जालंधर /आदमपुर । 2024 से पहले अब तक की सबसे गर्म फरवरी 2016 में दर्ज की गई थी। यदि पिछले 12 महीनों यानी मार्च 2023 से फरवरी 2024 के बीच बढ़ते वैश्विक औसत तापमान को देखें तो औद्योगिक काल से पहले की तुलना में इस बार तापमान 1.56 डिग्री सेल्सियस अधिक था।
2024 शुरू होते ही तापमान बढ़ता रहा है, पहले जनवरी और अब फरवरी ने भी बढ़ते तापमान के पिछले सभी रिकॉर्ड को तोड़ दिया है। यह जलवायु इतिहास की अब तक की सबसे गर्म फरवरी है।
इस बारे में यूरोप की कॉपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस (सी3एस) ने पुष्टि की है कि फरवरी के दौरान सतह पर हवा का औसत तापमान बढ़कर 13.54 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया था, जो 1991 से 2020 के बीच फरवरी में दर्ज औसत तापमान की तुलना में 0.81 ज्यादा था। बता दें कि कोपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस यूरोपियन यूनियन के अर्थ ऑब्जरवेशन प्रोग्राम का हिस्सा है।
फरवरी के शुरूआती दिन बहुत ज्यादा गर्म रहे। आठ से 11 फरवरी के बीच तो स्थिति इस कदर बिगड़ गई कि इन चार दिनों में तापमान लगातार दो डिग्री सेल्सियस के ऊपर पहुंच गया।
केवल भारत में ही नहीं, फरवरी 2024 के दौरान यूरोप में 1991 से 2020 के बीच औसत तापमान से 3.3 डिग्री सेल्सियस अधिक था। वहीं मध्य और पूर्वी यूरोप में तो औसत तापमान की स्थिति इसके कहीं ज्यादा खराब थी। इसी तरफ फरवरी 2024 के दौरान उत्तरी साइबेरिया, उत्तरी अमेरिका के मध्य और उत्तर-पश्चिमी हिस्सों, अधिकांश दक्षिण अमेरिका, अफ्रीका और पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया में तापमान औसत से कहीं ज्यादा रहा।
इस बढ़ते तापमान में अल नीनो की भूमिका से इंकार नहीं किया जा सकता। विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) ने अपने नए अपडेट में कहा है कि इस साल मार्च से मई के बीच अल नीनो के बने रहने की आशंका करीब 60 फीसदी है। वहीं इसके अप्रैल से जून के बीच तटस्थ रहने की 80 फीसदी संभावना जताई जा रही है।
हालांकि वैज्ञानिकों ने आशंका जताई है कि यह इसके बावजूद आने वाले महीनों में जलवायु को प्रभावित करती रहेगी।
ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि अगले तीन महीनों में दुनिया के करीब-करीब सभी हिस्सों में तापमान सामान्य से ज्यादा रह सकता है। साथ ही बारिश का पैटर्न भी प्रभावित हो सकता है।