मॉस्को। एक भारतीय एजेंट ने रूसी सेना के लिए ‘army security helpers’ यानी सेना सुरक्षा सहायक के रूप में भर्ती किए जाने के बाद अनुमानित 20 लोग अभी भी रूस में फंसे हुए हैं। विदेश मंत्रालय ने यह जानकारी दी
बताय अजा रहा है कि उनमें से कुछ को यूक्रेन के खिलाफ रूस का युद्ध लड़ने के लिए मजबूर किया गया है और कुछ ने भर्ती के समय वादा की गई राशि का भुगतान नहीं किए जाने की शिकायत की है, जिससे उन्हें मदद के लिए सरकार के पास पहुंचने के लिए मजबूर होना पड़ा है।
यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार को यूक्रेन के खिलाफ युद्ध लड़ने के लिए रूस में फंसे भारतीयों की संख्या का अनुमान है, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने कहा, हमें पता है कि करीब 20 लोग फंसे हुए हैं। उनके जल्दी डिस्चार्ज होने के लिए हम अपने स्तर पर प्रयास कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि फंसे हुए भारतीयों से कहा गया है कि वे युद्ध क्षेत्र में न जाएं या कठिन परिस्थितियों में न फंसें। हम यहां और मॉस्को दोनों जगह रूसी अधिकारियों के साथ नियमित संपर्क में हैं। हम अपने भारतीयों के कल्याण के लिए गहराई से प्रतिबद्ध हैं।
बंदूक की नोक पर लड़ने के लिए सीमा पर भेजा गया
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, नवंबर 2023 से 18 भारतीय रूस-यूक्रेन सीमा पर अलग-अलग जगहों पर फंसे हुए हैं।
हालाँकि उन्होंने “सेना सुरक्षा सहायक” के रूप में काम करने के लिए अनुबंध पर हस्ताक्षर किए थे, उनमें से कुछ को हथियारों का प्रशिक्षण दिया गया था और बंदूक की नोक पर लड़ने के लिए सीमा पर भेजा गया था।
पिछले डेढ़ सप्ताह में दो बार, जब से यह कहानी पहली बार सामने आई है, मंत्रालय ने कहा है कि उसने सरकार के ध्यान में लाए गए प्रत्येक मामले को उठाया है। किसी भी स्थिति की तरह, जहां भारतीय संघर्ष की स्थिति में विदेशों में फंसे हुए हैं, हर कोई वहां से निकलना नहीं चाहता है और सरकार केवल उन्हीं लोगों को मदद की पेशकश कर सकती है जो वापस लौटना चाहते हैं।
7 अक्टूबर के आतंकवादी हमले के बाद इज़राइल से अंतिम निकासी के मामले में भी, देखभाल करने वालों के रूप में वहां कार्यरत 18,000 से अधिक भारतीयों ने वहीं रहने का विकल्प चुना।