नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने विदेशी फंडिंग कानून के उल्लंघन पर 50 साल पुराने थिंक टैंक सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च (सीपीआर) का Foreign Contribution Regulation Act (FCRA) लाइसेंस रद्द कर दिया है। इसके साथ देश की कुछ सबसे प्रमुख सार्वजनिक हस्तियां जुड़ी हुई थीं। मालूम हो कि किसी भी एनजीओ या एसोसिएशन को विदेशी फंडिंग लेने के लिए एफसीआरए लाइसेंस अनिवार्य है
पिछले साल जुलाई में सेवानिवृत्त वरिष्ठ सिविल सेवकों के समूह ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को एक खुले पत्र में एफसीआरए के तहत देश में गैर सरकारी संगठनों के लगातार उत्पीड़न पर चिंता जताई थी। उनसे इसे रोकने के लिए आग्रह किया था। गृह मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि एफसीआरए प्रावधानों के उल्लंघन के लिए पिछले चार वर्षों में 7,000 से अधिक गैर सरकारी संगठनों के एफसीआरए लाइसेंस रद्द कर दिए गए हैं।
सीपीआर ने एक बयान में कहा, 10 जनवरी को सीपीआर को गृह मंत्रालय से उसका एफसीआरए दर्जा रद्द करने का नोटिस मिला। इस निर्णय का आधार समझ से परे और असंगत है।
पिछले साल फरवरी में, गृह मंत्रालय ने कथित उल्लंघनों के लिए सबसे पहले सीपीआर के एफसीआरए लाइसेंस को 180 दिनों के लिए निलंबित कर दिया था और बाद में निलंबन को बढ़ा दिया गया था। इससे पहले आयकर विभाग ने सीपीआर के परिसरों और राजधानी में अंतरराष्ट्रीय चैरिटी संगठन ऑक्सफैम इंडिया और इंडिपेंडेंट पब्लिक स्पिरिटेड मीडिया फाउंडेशन के कार्यालयों पर सर्वेक्षण/सर्वे किया था।
दूसरी और लाइसेंस रद्द होने पर फर्म ने कहा, ये कार्रवाई सितंबर 2022 में हुए एक आयकर सर्वेक्षण के बाद हुई। इन कार्रवाइयों ने फंडिंग के सभी स्रोतों को बंद करके संस्था की कार्य करने की क्षमता पर बुरा प्रभाव डाला है।
गृह मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि सीपीआर कथित तौर पर अपने एफसीआरए फंड का इस्तेमाल अवांछनीय उद्देश्यों (undesirable purposes ) के लिए कर रहा था, न कि उन शैक्षिक कार्यक्रमों के लिए जिनके लिए लाइसेंस दिया गया था।
सीपीआर की शासी निकाय की अध्यक्षता अब मीनाक्षी गोपीनाथ कर रही हैं, जो एक राजनीतिक वैज्ञानिक हैं, जो जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में पढ़ाती थीं और दिल्ली में लेडी श्री राम कॉलेज की प्रिंसिपल रही थीं। इसके अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी यामिनी अय्यर हैं, और बोर्ड के सदस्यों में पूर्व विदेश सचिव श्याम सरन शामिल हैं। बोर्ड के पूर्व सदस्यों में पूर्व प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह और भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश वाई.वी. चंद्रचूड़ शामिल हैं, जिनके पुत्र न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ भारत के वर्तमान मुख्य न्यायाधीश हैं।
सीपीआर का नेतृत्व पहले अकादमिक प्रताप भानु मेहता करते थे, जो मोदी सरकार के मुखर आलोचक थे। सीपीआर के साझेदारों और दाताओं में सरकारी संस्थानों से लेकर गैर-लाभकारी, शैक्षणिक संस्थान और नागरिक समाज तक के प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय संगठन शामिल हैं।
अधिकारियों ने कहा कि बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन, पेंसिल्वेनिया विश्वविद्यालय, विश्व संसाधन संस्थान और ड्यूक विश्वविद्यालय दानदाताओं में से हैं।
इस कार्रवाई पर नागरिक समाज समूहों ने सरकार पर असहमति को दबाने की कोशिश करने का आरोप लगाया है।