Burning Forest : 106 जगह आग की घटनाएं
देहरादून। उत्तराखंड के जंगलों में लगी रुकने का नाम नहीं ले रही है। इस आग से हर दिन वन संपदा को नुकसान पहुंच रहा है। वनों की आग से सबसे अधिक कुमाऊं मंडल प्रभावित हुआ है। राज्य में पिथौरागढ़ वन प्रभाग में सर्वाधिक 106 जगह आग की घटनाएं हुईं हैं। तराई पूर्वी, अल्मोड़ा और चंपावत वन प्रभाग में भी पचास से अधिक जगह आग लग चुकी है। केवल नैनीताल सोइल कंजरवेशन वन प्रभाग में कोई भी घटना रिपोर्ट नहीं हुई है। गढ़वाल मंडल की बात करें तो सर्वाधिक घटना सिविल सोयम पौड़ी वन प्रभाग में हुई है। यहां 65 आग लगने की घटनाएं हुई हैं। मसूरी में भी 42 घटनाएं हुई हैं।
Burning Forest : ये इलाके हैं संवेदनशील
पिथौरागढ़ वन प्रभाग में पिथौरागढ़, गंगोलीहाट, बेड़ीनाग, डीडीहाट, अस्कोट, धारचूला, मुनस्यारी रेंज हैं। इसमें डीडीहाट रेंज आग की दृष्टि से सबसे अधिक संवेदनशील है। चंपावत वन प्रभाग के अंतर्गत जिले के पाटी ब्लॉक में इस बार आग की घटनाएं ज्यादा हुई हैं। इस प्रभाग में भिंगराड़ा चीड़ बाहुल्य क्षेत्र होने के कारण अधिक संवेदनशील बना हुआ है। अल्मोड़ा में जागेश्वर, सोमेश्वर, रानीखेत, मोहान, अल्मोड़ा, द्वाराहाट रेंज सबसे अधिक संवेदनशील हैं।
Burning Forest : कर्मियों की स्थिति
पिथौरागढ़ वन प्रभाग में गंगोलीहाट और डीडीहाट में रेंजर के पद रिक्त हैं। बेड़ीनाग रेंजर को गंगोलीहाट और अस्कोट के रेंजर को डीडीहाट का भी अतिरिक्त चार्ज दिया गया है। पिथौरागढ़ में दो सब डिविजन डीडीहाट और बेड़ीनाग हैं। दोनों में एसडीओ की तैनाती हो गई है। आग पर काबू पाने के लिए एक रेंज में लगभग 15 कार्मिकों की टीम और लगभग सौ फायर वाचर हैं।
किराये पर वहां लेकर बुझा रहे आग
चंपावत वन प्रभाग में दो एसडीओ के पद हैं, इसमें एक पद पर एसडीओ की स्थायी तैनाती है। यहां पर फायर सीजन शुरू होने के बाद चार वाहनों को किराए पर लेकर टीम आग बुझाने में जुटी है। हल्द्वानी वन प्रभाग में एक एसडीओ का पद रिक्त है। अल्मोड़ा वन प्रभाग में रेंजर के पांच, डिप्टी रेंजर के 10, वन दारोगा के 16 और वन रक्षक के 12 पद रिक्त हैं। वहीं सिविल सोयम में डिप्टी रेंजर का एक, वन दारोगा के आठ और वन रक्षक के 22 पद रिक्त हैं।
Burning Forest : जंगल की आग पर नियंत्रण के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। संवेदनशील जगहों पर स्वयं भी पहुंच रहा हूं। जहां कोई भी कमी है उसे दूर किया जा रहा है। – प्रसन्न पात्रो, मुख्य वन संरक्षक कुमाऊं।
Burning Forest : वास्तव में ज्यादा धधके, वेबसाइट पर कम दिखाए
धरातल पर ज्यादा जंगल धधक रहे हैं। इसमें कुमाऊं मंडल सबसे ज्यादा प्रभावित है पर वन विभाग की वेबसाइट पर वनाग्नि की सूचना कम दर्ज हुईं हैं। यह एक वन प्रभाग का मामला नहीं है, बल्कि कई प्रभागों में यही स्थिति दिखी है। बाद में वन विभाग ने आननफानन वेबसाइट पर सूचना को अपडेट किया।
Burning Forest : वन विभाग की वेबसाइट पर वनाग्नि के संबंध में सूचना दी जाती है। इसमें रीजन के अलावा प्रभागवार भी सूचना का उल्लेख होता है। प्रभागवार आग की घटना, प्रभावित क्षेत्रफल, आग किस तरह के जंगल में लगी, मानव क्षति समेत अन्य डिटेल होती है। विभाग ने चार मई तक जो सूचना अपडेट की थी, इसमें पिथौरागढ़ वन प्रभाग में 88 आग लगने की सूचना और करीब 129 हेक्टेयर क्षेत्रफल में नुकसान होने की बात का उल्लेख था। पर प्रभाग में आग की चार मई तक जंगल में आग लगने की 106 घटना हो चुकी थी, इसमें 159.7 हेक्टेयर क्षेत्रफल में वन संपदा को नुकसान पहुंच चुका था।
Burning Forest : अल्मोड़ा वन प्रभाग, सिविल सोयम वन प्रभाग, अल्मोड़ा से लेकर तराई पूर्वी वन प्रभाग में कुल वनों की आग की घटना कम की सूचना उल्लेख था। बाद में प्रभाग स्तर और मुख्यालय की वेबसाइट में दी जा रही सूचनाओं में अंतर को लेकर अधिकारियों से पूछा गया, इसके बाद विभाग हरकत में आया। बाद में विभागीय वेबसाइट में सूचनाओं को अपडेट किया गया। अफसरों ने कहा, वनाग्नि की सूचनाएं विभागीय वेबसाइट पर अपडेट नहीं थी। इसका पता चलने के बाद संबंधित अधिकारियों और कर्मियों को सूचना को प्रतिदिन अपडेट करने को कहा गया है। जो कमी थी, उसको सुधारने के लिए कदम उठाए गए हैं।
Burning Forest :
https://telescopetimes.com/category/trending-news/national-news
https://www.downtoearth.org.in/coverage/forests/dousing-flames-53966