AMRITSAR : 2 महीनों में पंजाब राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पास जमा करनी है राशि
AMRITSAR : नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल सख्त, न सुधरे तो फैक्टरी बंद कर दो
नई दिल्ली /अमृतसर। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने AMRITSAR स्थित एक रासायनिक उद्योग पर पर्यावरण नियम तोड़े पाने पर बड़ा जुरमाना लगाया है। एनजीटी नेअमर कलर केम इंडिया से एक करोड़ रुपए पर्यावरणीय मुआवजे के रुप में भरने का निर्देश दिया है। कलर केम इंडिया को यह राशि अगले दो महीनों के भीतर पंजाब राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीएसपीसीबी) के पास जमा करनी होगी।
कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि पिछले उल्लंघनों के लिए भी उनपर करवाई होगी। पिछले नियम तोड़ने पर अंतिम मुआवजे का निर्धारण पीएसपीसीबी द्वारा उद्योग सहित सभी पक्षों की सुनवाई के बाद पूरी जानकारी के आधार पर किया जाएगा। कोर्ट के निर्देशानुसार यह निर्णय तीन महीने के भीतर लिया जाना चाहिए। इस दौरान सभी पक्षों को सुनवाई का अवसर मिल जायेगा।
इस पर्यावरण क्षतिपूर्ति का भुगतान होने के बाद, राशि का उपयोग जिला प्रशासन और वन विभाग द्वारा क्षेत्र में पर्यावरण प्रबंधन कार्यक्रमों के लिए किया जाएगा। न्यायालय ने यह भी निर्देश दिया है कि पर्यावरण प्रबंधन गतिविधियों के लिए निर्धारित समयसीमा और बजट का विवरण देते हुए एक कार्य योजना तैयार की जानी चाहिए।
संयुक्त समिति गठित करने का आदेश
इस पर्यावरण प्रबंधन योजना को तैयार करने के लिए अदालत ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी), पीएसपीसीबी और AMRITSAR के डिप्टी कमिश्नर की एक संयुक्त समिति गठित करने का आदेश दिया है। समिति को तीन महीनों के भीतर योजना को अंतिम रूप देना होगा और अगले छह महीने के भीतर इसे लागू करना होगा।
एनजीटी ने इस मामले में एक उच्चस्तरीय समिति के गठन का भी निर्देश दिया है। इस समिति का काम औद्योगिक साइट का दौरा करना और यह जांचना है कि क्या अभी भी पर्यावरण नियमों को तोड़ा जा रहा है। समिति अपने निष्कर्षों की रिपोर्ट पीएसपीसीबी को देगी। यदि उल्लंघन पाया जाता है, तो पीएसपीसीबी को दोबारा बहाली किए जाने तक उद्योग को बंद कर देने की सलाह दी है।
उद्योग बिना अनुमति के भूजल का दोहन कर रहा था
यह उद्योग कपड़ा रंगने के लिए डाई और लंप्स का निर्माण करता है, इसे 1996 में स्थापित किया गया था। निरीक्षण के दौरान पाया गया कि इसका अपशिष्ट उपचार संयंत्र (ईटीपी) काम नहीं कर रहा था। इसका मतलब है कि इस उद्योग से हानिकारक अपशिष्ट निकल रहा था, जिससे पर्यावरण को नुकसान हो रहा है। अदालत को जानकारी दी गई है कि इस इकाई को बंद करने या अनुमति रद्द करने के आदेश के बाद भी यह काम करती रही। साथ ही, उद्योग बिना अनुमति के भूजल का दोहन कर रहा था।