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Danger : प्लास्टिक में इस्तेमाल होने वाले केमिकल हृदय रोगों से होने वाली मौतों की बड़ी वजह

The Telescope Times
Last updated: July 26, 2025 9:17 pm
The Telescope Times Published July 26, 2025
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Danger
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Danger : भारत में सबसे ज्यादा मौतें प्लास्टिक के केमिकल डीईएचपी से

Danger : 2018 में दुनियाभर में 3.56 लाख दिल के मरीजों की गई जान

डॉ. संजय पांडेय

नई दिल्ली। DANGER : प्लास्टिक को लचीला बनाने वाले रसायन डाइ-2-एथिलहेक्सिल फ्थैलेट (डीईएचपी) से 2018 में अकेले भारत में 1.03 लाख से अधिक और दुनियाभर में 3.56 लाख लोगों की मौतें दिल की बीमारियों के कारण हुईं। यह अब तक का पहला विश्लेषण है जिसने इन रसायनों से जुड़ी वैश्विक मृत्यु दर का इतना विस्तृत आकलन पेश किया है। लैंसेट ईबायोमेडिसिन में प्रकाशित एक वैश्विक अध्ययन ने यह चौंकाने वाला खुलासा किया है।

Contents
Danger : भारत में सबसे ज्यादा मौतें प्लास्टिक के केमिकल डीईएचपी सेDanger : 2018 में दुनियाभर में 3.56 लाख दिल के मरीजों की गई जानडॉ. संजय पांडेयकहां सबसे अधिक खतरावैज्ञानिकों की चेतावनीअन्य प्रभाव भी जानने के प्रयास


प्लास्टिक पाइप, खाद्य पैकेजिंग, सौंदर्य प्रसाधन और चिकित्सा उपकरणों को अधिक लचीला और टिकाऊ बनाने में उपयोग किए जाने वाले रसायनों फ्थैलेट से जुड़े गंभीर स्वास्थ्य जोखिमों पर वर्षों से चर्चा होती रही है। अब एक अंतरराष्ट्रीय शोध ने इस बहस को ठोस सबूतों में बदलते हुए स्पष्ट किया है कि इन रसायनों के संपर्क से दुनियाभर में दिल की बीमारियों से लाखों मौतें हो रही हैं और सबसे ज्यादा असर भारत पर पड़ा है।

एनवाईयू लैंगोन हेल्थ (अमेरिका) के नेतृत्व में हुए इस शोध में कहा गया है कि डीईएचपी के संपर्क से वर्ष 2018 में 3,56,238 मौतें हुईं, जो 55 से 64 वर्ष आयु वर्ग में वैश्विक हृदय रोग मृत्यु दर का 13 प्रतिशत है। भारत में सबसे अधिक 1,03,587 मौतें दर्ज की गईं, उसके बाद चीन और इंडोनेशिया का स्थान रहा। शोध में कहा गया है कि फ्थैलेट जैसे रसायनों के संपर्क की दर इन देशों में अधिक हो सकती है, क्योंकि यहां प्लास्टिक का उत्पादन तेजी से बढ़ा है जबकि पर्यावरणीय नियंत्रण और स्वास्थ्य सुरक्षा उपाय तुलनात्मक रूप से कमजोर हैं।

शोधकर्ताओं ने दुनियाभर के 200 देशों से पर्यावरण और स्वास्थ्य से जुड़े आंकड़ों, मूत्र में पाए गए डीईएचपी अवशेषों और हृदय रोग से संबंधित मृत्यु दर को आधार बनाकर यह विश्लेषण किया। अमेरिका के इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर निष्कर्ष निकाला गया कि इस रसायन से जुड़ी हृदय रोग से होने वाली मौतों का आर्थिक बोझ लगभग 510 अरब डॉलर आंका गया है जो बढ़कर 3.74 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है।शोध में पाया गया कि डीईएचपी से संपर्क शरीर में धमनियों में सूजन पैदा करता है, जिससे हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा बढ़ता है। इससे पहले 2021 में किए गए एक अध्ययन में भी हर साल 50,000 से ज्यादा समय से पहले मौतों को फ्थैलेट से जोड़ा गया था, जिनमें अधिकांश हृदय रोग से थीं। नया अध्ययन इन अनुमानों को वैश्विक स्तर पर सुदृढ़ करता है।

कहां सबसे अधिक खतरा

शोध में क्षेत्रीय असमानताओं की ओर भी ध्यान दिलाया गया है। दुनिया में हुई डीईएचपी सम्बंधित हृदय रोग मौतों में तीन चौथाई मध्य पूर्व, दक्षिण एशिया, पूर्वी एशिया और प्रशांत क्षेत्र में हुईं। हालांकि इन क्षेत्रों में अब भी हृदय मृत्यु दर अधिक है फिर भी पूर्वी एशिया और मध्य पूर्व में क्रमशः 42% और 32% की कमी दर्ज की गई।

वैज्ञानिकों की चेतावनी

शोधकर्ताओं ने साफ किया है कि विश्लेषण यह साबित करने के लिए नहीं है कि डीईएचपी अकेले हृदय रोग का कारण है। बल्कि यह दर्शाता है कि जब यह केमिकल शरीर में पहुंचता है तब आमतौर पर सांस, भोजन या त्वचा के संपर्क से यह हृदय और धमनियों पर बुरा असर डालता है। इसके साथ यह भी माना गया कि अन्य प्रकार के फ्थैलेट और अन्य आयु वर्ग की मृत्यु दर को इसमें शामिल नहीं किया गया, जिससे वास्तविक प्रभाव और अधिक व्यापक हो सकता है। वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि प्लास्टिक उत्पादों के निर्माण और उनके उपयोग से जुड़े इन अदृश्य रसायनों का वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य पर बड़ा प्रभाव है। खासतौर पर तेजी से औद्योगिक हो रहे देशों में, जहां इन रसायनों पर प्रतिबंध या पर्यावरणीय नियम ढीले हैं।

अन्य प्रभाव भी जानने के प्रयास

अब वैज्ञानिक यह पता लगाने की योजना बना रहे हैं कि अगर इन रसायनों के संपर्क को समय रहते कम किया जाए तो वैश्विक मृत्यु दर में कितनी गिरावट आ सकती है। साथ ही इन रसायनों के अन्य प्रभावों जैसे समय से पहले जन्म या प्रजनन संबंधी समस्याओं पर भी गहराई से शोध किया जाएगा। फ्थैलेट से जुड़े स्वास्थ्य जोखिम केवल वैज्ञानिक चिंता का विषय नहीं रह गए हैं, यह अब सार्वजनिक स्वास्थ्य नीति का हिस्सा बनने चाहिए। विशेषज्ञों की राय में यदि वैश्विक स्तर पर नीतिगत हस्तक्षेप नहीं किया गया तो दुनिया को इन अदृश्य जहरों की बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी।

DANGER TO LIFE FROM PLASTIC..
COVER STORY BY Dr. Sanjay Pandey

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