बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम सभी धर्मों व संप्रदायों पर समान रूप से लागू हो : Bhuvan Ribhu
जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन के संस्थापक Bhuvan Ribhu ने कहा कि बाल अधिकारों की सुरक्षा में मध्य प्रदेश अग्रिम मोर्चे पर है और इस राज्य के पास बच्चों के खिलाफ अपराधों को रोकने की राष्ट्रीय लड़ाई के नेतृत्व की पूरी क्षमता व संभावना है।
मध्य प्रदेश की सात करोड़ तीस लाख की आबादी में 40 प्रतिशत हिस्सा बच्चों का है। ऐसे में राज्य के सामने एक बड़ी चुनौती है और इसने निर्णायक कदम उठाए हैं। बाल विवाह, ट्रैफिकिंग और यौन हिंसा की चुनौती से निपटने के लिए सरकार और नागरिक समाज ने साथ मिलकर तेजी से कदम उठाए हैं।
देश के 250 से भी ज्यादा नागरिक संगठनों के नेटवर्क जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन ने कानून लागू करने वाली एजेंसियों के सहयोग से अप्रैल 2023 से अगस्त 2025 के बीच मध्य प्रदेश के 41 जिलों में 36,838 बाल विवाह रुकवाए, ट्रैफिकिंग के शिकार 4,777 बच्चों को मुक्त कराया और यौन शोषण के शिकार 1200 से अधिक पीड़ित बच्चों की मदद की।
नागरिक समाज संगठनों के पुलिस, अधिवक्ताओं, बाल कल्याण समितियों और समुदायों के साथ तालमेल व समन्वय से काम करने के इस अनूठे माडल ने बच्चों की सुरक्षा की राज्य की क्षमता को मजबूती दी है।
Bhuvan Ribhu – कानून बगैर किसी समझौते के हर बच्चे की हिफाजत करे
मध्य प्रदेश देश का पहला राज्य था जिसने बच्चियों के साथ बलात्कार के लिए मौत की सजा का प्रावधान किया था। Bhuvan Ribhu ने कहा कि सरकार को यही संकल्प बाल विवाह के खिलाफ भी दिखाना चाहिए। उन्होंने कहा कि बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम (पीसीएमए) एक धर्मनिरपेक्ष कानून है जो बच्चों की सुरक्षा के मकसद से बनाया गया था और इसे हर हाल में धार्मिक विश्वासों व पर्सनल लॉ पर तरजीह मिलनी चाहिए।
हाल ही में कुछ उच्च न्यायालयों के फैसलों जिसमें पीसीएमए पर पर्सनल लॉ को तरजीह दी गई थी, का जिक्र करते हुए Bhuvan Ribhu ने कहा कि मध्य प्रदेश को अगुआई करते हुए इसे सभी के लिए बाध्यकारी बनाना चाहिए।
भोपाल में सोमवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में Bhuvan Ribhu ने कहा, “सैद्धांतिक रूप से बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम किसी भी पर्सनल लॉ, प्रथा या संहिता से ऊपर है। मध्य प्रदेश सरकार को इस पर अमल की अगुआई करते हुए यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कानून बगैर किसी समझौते के हर बच्चे की हिफाजत करे।”
Bhuvan Ribhu वर्ल्ड ज्यूरिस्ट एसोसिएशन से ‘मेडल ऑफ ऑनर’ से सम्मानित होने वाले पहले भारतीय अधिवक्ता हैं। वे जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन के सहयोग से वर्ल्ड ज्यूरिस्ट एसोसिएशन की वैश्विक पहल जस्टिस फॉर चिल्ड्रेन वर्ल्डवाइड (जेसीडब्ल्यू) के भी अध्यक्ष हैं। जेसीडब्ल्यू दुनियाभर के अधिवक्ताओं, जजों और न्यायविदों को एक मंच पर लाता है ताकि कानूनी सुधारों व कानून पर अमल के जरिए बच्चों की सुरक्षा को मजबूती दी जा सके।

बेस्टसेलर किताब ‘व्हेन चिल्ड्रेन हैव चिल्ड्रेन: टिपिंग प्वाइंट टू इंड चाइल्ड मैरेज’ के लेखक Bhuvan Ribhu ने कहा, “बच्चों की वास्तविक सुरक्षा व संरक्षण तभी संभव है जब कानून एक मजबूत निवारक उपाय का काम करे।”
Bhuvan Ribhu – बच्चों के खिलाफ अपराध करके कोई कानून से नहीं बच पाएगा
Bhuvan Ribhu ने कहा, “अप्रैल 2023 से जुलाई 2025 के बीच महज इन दो सालों में कानून लागू करने वाली एजेंसियों के साथ मिलकर जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन के कार्यों से यह साबित होता है कि यदि कानून को उसके उद्देश्य और तात्कालिकता के साथ लागू किया जाए तो बच्चे वास्तव में सुरक्षित होंगे।
देश में 3,74,000 बाल विवाह रोक कर, ट्रैफिकिंग के शिकार 1,00,000 से अधिक बच्चों को मुक्त करा कर, यौन शोषण के शिकार 34,000 से भी ज्यादा बच्चों को मानसिक स्वास्थ्य चिकित्सा मुहैया कर और 63,000 से भी ज्यादा मामलों में कानूनी कार्रवाई शुरू कर भारत ने यह साबित किया है कि हम एक ऐसा राष्ट्र बन सकते हैं जहां बच्चों के खिलाफ अपराध करके कोई कानून से नहीं बच पाएगा।
यहां तक कि साइबर जगत में बच्चों के ऑनलाइन यौन शोषण के 1,000 से अधिक मामले दर्ज कर हमने एक स्पष्ट संदेश दिया है कि कानून का शासन हर बच्चे की सुरक्षा करेगा और हर जगह करेगा।”
हालांकि मध्य प्रदेश में बाल विवाह की दर 23.1 है जो राष्ट्रीय औसत 23.3 के मुकाबले मामूली कम है लेकिन कुछ जिलों में स्थिति गंभीर है। जैसे राजगढ़ में बाल विवाह की दर 46.0, श्योपुर में 39.5, छतरपुर में 39.2, झाबुआ में 36.5 और आगर मालवा जिले में 35.6 प्रतिशत है। कानून पर सख्ती से अमल के अभाव में बाल विवाह से बच्चियों का पढ़ाई छोड़ना और उनका शोषण व गरीबी के अंतहीन दुष्चक्र में फंसना जारी रहेगा।
मध्य प्रदेश में जेआरसी नेटवर्क के 17 सहयोगी संगठन पिछले दो वर्षों से राज्य के 41 जिलों में काम कर रहे हैं। यह नेटवर्क बाल विवाह, बच्चों की ट्रैफिकिंग, बाल यौन शोषण और बाल श्रम की रोकथाम के लिए जागरूकता के प्रसार और कानूनी हस्तक्षेप उपायों की दोहरी रणनीति पर काम करता है। जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन ‘चाइल्ड मैरेज फ्री इंडिया’ अभियान के सहयोग में भी अग्रिम मोर्चे पर है जिसका लक्ष्य 2030 तक भारत से बाल विवाह का खात्मा है।
बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम (पीसीएमए) 2006 बाल विवाह पर पूरी तरह पाबंदी लगाता है। यह कानून 18 वर्ष से कम उम्र की लड़की और 21 वर्ष से कम उम्र के लड़के को बच्चे के तौर परिभाषित करता है। इस कानून के तहत बाल विवाह को प्रोत्साहित करने या उसमें किसी भी तरह का सहयोग करने जैसे बारात में शामिल मेहमानों, हलवाई, सजावट करने वाले, बैंड वाले या घोड़ी वाले पर भी सजा व जुर्माने का प्रावधान है।
Bhuvan Ribhu