नई दिल्ली। दिल को रास्ता पेट से होकर जाता है। अरे भाई, हम कोई कहावत थोड़े न सुना रहे हैं। हम तो केंद्र सरकार के नक़्शे कदमों की बात कर रहे हैं। अगले आम चुनाव पास हैं। सरकार किसी तरह लोगों के पेट तक पहुंचना चाहती है। उसके लिए ई-नीलामी के माध्यम से एफसीआई चावल की बिक्री करना चाहती है वो भी भारत ब्रांड के तहत। चिंता तो है कि अगर लोगों ने महंगाई का ठीकरा फोड़ दिया तो चुनाव रिजल्ट बिगड़ जायेंगे।
सूचना के अनुसार, केंद्र सरकार खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत ई-नीलामी के माध्यम से एफसीआई चावल की बिक्री करना चाहती है। ऐसा करके घरेलू उपलब्धता को बढ़ावा देना और खुदरा चावल की कीमतों पर अंकुश लगाना सरकार की कोशिश थी पर ये युक्ति अब काम करती नहीं दिख रही। कारण है मंत्रालय के उक्त प्रयासों को कोई बहुत अच्छा रिस्पांस नहीं मिला है।
खाद्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि चावल की महंगाई पर काबू पाने के लिए सरकार एफसीआई (भारतीय खाद्य निगम) के चावल को ‘भारत’ ब्रांड के तहत बेचने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है, लेकिन रियायती दर अभी तय नहीं की गई है।
चावल की खुदरा बिक्री का प्रस्ताव
अधिकारी ने बताया, भारत चावल की खुदरा बिक्री का प्रस्ताव है लेकिन कीमत अभी तय नहीं की गई है।
ओएमएसएस के तहत, भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) ₹29 प्रति किलोग्राम के आरक्षित मूल्य पर गुणवत्तापूर्ण चावल की पेशकश कर रहा है। अधिकारी ने कहा, भारत चावल को समान दर पर बेचा जाए या कम दर पर, इसका फैसला मंत्रियों के समूह को लेना है। जब तक कीमत तय नहीं हो जाती तब तक लोगों और किसानों से बात करना बेमानी होगा।
सरकार पहले से ही भारत ब्रांड के तहत गेहूं का आटा और दालें भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन महासंघ (NAFED), राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता महासंघ (NCCF) और केंद्रीय भंडार द्वारा प्रबंधित दुकानों के माध्यम से बेच रही है।
एफसीआई इस साल अब तक ओएमएसएस के तहत केवल 3.04 लाख टन चावल ही बेच पाई है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, गेहूं के मामले में, नोडल एजेंसी ने ओएमएसएस के तहत 82.89 लाख टन गेहूं बेचा है।
चावल की मुद्रास्फीति साल-दर-साल 13% पर है और सरकार 2024 के आम चुनावों से पहले प्रमुख खाद्य कीमतों को लेकर चिंतित है।