तर 1000 फुट तक गिर जाएगा, जो आज 450 फुट से ज्यादा नीचे तक पहुंच चुका है। रिपोर्ट के अनुसार, पंजाब का 78 फीसदी क्षेत्र डार्क जोन बन चुका है और केवल 11.3 फीसदी क्षेत्र ही सुरक्षित रह गया है।
राजधानी दिल्ली में पानी टैंकर को लेकर ठगी चरम पर है। त्रिलोकपुरी कॉलोनी, रोहित सिरसवाल कॉलोनी में लोग बोले -Delhi Jal Board /डीजेबी के टैंकरों से आने वाला पानी पीने लायक नहीं है। बच्चे बीमार पड़ जाते हैं, लेकिन हम मजबूर हैं क्योंकि हमें इसी पानी से हर तरह के दैनिक काम करने पड़ते हैं। हर कोई पानी खरीद नहीं सकता।
इंदिरा कैंप के हर परिवार के पुरुष, महिलाएं और बच्चे हर दिन डीजेबी के टैंकर से पानी भरकर घर में रखे डिब्बे, बोतल और बाल्टियों में भरते हैं। सुनीता कहती हैं, “जब टैंकर आता है, तो हम एक-एक करके पानी भरते हैं, लेकिन हम महिलाओं के बीच अक्सर इस बात को लेकर तीखी बहस होती है कि कौन ज्यादा पानी भरता है या पहले। आपसी रिश्ते बिगड़ दिए इस पानी ने। इसके बाद चार-पांच दिन तक टैंकर नहीं आता। हमें पास के सबमर्सिबल पंप से पानी सप्लाई करने वालों से 20-40 रुपये में 20 लीटर के जार में पानी खरीदना पड़ता है।”
5 घंटे तक खड़े रहते हैं लाइन में
इंदिरा कैंप के निवासी बताते हैं कि सभी को पानी की समान सुविधा नहीं है। कुछ के पास ज्यादा स्टोरेज स्पेस है, जबकि अन्य के पास कम। झुग्गी-झोपड़ियों की आबादी को देखते हुए, प्रति व्यक्ति पानी की औसत मात्रा 50 लीटर से भी कम है। निजी टैंकर भी उपलब्ध हैं, लेकिन वे एक पूरे टैंकर के लिए 2,000-2,500 रुपये लेते हैं। दक्षिणी दिल्ली में पानी की कमी इतनी गंभीर है कि सुबह 6 बजे ग्रेटर कैलाश के पास दिल्ली जल बोर्ड के 50 से अधिक टैंकर कतार में खड़े हो जाते हैं। वे एक-एक करके टैंक भरते हैं और कई इलाकों में जाते हैं।
Water Mafia : सबसे अधिक परेशानी वाले संगम विहार इलाके के कुछ शिकायतकर्ताओं ने कहा, क्या ही हो जायेगा बोल के। कोई नहीं सुनता। मानसी, जो अभी स्कूल में है और उसकी मां पिछले तीन दिनों से पानी के लिए दिल्ली जल बोर्ड के चक्कर लगा रही हैं। वह संगम विहार के चर्च गेट, लेन नंबर 9 की निवासी है। मानसी ने कहा कि तीन दिन बीत चुके हैं, लेकिन कोई भी सरकारी टैंकर उसके घर पानी पहुंचाने नहीं आया है। उसने कहा, “निजी टैंकर 1,000 से 1,200 रुपये मांगते हैं, हम रोजाना इतना पैसा खर्च नहीं कर सकते।”
Water Mafia: कोलकाता में सड़क पर बह जाता है 40 फीसदी पानी
पश्चिम बंगाल के शहर कोलकाता की बात करें तो यहाँ डोमेस्टिक पानी सप्लाई के कोई चार्ज नहीं हैं पर टैंकर माफिया यहाँ भी गरीब को या फिर अमीर को पानी बेच रहा है। नगर निगम (केएमसी) के सूत्रों के अनुसार, पारंपरिक रूप से जल संसाधनों से समृद्ध शहर कोलकाता को ऐसी समस्या नहीं अणि चाहिए। कोलकाता अपने लोगों के लिए पर्याप्त पानी का उत्पादन करने के बावजूद टैंकरों के माध्यम से प्रतिदिन 5.5 मिलियन लीटर पानी की आपूर्ति कर रहा है। हुगली नदी के पास बने पानी की सप्लाई के टैंकर को भरने का प्रोसेस देखेंगे तो कहानी समझ आ जाएगी।
उतना पानी तो टैंकर में नहीं जाता जितना टैंकर से बाहर जमीन पर गिर कर व्यर्थ हो जाता है। लगभग 30-40 फीसदी पानी सड़क पर बह जाता है। इसकी जांच करने वाला कोई नहीं। लोगों ने कहा, महीने की कमाई का इतना ही प्रतिशत पानी खरीदने में चला जाता है। 10000 सैलरी में से 3000 का पानी खरीदते हैं।
इस मुद्दे को हाल ही में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी उजागर किया था। केंद्र सरकार के 150 लीटर प्रति व्यक्ति प्रतिदिन के मानक को पूरा करने के लिए शहर में पर्याप्त पानी का उत्पादन होने के बावजूद, ये समस्याएं बनी हुई हैं।
एक वरिष्ठ नागरिक अधिकारी ने कहा कि शहर की अनुमानित 50 लाख आबादी है। इनको पानी चाहिए ही, शहर में रोजाना आने वाले अतिरिक्त 5 मिलियन लोगों के लिए भी पानी पर्याप्त होना चाहिए। पानी की आपूर्ति मुख्य रूप से शहर के दक्षिणी इलाकों जैसे टॉलीगंज और जादवपुर में की जाती है, जहाँ अभी भी पानी की कमी है। गुणवत्ता भी एक मुद्दा है।
जल विशेषज्ञ और ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हाइजीन एंड पब्लिक हेल्थ (एआईआईएच एंड पीएच) के पूर्व निदेशक अरुणाभा मजूमदार ने कहा कि बेंगलुरु या चेन्नई जैसे शहरों की तुलना में मात्रा कम होने के बावजूद, कोलकाता में कम पानी के दबाव और खराब पानी की गुणवत्ता वाले क्षेत्रों में अभी भी नियमित टैंकर डिलीवरी की आवश्यकता होती है।
Water Mafia: लखनऊ भी इसी संकट की चपेट में
दिल्ली से लगभग 500 किलोमीटर पूर्व दिशा में यूपी का लखनऊ भी इसी संकट की चपेट में है, लेकिन मीडिया ने इस पर उतना ध्यान नहीं दिया, जितना कि होना चाहिए था।
पानी के टैंकरों के इर्द-गिर्द भीड़ की तस्वीरें सोशल मीडिया पर खूब शेयर की जा रही हैं। लेकिन स्थिति पर करीब से नज़र डालने पर कुछ अहम सवाल उठते हैं – इतनी बड़ी संख्या में पानी से भरे ये टैंकर कहां से आ रहे हैं? इस कारोबार का मालिक और नियंत्रक कौन है? क्या टैंकर संकट को और बढ़ा रहे हैं?
लखनऊ के आशियाना इलाके में पानी के टैंकरों के मालिक हरि प्रसाद ने दावा किया कि उनके पास छह पानी के टैंकर हैं।
“मैं 15 साल से पानी की आपूर्ति के कारोबार में हूं। जब जल विभाग पानी की आपूर्ति करने में विफल रहता है, तो निवासी हमसे संपर्क करते हैं, और हम यहां से पानी लाते हैं। वे हमें एक टैंकर के लिए 400 रुपये देते हैं। उन्होंने बताया कि प्रत्येक टैंकर में 4,000 लीटर पानी होता है
“मेरे पास जीएसटी नंबर है। टैंकरों के ज़रिए पानी की आपूर्ति करने के लिए किसी लाइसेंस की ज़रूरत नहीं है। पानी की सबसे ज़्यादा मांग मई और जून के महीनों में होती है। यही समय में सबसे ज़्यादा मुनाफ़ा कमाते हैं। हमारे गाँव में लगभग 50 टैंकर हैं और मेरी तरह 10-12 लोग आस-पास के इलाकों में पानी की आपूर्ति करते हैं।
Water Mafia: PROTECTION MONEY न देने पर काट गए पाइप
गुरुग्राम में द्वारका एक्सप्रेसवे के किनारे स्थित लगभग 200 आवासीय सोसाइटियों को जल माफिया को “सुरक्षा राशि/PROTCTIONMONEY” देने के लिए मजबूर किया जा रहा है, निवासियों ने आरोप लगाया है कि सेक्टर 102 में एक ऊंची इमारत तक जाने वाली पानी की पाइपलाइन क्षतिग्रस्त हो गई या कर दी गई और आपूर्ति बाधित हो गई क्योंकि निवासियों ने एक समूह को ₹50,000 का भुगतान करने से इनकार कर दिया, जिसने “पाइपलाइन की सुरक्षा” सुनिश्चित करने के लिए पैसे मांगे थे।
सेक्टर 102 में एमार इंपीरियल गार्डन आवासीय सोसाइटी के निवासियों को सुबह तब झटका लगा, क्योंकि उनके नलों में पानी नहीं आ रहा था। पूछताछ करने पर, उन्होंने पाया कि गुरुग्राम मेट्रोपॉलिटन डेवलपमेंट अथॉरिटी (GMDA) की मास्टर पाइपलाइन को मंगलवार की तड़के कई जगहों पर काट दिया गया था। निवासियों ने पाइपलाइन को हुए नुकसान को तुरंत पानी आपूर्तिकर्ताओं द्वारा कुछ दिनों पहले की गई ₹50,000 की मांग से जोड़ा, जो निवासियों को या तो भुगतान करने या 5,000 लीटर के टैंकर के लिए ₹5,000 देने के लिए मजबूर कर रहे थे।
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