Pargat Singh का आरोप- बिगड़ती कानून व्यवस्था के साथ पंजाब को राष्ट्रपति शासन की तरफ धकेल रही पंजाब सरकार
हर रोज चल रही गोलियां, मारे जा रहे आम लोगों की सुरक्षा की सरकार को नहीं कोई चिंता
जालंधर, 20 दिसंबर: पूर्व शिक्षा मंत्री और विधायक Pargat singh /परगट सिंह ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार की तरफ से अधिकार आधारित महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) को खत्म करने का यह फैसला गरीबों, दलितों, महिलाओं, आदिवासियों और पिछड़े वर्गों के अधिकारें पर हमला है।
Pargat Singh ने इसकी कड़ी निंदा करते हुए कहा कि नए कानून वीबी जीरामजी के तहत राज्यों की हिस्सेदारी 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 40 प्रतिशत कर दी गई है, जिससे मनरेगा की मूल भावना खत्म हो गई है। इस मामले में कांग्रेस और अन्य पार्टियों को डटकर विरोध करना चाहिए।
परगट सिंह ने इस मामले में आम आदमी पार्टी की सरकार की तरफ से 30 दिसंबर को बुलाए गए स्पैशल सैशन का स्वागत करते हुए कहा कि मनरेगा पर ठोस प्रस्ताव पास किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार को चाहिए कि वह एक दिन का सैशन न करवा कर, पूरा विंटर सैशन बुलाए ताकि पंजाब के बाकी बड़े मुद्दों पर भी चर्चा हो सके।
मुख्यमंत्री विधायकों के हकों को न छीनें
केंद्र सरकार पहले पंजाब के खिलाफ पांच प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रही थी, अब इनको संख्या बढ़ाकर सात कर दी है। यह सभी पंजाब हितों के खिलाफ हैं। इन पर भी सैशन में सभी के साथ चर्चा होनी चाहिए। मुख्यमंत्री भगवंत मान एक दिन से स्पैशल सैशन बुलाकर विधायकों के हकों को न छीनें। उन्होंने मांग की है कि तुरंत पूरा सैशन घोषित किया जाए।
Pargat Singh ने कहा कि सैशन में पंजाब में बिगड़ी कानून व्यवस्था पर भी चर्चा होनी चाहिए। आज कानून व्यवस्था इस कद्र खराब होती जा रही है कि पंजाब सरकार राज्य को राष्ट्रपति शासन की तरफ धकेलती जा रही है। आम आदमी पार्टी की सरकार लोगों को सुरक्षा और पंजाब की अमन-शांति को बनाए रखने में हर पक्ष से नाकाम साबित हो रही है।
जालंधऱ में कालेज की प्रधानगी को लेकर शरेआम पैट्रोल पंप के पास गोलियां चलाई जाती हैं, शाहकोट में युवक को गर्दन में गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया जाता है और आज लुधियाना में मां-बेटी पर घर में घुसकर गोलियां चलाई जा रही हैं। जिसमें मां की मौत होने की सूचना है। पुलिस स्टेट बन चुका पंजाब अब लोगों के डर को बढ़ाते जा रहा है।

अंत में Pargat Singh ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुरू से ही मनरेगा को खत्म करने की योजना बना रहे थे। उन्होंने कहा कि पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार पहले ही 10 प्रतिशत हिस्सेदारी देने में असफल रही है, तो वह 40 प्रतिशत बोझ कैसे उठाएगी। मनरेगा एक मांग-आधारित अधिकार था, जिसमें हर व्यक्ति को 100 दिन का काम मांगने का हक था और काम न मिलने पर मुआवज़े का प्रावधान था। इस फैसले से महिलाएं सबसे ज्यादा प्रभावित होंगी, क्योंकि मनरेगा के तहत लगभग 50 प्रतिशत रोजगार महिलाओं को मिला था।






