जालंधर लिटरेचर फेस्ट में सुखजीत ने पंजाबी कहानी और उसके परिदृश्य के बारे बेबाक टिप्पणियां की थीं
जालंधर / माछीवाड़ा। कहानीकार सुखजीत नहीं रहे। दिल का दौरा पड़ने पर उनको चंडीगढ़ पीजीआई ले गए जहां उनकी मौत हो गई। उनके जाने से पंजाबी साहित्य जगत को बहुत नुकसान हुआ है।
पिछले साल अगस्त में लेखक देसराज काली इस जहां को अलविदा कह गए थे। देसराज काली द्वारा आयोजित जालंधर लिटरेचर फेस्ट (जेएलएफ) में सुखजीत ने पंजाबी कहानी और उसके परिदृश्य के बारे बेबाक टिप्पणियां की थीं।
मालूम हो कि साहित्य अकादमी ने साल 2022 में प्रतिष्ठित ‘साहित्य अकादमी’ पुरस्कार सुखजीत को कहानी संग्रह ‘मैं अयनघोष नहीं’ के लिए दिया था।
सुखजीत 1992 में एक साहित्यिक पत्रिका में अपनी पहली कहानी के प्रकाशन के साथ चर्चा में आए थे।
सुखजीत ने पुरस्कार मिलने पर कहा था, मैं इस पुरस्कार के मिलने पर विनम्र महसूस कर रहा हूं, और सबसे उत्साहजनक बात है मोहनजीत और सुरजीत पातर जैसे वरिष्ठ लेखकों के टेलीफोन कॉल, जिन्होंने मुझे बधाई दी। वास्तव में, युवावस्था में इन लेखकों को पढ़कर ही मैंने लिखना सीखा।
लेखक ने कई सालों तक खेती की। बाद में उन्होंने खुद को पूरी तरह से लेखन के लिए समर्पित कर दिया।
सुखजीत की कहानियों को मन और आत्मा की उन परतों के लिए सराहा गया है जिन्हें वह अपने कथा साहित्य में टटोलते हैं। उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था, मानव मन जटिलताओं से भरा है और मैंने हमेशा उन्हें अपनी कहानियों के माध्यम से पाठकों के साथ साझा करने का प्रयास किया है। लेकिन मैंने भारतीय मिथकों और दर्शनों की भी जांच की है।
सुखजीत ने साहसिक कलम चलाकर विवादों को भी जन्म दिया था। उनकी दूसरी पुस्तक के शीर्षक ‘हुन मैं रेप एन्जॉय करदी हां’ ने कई लोगों की भौंहें चढ़ा दीं थीं। उन्होंने स्पष्ट किया था, यह एक राजनीतिक कहानी थी, और बलात्कार में व्यवस्था के भ्रष्टाचार की ओर इशारा किया गया था।