वाराणसी। वाराणसी जिला अदालत ने एक पुजारी को ज्ञानवापी मस्जिद के तहखाने में हिंदू देवताओं की पूजा करने का अधिकार दिया। हिंदू पक्ष के वकील मदन मोहन यादव ने कहा कि आज ही यह फैसला आया है।
यादव ने कहा कि यह आदेश न्यायाधीश एके विश्वेश ने पारित किया, जिन्होंने जिला मजिस्ट्रेट को शैलेन्द्र कुमार पाठक द्वारा वहां पूजा की सुविधा के लिए सात दिनों के भीतर व्यवस्था करने का निर्देश दिया।
प्रार्थनाओं की सुविधा काशी विश्वनाथ ट्रस्ट द्वारा दी जाएगी, जो मस्जिद के बगल में स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर का प्रबंधन करता है। हिंदू वादियों का दावा है कि मस्जिद का निर्माण मंदिर के एक हिस्से को तोड़कर किया गया था।
पाठक द्वारा दायर याचिका के अनुसार, उनके नाना, पुजारी सोमनाथ व्यास, 1993 तक वहां पूजा करते थे। इसके बाद अधिकारियों ने तहखाने को बंद कर दिया था। पाठक ने वहां देवताओं की पूजा करने का अधिकार मांगा था।
यादव ने कहा कि मस्जिद परिसर में ‘वज़ू खाना’ जहां नमाज अदा करने से पहले स्नान किया जाता है, के सामने नंदी की मूर्ति के सामने लगे बैरिकेड्स को हटा दिया जाएगा ताकि पूजा करने का रास्ता मिल सके।
हिंदू पक्ष के वकील ने कहा कि 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद विध्वंस के जवाब में 1993 में मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के शासनकाल के दौरान वहां देवताओं की पूजा बंद कर दी गई थी। मुस्लिम पक्ष ने दलील दी है कि तहखाना मस्जिद परिसर का हिस्सा है, इसलिए वहां पूजा करने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए।
विश्व हिंदू परिषद (VHP) के अध्यक्ष आलोक कुमार ने कोर्ट के फैसले का स्वागत किया।
कुमार ने कहा, हमें उम्मीद है कि इसके बाद ज्ञानवापी मामले पर भी कोर्ट का फैसला जल्द आएगा।
वाराणसी जिला अदालत ने पिछले साल 21 जुलाई को एएसआई को विस्तृत वैज्ञानिक सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने कहा था कि जहां भी आवश्यक हो खुदाई की जा सकती है। इससे यह निर्धारित होगा कि क्या काशी विश्वनाथ मंदिर के बगल में स्थित मस्जिद एक मंदिर के अवशेषों पर बनाई गई थी।