Education – 1,000 स्कूलों में प्रधानाचार्यों की कमी, 2,00,000 बच्चे उच्च शिक्षा से वंचित
चंडीगढ़, 17 सितंबर, 2025:
“पंजाब सरकार की यह कैसी ‘शिक्षा क्रांति’ है? राज्य के लगभग 1,000 सरकारी स्कूलों में नियमित प्रधानाचार्यों की कमी है, शिक्षकों की तो बात ही छोड़िए। सरकार ने शिक्षा व्यवस्था को इस हद तक बर्बाद कर दिया है कि लगभग 2,00,000 छात्रों को कॉलेज छोड़ना पड़ रहा है, जिससे वे उच्च शिक्षा से वंचित हो रहे हैं।”
ये सवाल उठाते हुए परगट सिंह ने कहा कि सिर्फ़ स्कूलों की रंगाई-पुताई और आम आदमी पार्टी के नेताओं के नाम वाले पत्थर लगाने से शिक्षा में क्रांति नहीं आएगी। स्कूलों के बुनियादी ढाँचे के विकास के साथ-साथ शिक्षकों की कमी को भी दूर किया जाना चाहिए। नियमित प्रधानाचार्यों की नियुक्ति की जानी चाहिए। लोग कल्पना कर सकते हैं कि बिना प्रधानाचार्यों के स्कूलों में शिक्षा की क्या स्थिति होगी।
Education – सरकारी कॉलेजों को निजी हाथों में सौंपकर शिक्षा का विनाश
सरकार ने सरकारी कॉलेजों को निजी हाथों में सौंपकर शिक्षा को विनाश की ओर धकेल दिया है। इन कारणों से 2,00,000 से ज़्यादा छात्र किसी न किसी कारण से सरकारी कॉलेजों से नाम वापस लेने को मजबूर हैं, जिससे उन्हें उच्च शिक्षा नहीं मिल पा रही है। उन्होंने कहा, “तो यह उनकी शिक्षा क्रांति है।”
उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि शिक्षा मंत्री हरजोत सिंह बैंस अहंकारी हैं और मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान किसी की बात सुनने को तैयार नहीं हैं। परगट सिंह ने कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री मान से 1,158 सहायक प्राध्यापकों के बारे में उनकी चिंताओं को सुनने की भी अपील की थी।
Education – 1,158 सहायक प्राध्यापकों और पुस्तकालयाध्यक्षों का दोष बस इतना था कि वे कल मुख्यमंत्री आवास के बाहर अपनी बात कहने के लिए प्रदर्शन करने गए थे। वे सरकार को यह याद दिलाने गए थे कि उसने सर्वोच्च न्यायालय में पुनर्विचार याचिका दायर करने का वादा किया था, लेकिन अभी तक ऐसा नहीं किया गया है। उनके साथ अन्याय हुआ है।
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