शिमला । देशभर से कॉटन कैंडी को लेकर शिकायत आ रही हैं। हिमाचल प्रदेश में भी इसके सैंपल फेल पाए गए हैं। इस कारण एक वर्ष के लिए इसके उत्पादन, बिक्री और भंडारण पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है।
हिमाचल प्रदेश के सोलन शहर में 20 फरवरी को कॉटन कैंडी के सैंपल भरे गए थे, जिनकी जांच सीटीएल कंडाघाट लैब में की गई और रिपोर्ट में सेंपल फेल पाए गए। जांच रिपोर्ट में इसमें रोडोमाइन -बी नाम का केमिकल होने की पुष्टि हुई है।
रोडोमाइन-बी केमिकल कॉटन कैंडी में रंग लाने के लिए प्रयोग में लाया जाता है और फूड सेफ्टी एडं स्टैंडर्ड एक्ट 2006 के तहत इसका प्रयोग खाने की वस्तुओं में करना पूरी तरह प्रतिबंधित किया गया है।
कॉटन कैंडी के सैंपल लेने वाले नगर निगम सोलन में खाद्य सुरक्षा अधिकारी डॉ अतुल कैस्था का कहना है कि लैब की रिपोर्ट में सैंपल फेल होने की जानकारी राज्य सरकार को तुरंत दी गई। जिसके बाद सरकार ने कॉटन कैंडी की बिक्री पर रोक लगा दी है।
रोडामाइन बी को कपड़ों की रंगाई के साथ चमड़ा और अन्य उद्योगों में एक ‘पिगमेंट’ के रूप में इस्तेमाल किए जाता है, लेकिन खाद्य पदार्थों में इसका इस्तेमाल प्रतिबंधित है। रोडामाइन बी एक सिंथेटिक ‘डाई’ (रंग) है जो इसे गुलाबी रंग देता है।
फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एफएसएसएआई) ने रोडामाइन बी को खाद्य पदार्थों में इस्तेमाल किए जाने पर प्रतिबंधित कर रखा है।खाद्य पदार्थों को तैयार, प्रासेस और वितरण करने में इसका इस्तेमाल करना फ़ूड सेफ़्टी एंड स्टैंडर्ड्स एक्ट 2006 के तहत दंडनीय अपराध है
स्वास्थ्य सचिव हिमाचल प्रदेश एम सुधा देवी ने कॉटन कैंडी के सैंपल फेल होने के बाद इनके उत्पादन,बिक्री और भंडारण पर अगले एक वर्ष तक पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने को लेकर अधिसूचना जारी कर दी है।
अधिसूचना में खाद्य सुरक्षा और मानक (एफएसएसए) अधिनियम, 2006 धारा 30 (2)(ए)के तहत राज्य में ‘कॉटन कैंडी’ (किसी भी नाम से), चाहे वह पैकेज्ड हो या खुला, के भंडारण, वितरण या बिक्री को एक वर्ष के लिए प्रतिबंधित किया जाता है। स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि यदि कोई व्यक्ति कॉटन कैंडी का व्यापार करते हुए प्रदेश में पाया जाता है तो उसके खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।