2022 की तुलना में पिछले साल प्रवासन के दौरान मरने वालों के आंकड़ों में 20 फीसदी बढ़ोतरी
न्यूयॉर्क । ज़िन्दगी बेहतर बनाने की आस में 2023 में विदेश गए 8,565 लोगों ने जान गंवा दी। संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी आंकड़े दर्शाते हैं कि प्रवासियों के लिए 2023 अब तक का सबसे घातक वर्ष रहा। इस साल प्रवासन के दौरान रास्ते में ही बहुत से लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था। यह जानकारी संयुक्त राष्ट्र अन्तरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन (आईओएम) के मिसिंग माइग्रेंट्स प्रोजेक्ट द्वारा जारी रिपोर्ट में सामने आई है।
रिपोर्ट के अनुसार 2022 की तुलना में देखें तो 2023 में प्रवास के दौरान मरने वालों के आंकड़ों में 20 फीसदी की वृद्धि आई है। 2022 में 7,141 प्रवासियों की मौत हुई थी।
2016 में भी 8,084 लोगों की मौत हो गई थी। वहीं जनवरी 2014 से अब तक प्रवासन के दौरान 36,578 लोगों की जान जा चुकी है।

यदि सिर्फ 2024 में जनवरी और फरवरी से जुड़े आंकड़ों पर गौर करें तो इस साल में ही करीब 651 लोगों की प्रवासन के दौरान मौत हो चुकी है या उनका अब तक पता नहीं चला है। ऐसा ही एक मामला दिसंबर 2023 में सामने आया था, जब उत्तरी अफ्रीकी देश लीबिया में एक नाव के डूबने से 61 शरणार्थियों की जान चली गई थी। इस बारे में लीबिया स्थित इंटरनेशनल ऑर्गनाइजेशन फॉर माइग्रेशन का कहना है कि इस नाव में कुल 86 लोग सवार थे।
भूमध्य सागर, प्रवासियों के लिए बन रहा कब्रगाह
आंकड़ों की मानें तो प्रवासियों के लिए भूमध्यसागर सबसे घातक साबित हुआ है, जहां कम से कम 3,129 लोगों की मौत या गुमशुदगी की जानकारी सामने आई है। भूमध्यसागर प्रवासन मार्ग, दुनिया के सबसे खतरनाक और जानलेवा रास्तों में शामिल हैं। वहां इनकी सुरक्षा के मौजूदा तौर-तरीके कारगर नहीं हैं। यदि 2017 के बाद से देखें तो भूमध्यसागर में सबसे ज्यादा प्रवासियों की मौत 2023 में दर्ज की गई है।
वहीं क्षेत्रीय तौर पर देखें तो जहां एशिया में 2,138 जबकि अफ्रीका में 1,866 प्रवासियों की मौतें दर्ज की गई। इनमें एशियाई क्षेत्र में अफगान और रोहिंग्या शरणार्थियों की मौतें उस समय हुई जब वे अपना देश छोड़कर जा रहे थे। वहीं अफ्रीकी क्षेत्र में अधिकांश मौतें सहारा मरुस्थल और केनेरी द्वीपों को जाने वाले समुद्री मार्ग में हुई हैं।
गौरतलब है कि इटली के लैम्पेडुसा में तटीय इलाके के नजदीक दो जहाजों के डूबने के बाद, संयुक्त राष्ट्र प्रवासन एजेंसी ने दस साल पहले मिसिंग माइग्रेंट्स परियोजना की स्थापना की थी। यह प्रवासियों की मौतों और उनके लापता होने की घटनाओं से जुड़ा एक अहम डेटाबेस है। जो सतत विकास के लक्ष्यों के तहत सुरक्षित प्रवासन को आंकने का एकमात्र सूचक है।
इस परियोजना ने अब तक दुनिया भर में इस तरह के 63 हजार से अधिक मामलों के बारे में जानकारी जुटाई है, मगर इनसे जुड़ा वास्तविक आंकड़ा इससे कहीं अधिक होने की आशंका है। बता दें कि 2014 से अब तक 63,858 लोगों की गुमशुदगी की जानकारी सामने आ चुकी है।
वैश्विक स्तर पर अब तक प्रवासियों की मौतों और गुमशुदगी के जो आंकड़े सामने आए हैं उनमें से 50 फीसदी से अधिक मौतें डूबने की वजह से हुई हैं, जबकि नौ फीसदी के लिए सड़क दुर्घटनाओं और सात फीसदी के पीछे की वजह हिंसा थी।

अंतराष्ट्रीय प्रवासन संगठन के मुताबिक दुनिया में करीब 3.6 फीसदी आबादी प्रवासियों की है। इन प्रवासियों ने 2022 में अपने परिवारों के भरण पोषण के लिए करीब 64,700 करोड़ डॉलर की रकम अपने मूल स्थानों को भेजी है।
आधी से ज्यादा मौतों के लिए जिम्मेवार हैं डूबने की घटनाएं
बता दें कि वैश्विक स्तर पर अब तक प्रवासियों की मौतों और गुमशुदगी के जो आंकड़े सामने आए हैं उनमें से 58 फीसदी से अधिक के लिए डूबने की घटनाएं जिम्मेवार थी। वहीं नौ फीसदी के लिए सड़क दुर्घटनाएं और सात फीसदी के पीछे की वजह हिंसा थी।
इसी तरह 14 फीसदी से अधिक मामलों में इनके कारणों का पता नहीं चल पाया है। वहीं मौतों और गुमशुदगी के 4,162 मामलो के लिए पर्यावरण की कठोर परिस्थितियां, पर्याप्त भोजन, पानी और आश्रय की कमी जिम्मेवार रही। वहीं 2,054 लोगों की मौतों और गुमशुदगी के लिए बीमारी और पर्याप्त स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंच की कमी जैसे कारक जिम्मेवार थे।
संयुक्त राष्ट्र एजेंसी ने ध्यान दिलाया है कि सुरक्षित व नियमित प्रवासन के मार्ग सीमित हैं। ऐसे में सुरक्षित व कानूनी विकल्पों के अभाव में लाखों लोगों को अपनी जान खतरे में डाल असुरक्षित परिस्थितियों में समुद्री मार्ग से अनियमित मार्गों से प्रवास करने को मजबूर होना पड़ता है। कई मामलों में तो इन प्रवासियों को तस्करों की मदद तक लेनी पड़ती है, जिनके लिए इंसानी जीवन का कोई मोल नहीं है।

इस बारे में अंतराष्ट्रीय प्रवासन संगठन के उपमहानिदेशक उगोची डेनियल्स ने ऐसी कार्रवाई पर बल दिया है जिससे अगले दशक में लोगों को बेहतर भविष्य की तलाश में खुद को खतरे में न डालना पड़े। उन्होंने जीवन की होने वाली क्षति को रोकने के लिए अपने प्रयासों को दोगुना करने पर जोर दिया है।