नई दिल्ली। (Edible oil ) पीएम मोदी ने 9 जून को अपना तीसरा कार्यकाल शुरू कर दिया है। उनके इस कार्यकाल के शुरू होने के दो तीन दिन में ही दालें और खाद्य तेल महंगे हो गये हैं। पिछले महीने तक इनकी कीमतों में 15% का इजाफा हुआ है।
इसकी वजह अर्जेंटीना और ब्राजील से सोयाबीन तेल की आपूर्ति में कमी और घरेलू सरसों तेल की कीमतों में बढ़ोतरी को बताया जा रहा है।
आपको बता दें कि सरकार हर साल 30 लाख टन सोयाबीन तेल और 25 से 30 लाख टन सूरजमुखी का आयात करती है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, अडानी विल्मर, इमामी एग्रोटेक और सनविन ग्रुप जैसी कंपनियों ने कहा कि अर्जेंटीना और ब्राजील से सप्लाई कम होने के कारण सोयाबीन तेल की कीमतें बढ़ी हैं। ऐसे में ये सप्लाई कब ठीक होगी और कब लोगों को राहत मिलेगी ये कहना मुश्किल है।
सूरजमुखी तेल की सप्लाई कम
इसके अलावा, NAFED और हरियाणा राज्य सहकारी आपूर्ति और विपणन महासंघ लिमिटेड ने बड़ी मात्रा में सरसों की खरीद की है। ऐसे में सरसों के दाम बढ़ गए हैं। फिलहाल सरसों का भाव 5650 रुपये है। ऐसे में इसकी कीमतें 15 फीसदी तक बढ़ गई हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, फिलहाल रूस और यूक्रेन से सूरजमुखी तेल की सप्लाई कम हो गई है। इसके अलावा, वहां फसल के लिए अभी भी ऑफ सीजन है। दरअसल, वहां बढ़ते तापमान का असर फसल पर पड़ा है। सूरजमुखी तेल की कीमतें पहले से ही 6.5% बढ़ गई हैं।
बाजार में मजबूती बने रहने की उम्मीद
इंडियन वेजिटेबल ऑयल प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष और इमामी एग्रोटेक के सीईओ सुधाकर देसाई ने कहा, “मैं यह नहीं कहूंगा कि आगे भी तेजी की संभावना नहीं है, लेकिन बाजार में मजबूती बने रहने की उम्मीद है।” कारोबारी सूत्रों का कहना है कि अर्जेंटीना में श्रमिकों के विरोध के कारण सोयाबीन तेल की सप्लाई प्रभावित हुई है, जिसके परिणामस्वरूप इस सीजन में सोयाबीन की पेराई कम हुई है। अर्जेंटीना ऑयलसीड क्रशर यूनियन ने प्रस्तावित आर्थिक कानून सुधारों के विरोध में हड़ताल का आह्वान किया था, जिसमें वेतन करों को बदलने की बात की गई थी जो क्रशर को प्रभावित करेगी।
बाढ़ से सोयाबीन तेल के उत्पादन पर और असर पड़ा
ब्राजील में बाढ़ से सोयाबीन तेल के उत्पादन पर और असर पड़ा है। अंतरराष्ट्रीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, फसल एजेंसी एमेटर (Emater) ने 5 जून को कहा कि ब्राजील के सबसे दक्षिणी राज्य रियो ग्रांडे डो सुल में हाल ही में आई बाढ़ से सोयाबीन के नुकसान का अनुमान 2.71 मिलियन टन था।