CRIME OF BEING FARMER : 100 -100 बार रिजेक्ट हो चुके कुछ लड़के
CRIME OF BEING FARMER: ऐश-आराम की हर चीज फिर भी लड़कियां चाहती हैं नौकरी वाला लड़का
बेंगलुरु। (CRIME OF BEING FARMER) ये कहानी है आईटी हब की। यहाँ के कई अमीर किसान कुंवारे हैं। कारण -लड़कियां नौकरी वाले से शादी करना चाहती हैं। संतोष को आठ साल में अपने जिले और आसपास की लगभग 100 लड़कियों ने शादी के लिए मना किया है। 35 साल के संतोष के पास बेंगलुरू से 140 किलोमीटर दूर तलाकडु गांव में लगभग दो एकड़ जमीन है। वह कई सालों से लड़की ढूंढ रहे।
संतोष के मुताबिक, उन्हें खारिज किए जाने की इकलौती वजह उनका काम है। जहां भी शादी की बात चलती है, वहां लड़की के परिवार वाले आर्थिक अस्थिरता को देखकर मना कर देते हैं। वह कहते हैं, – ‘आजकल यहां की लड़कियां आइटी सेक्टर में काम करने वालों या सरकारी नौकरी वालों को जीवन-साथी बनाना चाहती हैं, जो बेंगुलरू में रहता हो। वे गांवों की जिंदगी बसर करना और खेतों में काम करना नहीं चाहती।’
संतोष की तरह सैकड़ों ऐसे किसान हैं, जिनके पास एक एकड़ से लेकर 25 एकड़ तक जमीन है लेकिन खेती शादी की राह में बाधा बन गई है। नंजनगुडे गांव के 32 साल के मल्लेश कभी-कभी खेती के साथ ही निर्माण के व्यवसाय से भी जुड़े हैं। उनके पास तीन मकानों के अलावा, 1200 गज के तीन प्लॉट और तीन एकड़ का खेत भी है लेकिन जीवन-साथी पाने के लिए उन्हें भी लंबा इंतजार करना पड़ा।
वह कहते हैं, ‘मजबूत आर्थिक-स्थिति के बावजूद मुझे 50-60 बार खारिज किया गया।’ हालांकि वह खुद को भाग्यशाली मानते हैं कि चार साल की कोशिशों के बाद इस साल फरवरी में उनकी शादी हो गई।
CRIME OF BEING FARMER : युवा किसान खेती पर ही फोकस करना चाहते हैं
मैसूर जिले के नंजनगुडु तालुक और मांडया जिले के मलावल्ली तालुक के गांवों में यह समस्या गंभीर है। ये इलाके कावेरी नदी के करीब होने के चलते उपजाऊ हैं और यहां सिंचाई के पर्याप्त साधन हैं। यहां के किसान मुख्य रूप से गन्ना, नारियल, सूरजमुखी, कपास, अदरक, मक्का और दालें उगाते हैं। स्थानीय ग्रामीण मंजूनाथ कहते हैं कि यह समस्या गंभीर इसलिए हो गई है क्योंकि युवा किसान कम पढ़े-लिखे हैं और भविष्य में खेती पर ही फोकस करना चाहते हैं।
उनके मुताबिक, ‘ कुछ लड़के, जो गांवों से निकलकर पढ़ाई के लिए शहर चले गये और जिन्हें वहीं नौकरी मिल गई, उनकी शादी हो गई क्योंकि लड़कियां उन्हें गांवों के कम पढ़े-लिखे लड़कों से बेहतर मानती हैं।’ वह आगे कहते हैं कि खेती से आय का नियमित जरिया न होने और शिक्षा की कमी होने की वजह से लड़कियां, गांव के किसान युवाओं को अपना जीवन-साथी नहीं बनाना चाहतीं।
CRIME OF BEING FARMER : लड़कियां खेत, चूल्हा चौंका नहीं करना चाहती
गांव में एक औरत को खेत में काम करना पड़ता है, घर के लोगों का ध्यान रखने के साथ ही घर के तमाम काम करने होते हैं, जो अब वे करना नहीं चाहतीं। मांडया जिले के ग्रामीणों से बातचीत में जानकारी मिली कि यहां की लड़कियां खुद आसपास में स्थित कपड़ों के या दूसरे कारखानों में काम करती हैं। हालांकि शादी के मामले में अब उनकी प्राथमिकता खेती करने वाले की बजाय प्राईवेट या सरकारी नौकरी करने वाले लड़के की हो गई है।
यह विषय वोकालिंगा समुदाय के लिए ज्यादा खास है क्योंकि वह खेती से जुड़ा है। इसके साथ ही इस क्षेत्र का लैंगिक अनुपात भी शादी के मुद्दे को प्रभावित करता है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के आंकड़ों के अनुसार, प्रति 1,000 पुरुषों पर ग्रामीण महिलाओं का लिंग अनुपात 2019-20 में 931 और 2015-16 में 910 था। मांडया में, यह 1,122 और 1,148 था, जबकि मैसूरु के लिए, इसी अवधि के लिए यह आंकड़ा 1,077 और 1,008 था।
2023 में नागमंगला तालुक के एक धार्मिक संगठन, ‘श्री आदिचुंचनागिरी महासमस्थान मठ’ ने सामूहिक विवाह समारोह का आयोजन किया। मांडया जिले के धनंजय ने बताया कि समारोह के लिए जहां दस हजार लड़कों ने नामांकन करया, वहीं लड़कियों की संख्या महज 250 थी।
कन्या भ्रूण हत्या
उनके मुताबिक, ‘यह केवल अंसतुलित लैंगिक अनुपात को ही नहीं बल्कि यह भी दर्शाता है कि लड़कियों की किसान समुदाय के व्यक्ति के साथ विवाह की इच्छा ही नहीं है।’ वह यह भी कहते हैं कि कन्या भ्रूण हत्या अभी भी इस जिले में हो रही है जबकि केंद सरकार ने दशकों पहले गर्भ में लिंग की जांच पर रोक लगा दी थी। उनके मुताबिक, ‘ पिछले केवल दो सालों में जिले में गर्भ में लिंग की जांच के कई रैकेटों का खुलासा हुआ है।
द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, मई 2024 में ही पांडवपुरा के सरकारी सबडिविजनल अस्पताल में सहायक के तौर पर काम करने वाली महिला और उसका एम्बुलेंस- ड्राईवर पति गैरकानूनी गर्भपात कराने में लिप्त पाये गये थे। इसी महीने सीआईडी की एक रिपोर्ट के बाद, मैसूर पुलिस ने मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी एक्ट के तहत सरकारी चिकित्सा अधिकारियों और कर्मचारियों सहित 17 लोगों को गिरफ्तार किया था।
दिसंबर 2023 में पुलिस ने प्रसव पूर्व लिंग निर्धारण रैकेट का खुलासा किया था, जिसका जाल बेंगलुरू, मांडया और मैसूर जिलों में फैला था। इसमें एक डॉक्टर और उसका लैब टेक्नीशियन, पिछले तीन साल में नौ सौ से ज्यादा अवैध गर्भपात कराने में शामिल पाये गये थे।
हालांकि इस पहलू पर कम बात होती है और गांवों के लोग इसे लड़कों की शादी के लिए लड़कियां न मिलने की वजह मानने से इंकार करते हैं।
देवीपुरा गांव के रहने वाले 32 साल के मल्लेषा डीपी ने कहा, ‘ लड़के शादी के लिए अब जाति से बाहर जाने, लड़की के लिए पैसा चुकाने, शादी का पूरा खर्चा उठाने और यहां तक कि जमीन का एक हिस्सा होने वाली पत्नी के नाम पर करने को तैयार हैं। इसके बावजूद लड़की और उसके परिवार वालों को राजी कर पाना चुनौतीपूर्ण है।
CRIME OF BEING FARMER : शहरों वाली तमाम सुविधायें हैं, इसके बावजूद..
मेरे पास घर, वाशिंग मशीन, टीवी, फ्रिज और शहरों वाली तमाम सुविधायें हैं, इसके बावजूद मेरी शादी नहीं हो पा रही।’ मल्लेषा को अब तक कम स कम तीस लड़कियों या उनके परिवार वालों ने खारिज किया है। आर्ट में स्नातक मल्लेषा बताते हैं कि शादी के लिए विधवा या तलाकशुदा महिलायें ढूंढना भी मुश्किल हो रहा है क्योंकि अकेली होने के महीने भर के भीतर ही उनकी शादी हो जाती है।
देवीपुरा के शंकर नायक ने कहा कि उनके दोस्तों और उनसे छोटे लड़कों की भी शादियां हो चुकी हैं। वह कहते हैं- ‘गांव के किसी कार्यक्रम में शामिल होने में हमें शर्म आती है, कई बार लोग हम पर हंसते भी हैं।’ चालीस के हो चुके शंकर ने अब शादी के लिए लड़की ढूंढना भी छोड़ दिया है।
इस बारे में इलाके की महिलाओं से बात करने की कोशिश की गई लेकिन बात नहीं हो सकी। उनका कहना था कि वे इस बारे में बात करने को लेकर सहज नहीं हैं और हमें उनके परिवार वालों से ही इस बारे में बात करनी चाहिए। -डाउन टू अर्थ
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