poor fund utilisation : कई ऐसे प्रोजेक्ट थे जो शुरू ही नहीं हो पाए
poor fund utilisation : 415 स्वीकृत पदों में से 209 रिक्त, भर्ती की आवश्यकता पर बल
नई दिल्ली। poor-fund-utilisation: वैसे तो विभाग इस बात पर शोर डालते हैं कि सरकार पैसा नहीं दे रही और दूसरी तरफ ऐसे भी मंत्री और मंत्रालय हैं जो मिला हुआ फंड खर्च करने में नाकाम रहे हैं।
जी हाँ धन के खराब उपयोग पर चिंता जताते हुए एक संसदीय पैनल ने कहा है कि जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग ने दिसंबर 2024 के अंत तक 2024-25 के लिए 21,640.88 करोड़ रुपये के संशोधित आवंटन का केवल लगभग 58 प्रतिशत ही उपयोग किया है।
पैनल ने जल शक्ति मंत्रालय से निगरानी और कार्यान्वयन तंत्र को मजबूत करने का आग्रह किया। संसद में रखी गई रिपोर्ट में बताया गया कि जल शक्ति मंत्रालय काम को पूरा करने में धीमा रहा जिस कारण 42 फीसदी पैसा खर्च ही नहीं पाया। कई ऐसे प्रोजेक्ट थे जो शुरू ही नहीं हो पाए। जो चालू हुए वो पूरे नहीं हो पाए।
हालाँकि भूजल प्रबंधन, नदी बेसिन विकास और पोलावरम सिंचाई परियोजना के लिए जल शक्ति मंत्रालय ने 20 फीसदी फंड खुद ही बढ़वा कर लिया था।
संसदीय समिति ने जल शक्ति मंत्रालय से बाढ़ नियंत्रण और जल निकासी परियोजनाओं के क्रियान्वयन/IMPLEMENTATION में ब्रह्मपुत्र बोर्ड की क्षमता पर भी चिंता जताई।
समिति ने रेन हार्वेस्टिंग पर अधिक ध्यान देने को कहा

पैनल ने कहा कि कई ऐसी चीजें हैं जो समय पर पूरी होनी चाहिए क्योंकि एक बार उनके न होने पर कई करोड़ लोग प्रभावित हो सकते हैं। जान जा सकती हैं। घर टूट सकते हैं जैसे कि बाढ़ नियंत्रण उपाय।
इस बात को भी नोटिस में लाया गया कि 415 स्वीकृत पदों में से 209 रिक्त हैं, जिनमें प्रमुख तकनीकी पद भी शामिल हैं। पैनल ने इन कमियों को भरने और प्रभावी परियोजना को पूरा करना सुनिश्चित करने के लिए तत्काल भर्ती की आवश्यकता पर बल दिया।
समिति ने रेन हार्वेस्टिंग पर अधिक ध्यान देने का आह्वान किया, यह देखते हुए कि जल शक्ति अभियान: कैच द रेन अभियान ने प्रगति की है, लेकिन वर्षा जल संचयन के लिए राज्यों को कोई प्रत्यक्ष वित्तीय सहायता प्रदान नहीं की गई है।
पैनल ने वर्षा जल संचयन संरचनाओं के निर्माण और मरम्मत में तेजी लाने के लिए राज्यों और स्थानीय निकायों को अधिक धन और प्रत्यक्ष प्रोत्साहन देने की सिफारिश की।
रिपोर्ट में नदी जोड़ परियोजनाओं के साथ चल रहे मुद्दों को उठाया गया, जिसमें केन-बेतवा लिंक परियोजना और अन्य प्रमुख अंतर-राज्य जल हस्तांतरण योजनाओं का रुका हुआ कार्यान्वयन शामिल है।
पैनल ने मंत्रालय से अंतर-राज्यीय विवादों को हल करने और इन महत्वपूर्ण परियोजनाओं के लिए तेजी से मंजूरी देने का आग्रह किया।

समिति ने राज्य-स्तरीय निष्पादन की बेहतर निगरानी का आह्वान किया और मंत्रालय से धन जारी करने और परियोजना को पूरा करने में देरी को दूर करने का आग्रह किया। इसने कुशल उपयोग और समय पर परियोजना कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए संसाधन आवंटन के पुनर्मूल्यांकन की भी सिफारिश की।
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