कांग्रेस ने कहा, हर राज्य का फॉर्मूला अलग-अलग
नई दिल्ली – कांग्रेस की नेशनल एलायंस कमेटी के सदस्य और पूर्व मंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा है कि रविवार को सीट शेयरिंग पर बातचीत शुरू होगी। इसमें आप और जेडीयू से सबसे पहले बात होगी। उन्होंने संकेत दिया कि हर राज्य का फॉर्मूला अलग-अलग होगा।
कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य सलमान खुर्शीद ने कहा कि 7 जनवरी से हम उन दलों से बातचीत करेंगे जिन दलों ने अपने प्रतिनिधि को बातचीत के लिए अधिकृत किया है। इसके बाद इंडिया गठबंधन की जो पार्टियां हमें समय देंगी, हम उनसे भी बात करेंगे। शुरुआत में हम उनकी अपेक्षाओं का अंदाजा लगाने की कोशिश करेंगे। हमारी अपनी पार्टी के नेतृत्व ने हमें बताया है कि कांग्रेस गठबंधन से क्या उम्मीद करती है। इसलिए, चाहे वे मेल खाते हों या नहीं, या जहां हमें बातचीत करने की जरूरत है – यह सब तब साफ हो जाएगा, जब हम दूसरे पक्ष से मिलेंगे।
सलमान खुर्शीद ने बताया कि रविवार को हम दिल्ली से शुरुआत कर रहे हैं। यहां आप से बातचीत होने जा रही है। उसी दिन, हमने जनता दल (यूनाइटेड) के साथ भी एक बैठक तय की है। अन्य लोग तब आएंगे जब उन्हें यह सुविधाजनक लगेगा। जब भी वे हमसे मिलना चाहेंगे हम उनसे मिलेंगे। हम बातचीत के लिए तैयार हैं और हमने इसे सर्वोच्च प्राथमिकता दी है।
पंजाब को लेकर अभी बातचीत नहीं
पंजाब को लेकर कांग्रेस की नेशनल एलायंस कमेटी के सदस्य सलमान ने साफ किया कि वहां अभी बातचीत नहीं होगी। उन्होंने कहा कि पंजाब को लेकर हमारे कुछ नेताओं का नजरिया अलग है लेकिन हमने पंजाब में अपने पार्टी नेतृत्व से बात नहीं की है। हमें सलाह दी गई कि हम इसे कुछ समय के लिए रहने दें और जहां भी संभव हो सके, पहले वहां बात करें, जहां से बेहतर नतीजे निकल सकें। पंजाब में कुछ कठिनाइयां हैं और कांग्रेस नेतृत्व से संकेत मिलने पर हम उचित समय पर उन पर विचार करेंगे।
सीट शेयरिंग के लिए होंगे कुछ सिद्धांत
सीट शेयरिंग को लेकर तृणमूल कांग्रेस द्वारा बताई जा रही तमाम शर्तों पर सलमान खुर्शीद ने कहा कि दरअसल, सीट शेयरिंग के लिए कुछ सिद्धांत तो होंगे। लेकिन ये व्यापक सिद्धांत केवल हमारा शीर्ष नेतृत्व ही तय कर सकता है। तभी हम इस पर कार्रवाई कर सकते हैं। हम ये निर्णय खुद नहीं ले सकते। लेकिन वर्तमान में हमारी समझ जो है, उसके भीतर हम दूसरी तरफ से समझ की तलाश करेंगे। बता दें कि तृणमूल कांग्रेस ने कहा है कि सीट शेयरिंग चार सिद्धांतों पर होना चाहिए – लोकसभा की ताकत, विधानसभा की जीती गई सीटें, लोकसभा और विधानसभा दोनों की ताकत का मिश्रण और उस राज्य के प्रमुख भागीदार को वीटो का अधिकार यानी वो चाहे तो उसे माने या न माने।