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Reading: OPERATION SINDOOR के बाद बौखलाए पाकिस्तानी आतंकवादी
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Telescope Times > Blog > Cover Story > OPERATION SINDOOR के बाद बौखलाए पाकिस्तानी आतंकवादी
Cover Story

OPERATION SINDOOR के बाद बौखलाए पाकिस्तानी आतंकवादी

The Telescope Times
Last updated: July 29, 2025 2:08 pm
The Telescope Times Published July 29, 2025
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OPERATION SINDOOR
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पाकिस्तान में नए नामों और नेटवर्क के तहत गतिविधियां तेज

OPERATION SINDOOR : जैश और लश्कर जैसे संगठन युवाओं को भारत के विरुद्ध भड़काने में लगे

डॉ. संजय पांडेय

नई दिल्ली/इस्लामाबाद। OPERATION SINDOOR/ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तानी आतंकवादी संगठनों ने नए नामों और छद्म संगठनों (फ्रंट ऑर्गनाइजेशंस) के जरिए अपनी गतिविधियां चलाना फिर शुरू कर दी हैं।

Contents
पाकिस्तान में नए नामों और नेटवर्क के तहत गतिविधियां तेजOPERATION SINDOOR : जैश और लश्कर जैसे संगठन युवाओं को भारत के विरुद्ध भड़काने में लगेडॉ. संजय पांडेयजैश-ए-मोहम्मद के छद्म संगठन और शाखाएंलश्कर-ए-तैयबा की छद्म इकाइयाँ और विंग्सतहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) की शाखाएं और विभाजनभारत की खुफिया प्रतिक्रियाअंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया और फॉलो-अपखतरा अभी भी जीवित, लेकिन भारत सतर्कपाक मीडिया निगरानी यूनिट ने भी पुष्टि की

भारतीय और अंतरराष्ट्रीय खुफिया रिपोर्टों के अनुसार जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हाल ही में प्रतिबंधित तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) जैसे संगठनों ने न केवल अपनी पुरानी संरचनाओं को पुनर्गठित किया है बल्कि सामाजिक धार्मिक संगठनों, मदरसों, मेडिकल ट्रस्ट, राहत संस्थानों और युवा संगठनों की आड़ लेकर काम शुरू कर दिया है ताकि अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों और निगरानी से बचा जा सके।

भारतीय खुफिया एजेंसियों के अनुसार जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और टीटीपी ने सरकारी और धार्मिक एनजीओ, मदरसों के शिक्षण नेटवर्क और पब्लिक वेलफेयर संगठनों की आड़ में अपनी गतिविधियों को फिर से तेज किया है। सिंध प्रांत में कराची के बाहरी क्षेत्रों में लश्कर-ए-तैयबा ने अल-इस्लाह ट्रस्ट नामक संस्था के माध्यम से भर्ती अभियान चलाया है। वहीं टीटीपी ने बाजौर और मीरानशाह जैसे इलाकों में पश्तून शौरियत के नाम पर युवाओं को हथियारबंद संघर्ष के लिए प्रेरित करना शुरू किया है।

रॉ और सिग्नल इंटेलिजेंस यूनिट (सिगइंट) द्वारा इंटरसेप्ट किए गए संदेशों में पाया गया है कि जैश और लश्कर जैसे संगठन यूट्यूब चैनलों, टेलीग्राम ग्रुप्स और व्हाट्सएप नेटवर्क्स के जरिए युवाओं को भारत के विरुद्ध भड़काने में लगे हैं।मौलाना अब्दुल सत्तार भट्टी और मौलवी जमील-उर-रहमान जैसे कट्टरपंथी मौलवियों की तकरीरें खैबर पख्तूनख्वा और पंजाब प्रांत में खुलेआम प्रसारित हो रही हैं, जिनमें भारत को मिटाने और गजवा-ए-हिंद जैसे नारे शामिल हैं।

पंजाब यूनिवर्सिटी लाहौर और कराची विश्वविद्यालय में भी छात्र संगठनों की आड़ में कट्टर इस्लामी साहित्य बांटा जा रहा है। खुफिया सूत्रों के मुताबिक कई छात्रों की पहचान की गई है जो ऑपरेशन सिंदूर के बाद बदले की कार्रवाई के लिए आतंकी शिविरों में शामिल हुए हैं। बलूचिस्तान में भी भारत विरोधी आग उगली जा रही है लेकिन वहां इन्हें तवज्जो नहीं मिल रही है।

जैश-ए-मोहम्मद के छद्म संगठन और शाखाएं

  1. अल रहमत ट्रस्ट: यह जैश-ए-मोहम्मद का धार्मिक और सामाजिक चेहरा है जो पाकिस्तान के पंजाब और बलूचिस्तान से सटे सीमा क्षेत्र में विशेष रूप से सक्रिय है। भारत में आतंकवादी भेजने के लिए फंडिंग और भर्ती नेटवर्क का संचालन यही संस्था करती है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने इसे जैश से संबद्ध घोषित किया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि इसका मुख्य उद्देश्य आतंकवादी नेटवर्क को वैध धार्मिक कार्यों की आड़ में समर्थन देना है।
    2. जमात-उल-फजाःऑपरेशन सिंदूर के बाद प्रशिक्षित युवाओं को सक्रिय बनाए रखने के लिए जैश-ए-मोहम्मद ने यह नया नाम अपनाया है। रिपोर्टों के अनुसार यह संगठन पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) और खैबर पख्तूनख्वा में विशेष रूप से सक्रिय है। इसका कार्य आतंकियों को दोबारा संगठित करना और उन्हें भारत विरोधी अभियानों के लिए तैयार करना है।

लश्कर-ए-तैयबा की छद्म इकाइयाँ और विंग्स

1.फला-ए-इंसानियत फाउंडेशन (एफआईएफ): यह लश्कर की प्रमुख छद्म संस्था है जो मानवीय सहायता, राहत शिविर और मेडिकल सहायता के कार्यों की आड़ में आतंकी फंडिंग का कार्य करती है। वर्ष 2008 के मुंबई हमलों के बाद यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रडार में आई और फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) तथा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) ने इसे प्रतिबंधित संगठनों की सूची में डाला। ऑपरेशन सिंदूर के बाद इसे भी भारत विरोधी कार्यों के लिए सकरी कर दिया गया है।
2.तेहरीक-ए-हुर्रियत वॉलंटियर नेटवर्क: यह इकाई सोशल मीडिया के माध्यम से हुर्रियत, मानवाधिकार और कश्मीर की आजादी जैसे मुद्दों की आड़ में भारत विरोधी प्रचार को बढ़ावा देती है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद इस नेटवर्क की गतिविधियों में तेजी आई है, विशेष रूप से वीडियो संदेश और भड़काऊ भाषणों की संख्या में अभूतपूर्व वृद्धि देखी गई है।
3.अंसार-उल-उम्मा:यह लश्कर की नवीनतम इकाई है जो भारत में आत्मघाती हमलों के लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित आतंकियों को तैयार कर रही है। भारतीय खुफिया एजेंसियों के अनुसार इस संगठन के लड़ाकों को अफगानिस्तान के कुंदुज और पाकिस्तान के उत्तरी वजीरिस्तान में उग्र सैन्य प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) की शाखाएं और विभाजन

1.जमात-उल-अहरार (जुआ): टीटीपी की यह शाखा सबसे अधिक हिंसक मानी जाती है और पाकिस्तान-अफगानिस्तान क्षेत्र में कई बड़े बम धमाकों की जिम्मेदारी ले चुकी है। भारत की खुफिया रिपोर्टों में इसका नाम पंजाब और कश्मीर को निशाना बनाने की योजनाओं में सामने आया है, जिससे इसके क्षेत्रीय विस्तार की मंशा उजागर होती है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद इसे भारत विरोधी कठिन टास्क दिए गए हैं।
2.शहरीन-ए-हिंद कमेटी: यह हाल ही में उभरा हुआ समूह है जो गजवा-ए-हिंद की कट्टर इस्लामी विचारधारा को भारत में फैलाने का प्रयास कर रहा है। इसकी प्रचार सामग्री विशेष रूप से हिंदी, पंजाबी और बांग्ला भाषाओं में इंटरनेट और मैसेजिंग ऐप्स के माध्यम से प्रसारित की जा रही है।
3.खुरासान ब्रिगेड: यह विशेष इकाई भारत और बांग्लादेश जैसे दक्षिण एशियाई देशों को लक्षित करने के लिए गठित की गई है। इसके ऑपरेशनल दस्तावेजों में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई की संदिग्ध भूमिका की ओर इशारा मिलता है, जो इसे अधिक रणनीतिक रूप से खतरनाक बनाता है।

भारत की खुफिया प्रतिक्रिया

भारतीय खुफिया एजेंसियों ने पोस्ट-सिंदूर काउंटर सर्विलांस डॉक्ट्रिन (पीएससीएसडी) के तहत आतंकियों की निगरानी और नेटवर्क ट्रैकिंग को और अधिक तेज कर दिया है। पता चला है कि पाकिस्तान की आतंकी फंडिंग नेटवर्क पर डोजियर तैयार कर संयुक्त राष्ट्र के आतंक वित्त निगरानी तंत्र को सौंपने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। सीमावर्ती इलाकों में उच्च सक्रिय इलेक्ट्रॉनिक सर्वेलेन्स ग्रिड (एचएईएसजी) लगाया है जो पाकिस्तान के आतंकी रेडियो सिग्नलों को रीयल-टाइम में इंटरसेप्ट कर रहा है। भारत सरकार के एक वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारी का कहना है कि ऑपरेशन सिंदूर ने न केवल आतंकी ढांचों को तोड़ा है बल्कि उनके विचारों और आत्मबल पर भी गहरी चोट पहुंचाई है। अब वे बौखलाहट में नए नाम और नए जाल बुन रहे हैं, लेकिन हम एक कदम आगे हैं।

अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया और फॉलो-अप

भारत ने पाकिस्तान के आतंकी पुनर्गठन को लेकर यूएनएससी और एफएटीएफ के समक्ष डोजियर पेश किया है। फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका जैसे देशों ने भी पाकिस्तान की भूमिका पर चिंता जताई है।
अमेरिकी थिंक टैंक ब्रुकिंग्स इंस्टीट्यूशन की रिपोर्ट में कहा गया है कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान में जिहादी समूहों की पुनर्गठन प्रक्रिया तेज हुई है और भारत की खुफिया तैयारियां उल्लेखनीय रूप से सक्रिय हैं।

खतरा अभी भी जीवित, लेकिन भारत सतर्क

ब्रुकिंग्स के अनुसार भले ही भारत ने सीमा पार आतंकी ढांचों को ध्वस्त कर दिया हो, लेकिन आतंकवाद एक विचारधारा है, जो नए चेहरे और माध्यम अपनाकर फिर सक्रिय हो जाती है।भारत की सतर्कता, खुफिया एकजुटता और वैश्विक कूटनीतिक प्रयास ही इस खतरे से रक्षा की पहली दीवार बने हुए हैं। कार्नेगी एंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस ने अपनी जुलाई 2025 की रिपोर्ट में चेतावनी दी है कि टीटीपी और इसकी सहयोगी इकाइयों की बढ़ती शाखाएं अब केवल अफगानिस्तान या पाकिस्तान तक सीमित नहीं रहीं बल्कि इनकी प्रचार रणनीति और भर्ती अभियानों का नया फोकस बांग्लादेश और दक्षिण-पूर्व एशिया बन गया है। टीटीपी खुरासान जैसी इकाइयों को पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई की अनदेखी सहमति प्राप्त है और यही कारण है कि अमेरिका और भारत दोनों इन संगठनों को प्रॉक्सी टेरर नेटवर्क्स मानते हैं जो क्षेत्रीय अस्थिरता के लिए पाकिस्तान के भीतर से ही संचालित हो रहे हैं।

पाक मीडिया निगरानी यूनिट ने भी पुष्टि की

पाकिस्तान मीडिया निगरानी यूनिट (पीएमएमयू) जो देश के भीतर कट्टरपंथी भाषणों और आतंकवादी प्रचार की निगरानी करती है, ने अपनी 2025 की ताजा रिपोर्ट में कहा है कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े प्रचार तंत्र ने न केवल धार्मिक नारों की तीव्रता बढ़ाई है, बल्कि सोशल मीडिया पर गजवा-ए-हिंद और शहादत जैसे शब्दों का प्रयोग 300 प्रतिशत तक बढ़ गया है। पीएमएमयू के मुताबिक खैबर पख्तूनख्वा, पेशावर और पीओके के कई मदरसों में दर्जनों नए यूट्यूब चैनल और पोस्टर अभियान शुरू हुए हैं, जिनमें भारत के खिलाफ जिहाद को धार्मिक कर्तव्य के रूप में पेश किया जा रहा है। यह प्रवृत्ति इस बात की पुष्टि करती है कि आतंकवादी संगठन अब पारंपरिक हथियारों के साथ-साथ सूचनात्मक युद्ध (इनफॉरमेशन वाॅरफेयर) को भी हथियार बना चुके हैं।

Dr. Sanjay Pandey

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