Homebound ‘बेस्ट इंटरनेशनल फ़ीचर’ कैटेगरी के लिए इसे नॉमिनेट
Homebound के लिए कान फ़िल्म फ़ेस्टिवल में 9 मिनट खड़े रहे लोग
मुंबई /जालंधर। ‘Homebound’ को इस बार ऑस्कर के लिए भारत की ऑफ़िशियल एंट्री के तौर पर चुना गया है। यह नीरज घेवान की फ़िल्म है।
न्यूज़ एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़, 2026 एकेडमी अवॉर्ड्स में ‘बेस्ट इंटरनेशनल फ़ीचर’ कैटेगरी के लिए इसे नॉमिनेट किया गया है।
धर्मा प्रोडक्शन ने इसकी पुष्टि की और कहा है कि हमें गर्व है कि यह फ़िल्म भारत का प्रतिनिधित्व करेगी।
मालूम हो यह वही फ़िल्म है जिसके लिए कान फ़िल्म फ़ेस्टिवल में नौ मिनट तक तालियां बजी थीं।
इस फ़िल्म को कान समेत कई फ़िल्म फ़ेस्टिवल में सराहना मिली है। घेवान की भी ख़ूब तारीफ़ हो रही है।
खबरों के मुताबिक़ निर्देशक नीरज घेवान ने ‘होमबाउंड’ को ऑस्कर के लिए भेजे जाने पर अपनी ख़ुशी जताते हुए कहा, “होमबाउंड को बेस्ट इंटरनेशनल फ़िल्म कैटेगरी में भारत की ओर से ऑस्कर नामांकन के लिए आधिकारिक रूप से भेजे जाने को लेकर मैं बेहद सम्मानित महसूस कर रहा हूं। इस फ़िल्म की जड़ें हमारी धरती और हमारे देश के लिए प्रेम से जुड़ी हैं और इस फ़िल्म में हम सबके द्वारा साझा किए जाने वाले घरों की ख़ुशबू है। “
भारत से ऑस्कर में एंट्री के लिए भेजे जाने के लिए फ़िल्म फ़ेडरेशन ऑफ़ इंडिया को 24 फ़िल्मों के आवेदन मिले थे जिनमें से 10 हिंदी फ़िल्में, 6 मराठी, 5 तेलुगू , 1 कन्नड़, एक मणिपुरी और एक साइलेंट फ़िल्म इस दौड़ में शामिल थीं।
साल 2010 में फ़िल्ममेकर नीरज ने मसान फ़िल्म के साथ कान फ़िल्म फ़ेस्टिवल में डेब्यू किया था। बनारस में रची बसी ये फ़िल्म प्रेम, दु:ख, और जाति व्यवस्था का जो किस्सा कहती है वो काबिलेतारीफ है।

मसान को कान फ़ेस्टिवल में ‘अन सर्टन रिगार्ड’ कैटेगरी में दिखाया गया था। यहाँ उन फिल्मों को जगह मिलती है जो कुछ अलग, नई तरह की कहानियां बताती हैं।
इस फ़िल्म ने प्रोमिसिंग फ़्यूचर प्राइज़ अपने नाम किया था।
तब से, घेवान भारत के हाशिये पर पड़े तबके के लोगों की कहानी कहने की तलाश में थे।
पांच साल पहले कोविड महामारी के दौरान घेवान के दोस्त सोमेन मिश्रा ने उन्हें न्यूयॉर्क टाइम्स में छपे ‘टेकिंग अमृत होम’ नाम के एक आर्टिकल को पढ़ने की सलाह दी थी। ये आर्टिकल पत्रकार बशारत पीर ने लिखा था। सोमेन मिश्रा मुंबई में धर्मा प्रोडक्शंस के क्रिएटिव डेवलपमेंट के हेड हैं।
इस आर्टिकल में बताया गया था कि कैसे लॉकडाउन के दौरान लाखों लोग, जिनके पास कोई साधन नहीं था, सैकड़ों-हज़ारों किलोमीटर पैदल चलकर अपने गांव लौट रहे थे लेकिन नीरज को इस आर्टिकल की सबसे ख़ास बात इसमें दिखाई गई एक मुस्लिम और एक दलित लड़के के बीच की बचपन की दोस्ती लगी थी।

यही आर्टिकल उनकी नई फ़िल्म ‘होमबाउंड’ की प्रेरणा बना।
यह फ़िल्म भी कान फे़स्टिवल के ‘अन सर्टन रिगार्ड’ सेक्शन में दिखाई गई और प्रीमियर के बाद लोगों ने नौ मिनट तक खड़े होकर तालियां बजाईं।
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