माइग्रेन के लिए दी जाने वाली कारगर नहीं रही
लंदन। माइग्रेन के लिए रिमेजीपेंट दवाई को अंतरराष्ट्रीय मंज़ूरी मिल चुकी है। अमेरिका सहित 80 देशों में इसका इस्तेमाल किया जा रहा है। माइग्रेन के दौरे को टालने के लिए और दौरा पड़ने पर माइग्रेन नियंत्रित करने के लिए इस दवा को यूके में भी मंज़ूरी मिल गयी है। हालाँकि डॉक्टर ये दवा कुछ ख़ास स्थितियों में ही लेने की सलाह देते हैं। दवाइयों को मंज़ूरी देने वाली यूके की संस्था नेशनल हेल्थ एंड केयर एक्सीलेंस (एनआईसीई या नाइस) ने कुछ महीने पहले ही इस नयी दवा को मंज़ूरी दी है।
विशेषज्ञ पीटर गोड्सबी ने बताया, “वैसे तो ये दवा माइग्रेन के दौरे को टालने के लिए दी जाती है मगर मरीज़ को दवा तभी मिलती है जब उसे महीने में चार या उससे अधिक दिन माइग्रेन का दर्द उठता हो और आम तौर पर माइग्रेन के लिए दी जाने वाली कम से कम तीन दवाइयां कारगर नहीं रही हों। एक्यूट ट्रीटमेंट के लिए रिमेजीपेंट तब दी जाती है जब ट्रिप्टेन से होने वाला इलाज असफल रहा हो। ”
रिमेजीपेंट एक बड़ी उपलब्धि है लेकिन इससे ज़रूरत से ज़्यादा अपेक्षा नहीं की जा सकती।
पीटर गोड्सबी ने कहा, “रिमेजीपेंट कोई चमत्कारी दवा नहीं है। कई मरीज़ों को इससे बहुत फ़ायदा हुआ है मगर यह सभी के लिए फ़ायदेमंद नहीं है। अच्छी बात यह है कि इन दवाइयों के साइड इफ़ेक्ट बहुत कम हैं। “
माइग्रेन यानी सिर में तेज़ दर्द एक पेचीदा बीमारी है और दुनिया में लगभग एक अरब लोग इससे पीड़ित हैं।
यह एक ऐसी बीमारी है जिसके कारण सिरदर्द इतना तेज़ होता है कि रोज़मर्रा का काम तक करना मुश्किल हो जाता है।
वो कहते हैं, “ट्रायल में मिला है कि इसका इस्तेमाल करने वाले केवल एक से दो प्रतिशत लोगों को मतली की समस्या हुई है। बहुत से लोगों को माइग्रेन के बोझ से मुक्ति मिली है और उनकी ज़िंदगी बदल गयी है। पिछले कुछ सालों में इस दवा को बनाने के शोध कार्य में शामिल होना मेरे करियर का सबसे रोमांचक दौर साबित हुआ है.”
मगर माइग्रेन नियंत्रण के लिए और नयी दवाएं बनाने की ज़रूरत
अमेरिका के स्कॉट्सडेल स्थित मेयो क्लीनिक में न्यूरोलॉजिस्ट और सिरदर्द की विशेषज्ञ डॉक्टर अमाल स्टार्लिंग कहती हैं कि माइग्रेन महज तेज़ सिरदर्द नहीं है बल्कि यह हमारे दिमाग के काम करने के सभी तरीकों को प्रभावित करता है। वो कहती हैं, “जिस व्यक्ति को माइग्रेन का दौरा पड़ता है उसका उपचार केवल एस्पिरिन लेने से नहीं होता। माइग्रेन का दौरा पड़ने से इतना दर्द होता है कि दिमाग के काम करने की क्षमता बुरी तरह प्रभावित होती है।
माइग्रेन के दौरे के लक्षण कई चरणों में आते हैं.
डॉक्टर अमाल स्टार्लिंग ने बताया, “माइग्रेन के दौरे के पहले चरण में कुछ ना कुछ खाते रहने की इच्छा होती है या चिड़चिड़ाहट होती है। थकान होती है, जम्हाइयां आती हैं और गर्दन में दर्द शुरू होता है। ” तेज़ सिरदर्द पहले चरण के कुछ घंटों बाद शुरू होता है. तेज़ सिर दर्द के दौरान, रोशनी तेज महसूस होती है, बदन में झनझनाहट महसूस होती है और गंध की संवेदना प्रभावित होती है. मतली आने लगती है। ”
डॉक्टर अमाल स्टार्लिंग कहती हैं कि जरूरी नहीं है कि सभी मरीजों में यह सभी लक्षण हों। कुछ लोगों में इनमें से चंद लक्षण ही दिखाई देते हैं। लेकिन दर्द थमने के बाद दौरे के अंतिम चरण में दिमाग धुंधला महसूस करता है और अत्यधिक थकान महसूस होती है । पुरुषों की तुलना में महिलाएं माइग्रेन से अधिक प्रभावित होती हैं।
एक शोध के अनुसार, 15 से 49 की आयु के बीच की महिलाओं में दिमागी परेशानी का एक सबसे बड़ा कारण माइग्रेन है। इसकी वजह से मरीज काम नहीं कर पाते। डॉक्टर अमाल स्टार्लिंग के अनुसार अमेरिका में माइग्रेन के मरीजों के काम ना कर पाने से 11 अरब डॉलर का नुकसान होता है।
माइग्रेन के दर्द को भुला पाना मुश्किल होता है और मरीज हमेशा चिंतित रहते हैं कि दर्द का अगला दौरा कभी भी पड़ सकता है।
इस डर से वो प्लान नहीं कर पाते कि अगले दिन या दो दिन बाद उन्हें कैसे काम करना है, कहीं जाना हो तो कैसे जाना है।
डॉक्टर अमाल स्टार्लिंग कहती हैं कि यह स्पष्ट नहीं है कि यह बीमारी जेनेटिक यानी आनुवंशिकी है या नहीं लेकिन इसके दौरे अस्थमा के दौरे की तरह होते हैं। वो हफ़्ते में एक बार भी आ सकते हैं या कई बार आ सकते हैं।
यह ग़लतफ़हमी है कि जब सिर के केवल एक हिस्से में दर्द हो तभी वो माइग्रेन है
जिन लोगों को महीने में आठ से 15 दिन तक माइग्रेन होता है उन्हें क्रॉनिक या नियमित माइग्रेन की श्रेणी में गिना जाता है। जिन्हें आठ दिन से कम बार सिरदर्द होता है उन्हें एपिसोडिक माइग्रेन की श्रेणी में रखा जाता है। मगर कई बार इसका पता लगाना आसान नहीं होता।
डॉक्टर अमाल स्टार्लिंग कहती हैं कि कई मरीज सोचते हैं कि उनके परिवार में उनकी मां या बहन को सिरदर्द रहता था, या दूसरे लोगों को सिरदर्द रहता था तो यह कोई विशेष बात नहीं है। माइग्रेन का पता तभी लगता है जब मरीज डॉक्टर के पास पहुंचता है।
दूसरी चुनौती यह है कि कुछ लोगों में यह ग़लतफ़हमी है कि जब सिर के केवल एक हिस्से में दर्द हो तभी वो माइग्रेन है. यह सच नहीं है। माइग्रेन से सिर के दोनों तरफ दर्द हो सकता है।
माइग्रेन के लक्षणों को लेकर और भी कई ग़लत धारणाएं हैं। कई बार लोग गर्दन या साइनस से होने वाले सिरदर्द और माइग्रेन में फ़र्क नहीं कर पाते।
डॉक्टर अमाल स्टार्लिंग के अनुसार, “कई बार मरीजों में माइग्रेन के लक्षण साफ़ और तीव्र नहीं होते. मगर सिर चकराना माइग्रेन का एक स्थाई और प्रमुख लक्षण है. आम तौर कुछ लोगों को लगता है कि यह कान में ख़राबी की वजह से हो रहा है. मगर कान की जांच में पाया जाता है कि उसमें कोई समस्या नहीं है.”
“दरअसल समस्या यह होती है कि कान जब मस्तिष्क को सिग्नल भेजता है तो माइग्रेन से प्रभावित मस्तिष्क उसे सही तरीके से प्रोसेस नहीं कर पाता जिस वजह से शरीर के संतुलन में अस्थिरता आती है या सिर चकराता है.”
“माइग्रेन की पहचान और इलाज अगर समय रहते ना किया जाए तो स्थिति और बिगड़ सकती है और माइग्रेन क्रॉनिक माइग्रेन में तब्दील हो सकता है. अभी तक माइग्रेन के लिए विशेष दवा उपलब्ध नहीं है. दूसरे, हर मरीज़ में अलग किस्म का माइग्रेन हो सकता है. इसलिए हमें नहीं पता किस मरीज को किस दवा से लाभ होगा.”