वाराणसी। ज्ञानवापी मस्जिद समिति पूजा की अनुमति देने के खिलाफ इलाहाबाद हाई कोर्ट पहुंच गई। आरोप लगाया गया कि आधी रात में प्रशासन ने मुस्लिम पक्ष को किसी भी राहत से वंचित करने के लिए जल्दबाजी में ‘व्यास तहकाना’ खोल दिया।
रिपोर्ट के अनुसार, ज्ञानवापी मस्जिद समिति ने वाराणसी जिला अदालत के उस आदेश को चुनौती देते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय का रुख किया है, जिसमें हिंदुओं को ‘व्यास तहकाना’ या ज्ञानवापी संरचना के दक्षिणी तहखाने में पूजा करने की अनुमति दी गई है। आदेश के कुछ ही घंटों के भीतर मस्जिद के दक्षिणी तहखाने में 31 साल में पहली बार पूजा की गई।
याद रहे वाराणसी जिला अदालत के आदेश के बाद बुधवार देर रात ज्ञानवापी का व्यास तहखाना खोला गया और पूजा-अर्चना की गई।
मुस्लिम पक्ष ने कहा कि वे इलाहाबाद उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे क्योंकि वाराणसी जिला अदालत के आदेश में कुछ चीजों की अनदेखी की गई है। मुस्लिम पक्ष ने कहा कि 2022 की एडवोकेट कमिश्नर रिपोर्ट, एएसआई की रिपोर्ट, 1937 का फैसला मुस्लिम पक्ष के पक्ष में था, जबकि हिंदू पक्ष ने 1993 से पहले नमाज होने का कोई सबूत नहीं दिया।
अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी का प्रतिनिधित्व करने वाले वकीलों ने तत्काल सुनवाई की मांग करते हुए वीरवार को सुप्रीम कोर्ट का रुख किया, सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार ने उन्हें बताया कि सीजेआई ने उन्हें उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने के लिए कहा है।
प्रशासन के पास रात के अंधेरे में इस कार्य को जल्दबाजी में करने का कोई कारण नहीं है क्योंकि ट्रायल कोर्ट द्वारा पारित आदेश में उन्हें आवश्यक व्यवस्था करने के लिए पहले ही एक सप्ताह का समय दिया गया था।