Patna HC ने बच्चियों की ट्रैफिकिंग को बताया गंभीर
Patna HC – बाल अधिकारों की सुरक्षा के लिए 250 से भी ज्यादा नागरिक समाज संगठनों के देश के सबसे बड़े नेटवर्क जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन (जेआरसी) की याचिका पर जारी किया नोटिस
पटना। Patna HC: बिहार में आर्केस्ट्रा समूहों में ट्रैफिकिंग के जरिए लाई गई नाबालिग बच्चियों के यौन शोषण व उत्पीड़न को रोकने के लिए पटना हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर आर्केस्ट्रा व अन्य डांस ग्रुपों के नियमन के बाबत दो हफ्ते में जवाब देने को कहा है।
बिहार में आर्केस्ट्रा समूहों में बड़े पैमाने पर नाबालिग बच्चियों के शोषण के मद्देनजर बाल अधिकारों की सुरक्षा व संरक्षण के लिए देश के 418 जिलों में काम कर रहे 250 से भी ज्यादा नागरिक समाज संगठनों के सबसे बड़े नेटवर्क जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन (जेआरसी) ने अपनी याचिका में हाई कोर्ट से इसकी रोकथाम के लिए तत्काल एक राज्यस्तरीय समन्वय तंत्र बनाने की अपील की थी।
Patna HC के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आशुतोष कुमार व न्यायमूर्ति पार्थ सारथी ने 18 साल से कम उम्र की बच्चियों की ट्रैफिकिंग को गंभीर बताते हुए राज्य सरकार को इस पर तुरंत कार्रवाई करने और दो हफ्ते में हलफनामा देने के आदेश दिए।
Patna HC – जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन ने अनुरोध किया था
जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन ने एक अंतरिम आवेदन में हाई कोर्ट से बच्चियों के शोषण को रोकने के लिए राज्य सरकार को सभी हितधारकों के साथ मिलकर एक समग्र और समन्वित कार्ययोजना बनाने और आर्केस्ट्रा समूहों के नियमन व निरीक्षण और पीड़ितों के बिहार पीड़ित क्षतिपूर्ति योजना, 2014 (2019 में संशोधित) के प्रावधानों के अनुसार मुआवजे व पुनर्वास का निर्देश देने का अनुरोध किया था।
इस अंतरिम आवेदन पर विचार करते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि इसे स्वीकार किया जाता है और राज्य सरकार को तत्काल कार्रवाई और दो हफ्ते में हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया जाता है।
जेआरसी ने अपने सहयोगी संगठन एसोसिएशन फॉर वालंटरी एक्शन (एवीए) की मदद से रोहतास में एक आर्केस्ट्रा समूह से 44 नाबालिग बच्चियों व सारण एवं गोपालगंज में सहयोगी संगठनों की मदद से पुलिस की कार्रवाई में सैकड़ों नाबालिग बच्चियों को छुड़ाए जाने के बाद अपने अंतरिम आवेदन में आर्केस्ट्रा ग्रुपों में नाबालिग बच्चियों के इस्तेमाल पर पूरी तरह पाबंदी लगाने की मांग की थी।
Patna HC – नुकसान और आघात से जुड़े सभी पहलुओं पर विचार करें
साथ ही, इन बच्चियों को मुक्त कराए जाने के बाद उनके फिर से उसी धंधे में धकेल दिए जाने को रोकने के लिए इनके पुनर्वास के उपाय करने की मांग की गई थी। आवेदन में प्राथमिकी दर्ज होने के बाद किसी भी चरण में पीड़ित बच्चे के लिए अंतरिम मुआवज़े की मांग की गई है— चाहे आरोपी दोषी ठहराया गया हो, बरी कर दिया गया हो, उसकी पहचान न हो पाई हो या वह फरार हो।
Patna HC – साथ ही यह भी अपील की गई है कि मुआवजे का आदेश देते समय विशेष अदालतें पीड़ित को हुए हर तरह के नुकसान और आघात से जुड़े सभी पहलुओं पर विचार करें।
जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन की विधिक सलाहकार रचना त्यागी ने हाई कोर्ट के नोटिस जारी करने का स्वागत करते हुए कहा कि यह कमजोर और मजबूर बच्चियों की सुरक्षा व गरिमा सुनिश्चित करने की दिशा में एक बेहद अहम कदम है। उन्होंने कहा, ‘आर्केस्ट्रा ग्रुप बच्चियों की ट्रैफिकिंग और उनके शोषण का औजार बन चुके हैं।
इसकी रोकथाम, इन आर्केस्ट्रा समूहों के नियमन व निगरानी और पीड़ित बच्चियों के पुनर्वास के लिए समग्र योजना की जरूरत अर्से से महसूस की जा रही थी। हमें पूरी उम्मीद है कि हाई कोर्ट के इस नोटिस के बाद राज्य सरकार इन पीड़ित बच्चियों की सुरक्षा, संरक्षण और इन आर्केस्ट्रा समूहों में बच्चियों के शोषण को रोकने के लिए कड़े कदम उठाएगी।’
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