WEATHER : तापमान 46 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचा, पंजाब में 28 तक बारिश के आसार
WEATHER : हवाओं के साथ बारिश, बर्फबारी और ओलावृष्टि होने की आशंका
जालंधर /पूरे देश में गर्मी बढ़ने की खबर है। मौसम विभाग तमाम हिस्सों में तापमान में उतार चढ़ाव को लेकर चिंतित है। लू के दिन बढ़ गए हैं। मौसम संबंधी पूर्वानुमान के अनुसार, कल से पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय है। इससे उत्तर-पश्चिम भारत के मौसम में बदलाव आने के आसार जताए गए हैं। 26 से 28 अप्रैल तक उत्तर के पहाड़ी राज्यों में बिजली गिरने, तूफानी हवाओं के साथ बारिश, बर्फबारी और ओलावृष्टि होने की आशंका जताई गई है।
इसी दौरान उत्तर के मैदानी इलाकों के पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, दिल्ली के अलग-अलग हिस्सों तथा राजस्थान में तूफानी हवाओं के साथ बारिश, बिजली गिरने तथा ओले गिरने के आसार हैं।
एक दिन पहले रायलसीमा के कई हिस्सों, तटीय आंध्र प्रदेश और यनम, तेलंगाना, ओडिशा और पश्चिम बंगाल में गंगा के मैदानी इलाकों के कुछ हिस्सों में, तमिलनाडु, पुडुचेरी और कराईकल तथा झारखंड के कुछ इलाकों में अधिकतम तापमान 42 से 44 डिग्री सेल्सियस के बीच रहा।
मौसम विभाग की मानें तो कल देश भर में रायलसीमा के अनंतपुर में अधिकतम तापमान 43.7 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। यहाँ तो तापमान 45-46डिग्री तक पहुँच चुका है। वहीं कल, देश के मैदानी इलाकों में हरियाणा के करनाल में न्यूनतम तापमान 16.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।
WEATHER: भीषण लू या हीटवेव चलने की आशंका
अगले पांच दिनों के दौरान तटीय ओडिशा, पश्चिम बंगाल में गंगा के तटीय इलाकों, उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल और सिक्किम, आंतरिक कर्नाटक के अलग-अलग हिस्सों में भीषण लू या हीटवेव चलने की आशंका जताई गई है।
वहीं, अगले पांच दिनों के दौरान बिहार, झारखंड, तटीय आंध्र प्रदेश और यनम, तेलंगाना, रायलसीमा के अलग-अलग इलाकों में लोगों को लू का प्रकोप झेलना पड़ सकता है। 25 और 26 अप्रैल को तटीय कर्नाटक, 25 को तमिलनाडु 25 से 28 अप्रैल के दौरान पूर्वी उत्तर प्रदेश और 26 से 28 अप्रैल के दौरान पश्चिमी उत्तर प्रदेश में, 27 और 28 अप्रैल को कोंकण में भी लू चलने के आसार हैं।
वहीं कल, पश्चिम बंगाल में गंगा के अलग-अलग तटीय इलाकों में लोगों को भीषण लू का कहर झेलना पड़ा। वहीं कल, उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल, बिहार, ओडिशा और तमिलनाडु के अलग-अलग हिस्सों में भी लोगों को लू से दो चार होना पड़ा। ओडिशा में 15 अप्रैल से तथा पश्चिम बंगाल में गंगा के तटीय क्षेत्रों में 17 अप्रैल से लू चल रही है।
WEATHER : दोपहर के वक़्त सड़कें ख़ाली दिखनी शुरू
देश के कई हिस्सों में कुछ दें पहले तूफानी हवाओं के साथ बारिश ने राहत तो दी है लेकिन कुछ हिस्सों में बढ़ते तापमान ने तपिश बढ़ा दी है। पंजाब के कुछ शहरों में वर्षा से गर्मी से राहत मिली पर फिर तपिश बढ़ गई। इससे लोगों को बाहर जाने में परेशानी हुई। फील्ड जॉब करने वालों वालों को ज्यादा दिक्कत आ रही है। पंखों ने भी गर्म हवा फेंकनी शुरू कर दी है। लोग सुबह सुबह घर के काम करके चार दीवारी में दुबकना शुरू हो गए हैं। अभी से दोपहर के वक़्त सड़कें ख़ाली दिखनी शुरू हो गई हैं।
WEATHER: करनाल में गेहूं की फसल को भारी नुकसान
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, हरियाणा के कई जिलों, खासकर करनाल में दो दिन पहले आंधी, तेज बारिश तथा ओलावृष्टि से गेहूं की फसल को भारी नुकसान पहुंचने की खबर सामने आई है। वहीं पंजाब के कई हिस्सों में तेज हवाओं के साथ भारी बारिश होने की बात कही गई है।
मौसम विभाग के अनुसार, 29 अप्रैल तक असम और मेघालय, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम और त्रिपुरा के कुछ हिस्सों में हल्की बारिश होने की संभावना है, इन राज्यों में 0.1 मिमी से 15.5 मिमी तक बादल बरस सकते हैं।
WEATHER: पश्चिम बंगाल और ओडिशा में अत्यधिक गर्मी की स्थिति के लिए रेड अलर्ट
इसके अलावा भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने गंगीय पश्चिम बंगाल और ओडिशा में अत्यधिक गर्मी की स्थिति के लिए रेड अलर्ट जारी किया है। ये हालात अगले पांच दिनों तक बने रहने का अनुमान है. संभावना है कि आने वाले दिनों में लोगों को गर्मी से जुड़ी बीमारियाँ हो सकती हैं या हीट स्ट्रोक हो सकता है।
WEATHER: इन राज्यों के लिए आईएमडी की हीटवेव भविष्यवाणी
आईएमडी ने बिहार, झारखंड, तटीय आंध्र प्रदेश, यनम, तेलंगाना, रायलसीमा, आंतरिक कर्नाटक और पूर्वी उत्तर प्रदेश में अलग-अलग इलाकों के लिए हीटवेव अलर्ट जारी किया है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में आज से 29 अप्रैल तक और कोंकण में 27 अप्रैल से 29 अप्रैल तक मौसम की यही स्थिति रहने की संभावना है। आईएमडी की भविष्यवाणी के अनुसार, बिहार, झारखंड, तटीय आंध्र प्रदेश, यनम, तेलंगाना, रायलसीमा, आंतरिक कर्नाटक और पूर्वी उत्तर प्रदेश के अलग-अलग इलाकों में भी इस अवधि के दौरान लू की स्थिति का सामना करने की संभावना है।
WEATHER: वर्षा भविष्यवाणी
इस बीच, एक पश्चिमी विक्षोभ, जिसे चक्रवाती परिसंचरण के रूप में जाना जाता है, मध्य और ऊपरी क्षोभमंडल स्तरों में दक्षिण ईरान के ऊपर मौजूद है, और आज निचले क्षोभमंडल स्तरों में पश्चिम राजस्थान पर एक चक्रवाती परिसंचरण को प्रेरित कर सकता है। नतीजतन, आज से जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, गिलगित, बाल्टिस्तान, मुजफ्फराबाद, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में गरज, बिजली और संभवतः ओलावृष्टि के साथ व्यापक रूप से हल्की से मध्यम वर्षा/बर्फबारी होने का अनुमान है और यह 28 अप्रैल तक जारी रहेगी।
WEATHER: समुद्र के किनारे रहने वाले ज्यादा सावधान रहें : स्टडी
दूसरी ओर कम्युनिकेशंस अर्थ एंड एनवायरमेंट में प्रकाशित अध्ययन में कहा गया है कि समुद्र तटीय इलाके जलवायु परिवर्तन की मार झेलने में सबसे आगे हैं। बदलती जलवायु के चलते भूमि और समुद्र पर दोनों ही लू या हीटवेव तटीय इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए गंभीर खतरा पैदा करते हैं। दुनिया भर में किए गए अध्ययनों से पता चलता है कि बढ़ती गर्मी के कारण बदलती जलवायु में गंभीर सामाजिक-आर्थिक और पारिस्थितिक समस्याएं सामने आ रही हैं और आगे भी जारी रहेंगी।
अध्ययन रिपोर्ट में कहा गया है कि, पिछले 20 सालों की तुलना में 1998 से 2017 के बीच तटीय इलाकों में लू या हीटवेव और समुद्र स्तर में वृद्धि की घटनाएं आगे से बढ़ीं हैं। अध्ययन से यह भी पता चलता है कि ऐसा ही चलता रहा तो 2025 से 2049 के बीच इन घटनाओं के पांच गुना अधिक होने की आशंका जताई गई है।
WEATHER: अब तक बहुत कम शोध
अध्ययन के मुताबिक, ‘समवर्ती लू और चरम समुद्री स्तर’ (सीएचडब्ल्यूईएसएल) कहलाने वाली ये घटनाएं तब होती है जब एक ही समय अवधि में एक ही तटीय स्थल पर कुछ समय के लिए लू और समुद्र के स्तर में अत्यधिक वृद्धि होती है। यद्यपि वे तटीय इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए एक गंभीर खतरा पैदा कर सकते हैं, लेकिन इन घटनाओं की विशेषताओं और घटनाओं पर अब तक बहुत कम शोध हुआ है।
WEATHER: गरीब देशों को मदद की ज़रूरत
अध्ययन के मुताबिक, सीएचडब्ल्यूईएसएल घटनाएं तटीय समुदायों के लिए एक भारी खतरा पैदा कर सकती हैं, खासकर लोगों के स्वास्थ्य के लिए अत्यधिक गर्मी से खतरे बढ़ सकते हैं। एक और बात जो परेशान करती है वो ये है, गरीब देशों के लोग अगर कुछ होता है तो सेहत का ध्यान नहीं रख पायेंगें। उन्हें मदद की ज़रूरत पड़ेगी।
WEATHER: छिपकलियां अपना ज्यादातर समय पेड़ों पर ही बिताएंगी
तेल अवीव / दुनिया भर में लगातार जंगलों को काटे जाने के साथ-साथ भीषण गर्मी जानवरों की कई प्रजातियों के लिए विनाशकारी हो सकती हैं। यह अध्ययन तेल अवीव विश्वविद्यालय (टीएयू) और कोलोराडो विश्वविद्यालय (सीयू) के अध्ययनकर्ताओं की अगुवाई में किया गया है। एक नए अध्ययन में शोधकर्ताओं ने छिपकलियों पर गौर किया और देखा कि जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के बाद वे गर्म जमीन को छोड़कर पेड़ों पर शरण ले रही हैं। इस बात की आशंका जताई गई है कि भविष्य में छिपकलियां अपना अधिकतर समय पेड़ों पर ही बिताएंगी।
हालांकि, मानवजनित गतिविधियों, जैसे कि जंगलों को काटे जाने, शहरीकरण और प्राकृतिक भूमि को कृषि भूमि में तब्दील करने से उन क्षेत्रों में पेड़ों की उपलब्धता कम हो जाएगी जहां छिपकलियां रहती हैं और इससे कई जीवों का पतन हो सकता है। यह अध्ययन नेचर क्लाइमेट चेंज नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।
अध्ययन में शोधकर्ता बताते हैं कि जलवायु संकट और अत्यधिक गर्मी जानवरों को अधिक आरामदायक जगहों की तलाश करने के लिए मजबूर करती है, जैसे हम गर्म दिन में छायादार इलाकों की तलाश करते हैं।
जो जानवर पेड़ों पर चढ़ना जानते हैं, उनके लिए पेड़ आरामदायक और सुखद आश्रय के रूप में काम कर सकते हैं। इसका एक कारण यह है कि आप जमीन से जितना दूर जाएंगे, हवा का तापमान उतना ही कम होगा और हवा उतनी ही तेज होगी।
इसलिए, उदाहरण के लिए गर्म दिनों में, जानवर गर्म जमीन से बचने के लिए पेड़ पर चढ़ सकते हैं। जलवायु गर्म होने के साथ-साथ पेड़ों का महत्व बढ़ने की उम्मीद है।
समस्या यह है कि दुनिया में कई स्थानों पर पेड़ों का घनत्व वास्तव में कम हो रहा है, जिसका मुख्य कारण जंगलों की कटाई और निर्माण आदि जैसे विभिन्न उद्देश्यों के लिए पेड़ों का बढ़ता उपयोग है।
इससे ऐसी स्थिति पैदा हो रही है, जहां एक ओर, जलवायु परिवर्तन के कारण, जानवर अपने अस्तित्व के लिए पेड़ों पर अधिक निर्भर होंगे, वहीं दूसरी ओर, आवासों के नष्ट होने से पेड़ों की उपलब्धता में कमी आएगी।
अध्ययन के हवाले से शोधकर्ता ने कहा कि हम यह जांचना चाहते थे कि इन दोनों प्रक्रियाओं का जुड़ा हुआ प्रभाव जानवरों पर क्या होगा। विशेष रूप से, हमने छिपकलियों पर गौर किया, क्योंकि वे शरीर के सामान्य तापमान को बनाए रखने के लिए अपने पर्यावरण पर बहुत निर्भर हैं और रहने के लिए आरामदायक स्थानों की कमी उन्हें प्रभावित कर सकती है।
WEATHER: समुद्र के सतह की ऊंचाई तेज गति से बढ़ रही
मुंबई/न्यूयॉर्क । ज्यादातर गर्म होती जलवायु और शक्तिशाली अल नीनो के कारण समुद्र के सतह की ऊंचाई तेज गति से बढ़ रही है। नासा की रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया भर में 2022-2023 तक औसत समुद्र स्तर में लगभग 0.3 इंच की बढ़ोतरी हुई। नासा की अगुवाई वाला यह विश्लेषण समुद्र स्तर के आंकड़ों पर आधारित है, जिसमें 30 साल से अधिक समय के उपग्रह अवलोकन शामिल हैं।
आंकड़ों से पता चलता है कि 1993 के बाद से वैश्विक औसत समुद्र स्तर कुल मिलाकर लगभग चार इंच बढ़ गया है। इस वृद्धि की दर में भी तेजी आई है, जो 1993 में प्रति वर्ष 0.07 इंच से वर्तमान दर (प्रति वर्ष 0.17 इंच) जो दोगुनी से भी अधिक है।
रिपोर्ट के मुताबिक, तेजी की वर्तमान दर का मतलब है कि 2050 तक वैश्विक औसत समुद्र स्तर में 20 सेंटीमीटर और वृद्धि होने की राह पर हैं, जिससे पिछले 100 वर्षों की तुलना में अगले तीन दशकों में बदलाव की मात्रा दोगुनी हो जाएगी और बाढ़ की आवृत्ति और प्रभाव में वृद्धि होगी।
WEATHER: मीठे-ताजे पानी के संसाधन खतरे में
नेचर वॉटर में प्रकाशित निष्कर्ष बताते हैं कि बांध निर्माण, बड़े पैमाने पर सिंचाई और ग्लोबल वार्मिंग जैसी इंसानी गतिविधियों की वजह से दुनिया भर में मीठे या ताजे पानी के संसाधन खतरे में पड़ते जा रहे हैं। जमीन से पानी निकालने, भूमि उपयोग व आवरण में बदलाव और जलवायु परिवर्तन की वजह से मीठे पानी के प्रवाह की मात्रा बदल रही है। इसके चलते पृथ्वी की जलवायु और पारिस्थितिकी तंत्र पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ सकता है।
अंतर्राष्ट्रीय शोध टीम ने हाइड्रोलॉजिकल मॉडल के आंकड़ों का उपयोग करके लगभग 50 x 50 किलोमीटर के स्थानिक रिजॉल्यूशन पर मासिक धारा प्रवाह और मिट्टी की नमी की गणना की, जो मीठे पानी के चक्र पर सभी प्रमुख मानव प्रभावों को जोड़ती है।
गर्मी से इनकम भी कम हो रही : रिपोर्ट
एफएओ (संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन की) द अनजस्ट क्लाइमेट नाम की इस कममें बताया गया है कि कैसे चरम मौसम की घटनाएं गरीब ग्रामीण परिवारों को असंगत रूप से प्रभावित करती हैं, जिससे उनकी आय में महत्वपूर्ण कमी आती है और इस प्रकार, मौजूदा आय असमानता बढ़ जाती है।
भीषण गर्मी की वजह से खेती से होने वाली आमदनी में कमी आती है। ऐसा गरीब किसान के साथ ज्यादा होता है। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) की एक नई रिपोर्ट में कहा गया है कि भीषण गर्मी के दिनों में गैर गरीब किसान के मुकाबले गरीब किसान परिवारों की आमदनी में 2.4 प्रतिशत का नुकसान होता है, जो उनकी फसलों से होने वाली आय का 1.1 प्रतिशत और गैर कृषि आय का 1.5 प्रतिशत होता है।
एफएओ की यह रिपोर्ट भारत सहित दुनिया के 23 निम्न एवं मध्यम आय वाले देशों (एलएमआईसी) में एक लाख से अधिक परिवारों के सामाजिक-आर्थिक आंकड़ों के विश्लेषण पर आधारित है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि गर्मी के कारण एक औसत वर्ष में गरीब परिवारों को संपन्न परिवारों की तुलना में उनकी कुल आय का 5 प्रतिशत और बाढ़ के कारण 4.4 प्रतिशत अधिक नुकसान सहना पड़ता है।
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