NIGHT TEMPERATURE : भारत में लू की वजह से हर साल औसतन 31,748 मौत
NIGHT TEMPERATURE : जानलेवा गर्मी के लिए बढ़ता शहरीकरण भी जिम्मेवार
NIGHT TEMPERATURE : पेड़ न लगाना और पेड़ काटते रहना भी खतरनाक
जालंधर /नई दिल्ली /चंडीगढ़ । (NIGHT TEMPERATURE) भारत में लू की वजह से हर साल औसतन 31,748 मौत हो रही हैं। लू और गर्म हवाएं हर साल दुनिया भर में 153,078 जिंदगियों को निगल रही हैं। इससे ज्यादा परेशान करने वाला क्या हो सकता है कि इनमें से हर पांचवी मौत भारत में हो रही है। दिन में तो व्यक्ति किसी तरह सब कुछ सहन कर लेता है। काम पर चले गए। गप्प-शप्प मार ली पर जब रात को भी चैन नहीं आता या फिर यूं कहें, गर्मी कम नहीं होती तो दिमाग चकरा जाता है। ये जानलेवा भी है। लैंसेट प्लैनेटरी हेल्थ में प्रकाशित एक अध्ययन का हवाला देते हुए यह कहा गया है कि अत्यधिक गर्म रातों में मौत का खतरा करीब छह गुणा तक बढ़ सकता है।
भारतीय शहरों में बढ़ते तापमान, भीषण गर्मी और लू को लेकर हाल ही में सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) ने भी रिपोर्ट जारी की है। ‘डिकोडिंग द अर्बन हीट स्ट्रेस अमंग इंडियन सिटीज’ नामक इस रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद, बेंगलुरु, कोलकाता, पंजाब और चेन्नई जैसे बहुत सारे शहरों में तो अब NIGHT TEMPERATURE भी नीचे नहीं जा रहा। गौरतलब है कि 2001 से 10 के दौरान गर्मियों में जमीन की सतह का तापमान दिन के अधिकतम तापमान की तुलना में रात में 6.2 से 13.2 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता था।
जनवरी 2001 से अप्रैल 2024 के आंकड़ों पर रिपोर्ट
लेकिन पिछली 10 गर्मियों में 2014 से 23 के बीच रात के समय तापमान में आने वाली यह गिरावट घट गई है। रिपोर्ट में लैंसेट प्लैनेटरी हेल्थ में प्रकाशित एक अध्ययन का हवाला देते हुए कहा है कि अत्यधिक गर्म रातों में मौत का खतरा करीब छह गुणा तक बढ़ जाएगा।
सीएसई की अर्बन लैब के सीनियर प्रोग्राम मैनेजर अविकल सोमवंशी का कहना है कि, “गर्म रातें दोपहर के सबसे ज्यादा तापमान जितनी ही खतरनाक होती हैं। अगर रात भर तापमान अधिक रहता है, तो लोगों को दिन की गर्मी से उबरने का मौका कम मिलता है।“ रात को नींद अच्छे से नहीं आती जिसकारण शरीर बेचैन और सिर भारी रहता है।
यह अध्ययन जनवरी 2001 से अप्रैल 2024 के आंकड़ों के विश्लेषण पर आधारित है। इस अध्ययन के मुताबिक कुछ शहरों में हवा का तापमान बहुत ज्यादा नहीं बढ़ा है, लेकिन बढ़ती नमी लोगों के लिए गर्मी के तनाव को बढ़ा रही है।
रिपोर्ट में इस बात की भी पुष्टि की गई है कि बेंगलुरु को छोड़कर, दिल्ली सहित अन्य पांच महानगरों में 2001 से 2010 के औसत की तुलना में 2014 से 2023 के बीच गर्मियों के दौरान औसत सापेक्ष आर्द्रता (नमी ) में पांच से दस फीसदी का इजाफा हुआ है। इसके साथ ही रिपोर्ट में जानलेवा गर्मी के लिए बढ़ते शहरीकरण को भी जिम्मेवार माना गया है।
रिपोर्ट ने पुष्टि की है कि सभी शहरों में निर्मित क्षेत्र और बढ़ते कंक्रीट में भारी इजाफा हुआ है। यह कंक्रीट अर्बन हीट आइलैंड इफेक्ट में इजाफा कर रहा है, जिसकी वजह से शहर और ज्यादा गर्म हो रहे हैं। देखा जाए तो शहरों में बढ़ता कंक्रीट और डामर गर्मी को रोके रखता है। नतीजन हवा में बढ़ता तापमान और नमी गर्मी के तनाव को बढ़ा रही है।
मानसून सीजन और ज्यादा गर्म हुआ
रिपोर्ट में इस बात पर भी प्रकाश डाला गया है कि पिछले दस वर्षों में दिल्ली, मुंबई, कोलकाता में मानसून सीजन और ज्यादा गर्म हो गया है। वहीं चेन्नई में मानसून के साथ देखी जाने वाली मामूली ठंड गायब हो चुकी है। हालांकि बेंगलुरू और हैदराबाद में मानसून सीजन अभी भी प्री-मानसून की तुलना में थोड़ा ठंडा है, लेकिन इस दौरान महसूस की जाने वाली ठंडक में गिरावट आई है।
चेन्नई में 20साल में हरित क्षेत्र में करीब 14 फीसदी की कमी
DOWN TO EARTH में छपी खबर में बताया गया है, इस बढ़ती गर्मी के लिए पेड़ों का कम होना भी जिम्मेवार है। उदाहरण के लिए जहां चेन्नई में पिछले दो दशकों में हरित क्षेत्र में करीब 14 फीसदी की कमी आई है, वहीं कंक्रीटीकरण दोगुना हो गया है। रिपोर्ट में बढ़ते उत्सर्जन, एयर कंडीशनर, रेफ्रिजरेटर आदि की वजह से वातावरण पर पड़ते असर को भी उजागर किया है, जिनकी वजह से एक तरफ जहां बिजली की मांग बढ़ रही है। साथ ही गर्मी में भी इजाफा हो रहा है।
जलाशयों का विस्तार करने पर जोर
ऐसे में जहां बढ़ते उत्सर्जन और तापमान पर लगाम लगाना जरूरी है। साथ ही शहरी योजना बनाते समय भी इसपर ध्यान देने की जरूरत है। सीएसई ने भी अपनी रिपोर्ट में हरित क्षेत्रों और जलाशयों का विस्तार करने पर जोर दिया है। रिपोर्ट में न केवल लू और भीषण गर्मी के दौरान आपातकालीन कदम उठाने की बात कही है साथ थी ऐसी योजनाओं को लागू करने की सिफारिश की है, जिनकी मदद से शहरों में बढ़ती गर्मी से निपटा जा सके। इनमें इमारतों, वाहनों और उद्योगों की वजह से बढ़ती गर्मी पर ध्यान देने पर जोर दिया है।
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