Mass resignation : अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठने से एक और डॉक्टर की तबियत बिगड़ी
Mass resignation-अस्पतालों में अन्य सेवाएं दे रहे मुलाजिमों का भी संघर्ष में उतरने का ऐलान
कोलकाता। Mass resignation-पश्चिम बंगाल सरकार ने शनिवार को कहा कि राज्य संचालित अस्पतालों के डॉक्टरों का सामूहिक इस्तीफा वैध नहीं है और इसे सेवा नियमों के अनुसार व्यक्तिगत रूप से प्रस्तुत किया जाना चाहिए।
इस बीच उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के आलोक वर्मा की अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठने से तबियत बिगड़ गई जिन्हें इलाज के लिए ले जाना पड़ा। इससे तीन दिन पहले अनिकेत महतो को आईसीयू में भर्ती करना पड़ा था।
मालूम हो 9 अगस्त को आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक ट्रेनी डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या के बाद हालत काबू में नहीं आ रहे हैं।
दूसरी तरफ सरकारी अस्पतालों के कई डॉक्टरों ने सामूहिक रूप से हस्ताक्षरित “इस्तीफा” पत्र /Mass resignation सरकार को सौंपे हैं और बलात्कार और हत्या की शिकार हुई डॉक्टर के लिए न्याय की मांग की। उन्होंने कहा, वे आमरण अनशन पर बैठे जूनियर डॉक्टरों के समर्थन में करेंगे।
दूसरी तरफ अस्पतालों में काम कर रहे नॉन डॉक्टरों का कहना है, यदि कलकत्ता और अन्य जगहों पर कई शिक्षण अस्पतालों में वरिष्ठ डॉक्टरों का सामूहिक इस्तीफा पर्याप्त नहीं हुआ तो वे भी संघर्ष करेंगे। निजी अस्पतालों के नॉन डॉक्टरों ने भी भूख हड़ताल पर बैठे जूनियर डॉक्टरों के साथ एकजुटता दिखाते हुए सभी गैर-आपातकालीन सेवाओं को बंद करने का फैसला किया है।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के मुख्य सलाहकार अलपन बंद्योपाध्याय ने क्या कहा
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के मुख्य सलाहकार अलपन बंद्योपाध्याय ने यहां राज्य सचिवालय नबन्ना में संवाददाताओं से कहा, “जब तक कोई कर्मचारी सेवा नियमों के अनुसार व्यक्तिगत रूप से नियोक्ता को अपना इस्तीफा नहीं भेजता, यह इस्तीफा पत्र नहीं है।”
उन्होंने स्पष्ट किया कि डॉक्टरों द्वारा भेजे गए पत्र विशिष्ट मुद्दों को संबोधित किए बिना केवल सामूहिक हस्ताक्षर थे।
आर जी कर मेडिकल कॉलेज और आईपीजीएमईआर और एसएसकेएम अस्पताल सहित विभिन्न सरकारी अस्पतालों के वरिष्ठ डॉक्टरों द्वारा सामूहिक इस्तीफे के संबंध में भ्रम के बीच बंद्योपाध्याय ने स्थिति स्पष्ट करने की सरकार की मंशा पर जोर दिया।
इस सप्ताह की शुरुआत में, आर जी कर मेडिकल कॉलेज के वरिष्ठ डॉक्टरों के एक समूह ने अपने प्रदर्शनकारी जूनियर सहयोगियों के साथ एकजुटता दिखाने के लिए सामूहिक रूप से हस्ताक्षरित “सामूहिक इस्तीफा” Mass resignation पत्र भेजा था। इसके बाद, अन्य सरकारी अस्पतालों के डॉक्टरों द्वारा भी इसी तरह के पत्र भेजे गए।
इस सप्ताह की शुरुआत में, आर जी कर मेडिकल कॉलेज के वरिष्ठ डॉक्टरों के एक समूह ने अपने प्रदर्शनकारी जूनियर सहयोगियों के साथ एकजुटता दिखाने के लिए सामूहिक रूप से हस्ताक्षरित “सामूहिक इस्तीफा” पत्र भेजा था। इसके बाद, अन्य सरकारी अस्पतालों के डॉक्टरों द्वारा भी इसी तरह के पत्र भेजे गए।
राज्य के कई सरकारी अस्पतालों के जूनियर डॉक्टर अपने मारे गए सहकर्मी के लिए न्याय, राज्य के स्वास्थ्य सचिव के इस्तीफे और कार्यस्थल पर सुरक्षा बढ़ाने की मांग को लेकर आमरण अनशन पर हैं।
सरकार ने कहा कि सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाएं बाधित नहीं हुई हैं, क्योंकि वरिष्ठ डॉक्टर सामान्य रूप से काम कर रहे हैं। जूनियर डॉक्टरों ने 4 अक्टूबर को सरकारी मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में अपना ‘पूर्ण काम बंद’ कर दिया था।
सरकार ने कहा कि सामूहिक इस्तीफे को वरिष्ठ डॉक्टरों और उनके कनिष्ठ समकक्षों की एकजुटता के प्रतीकात्मक संकेत के रूप में समझा जा रहा है।
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