अक्टूबर 2014 में ट्रांसपोर्ट फॉर लंदन ने शुरू किया था काम
लंदन। यहाँ अंडरग्राउंड ट्रेनों की एक नई पीढ़ी 2024 के दौरान काम पर लग जाएगी।
कहा जा रहा है कि ये tube Trains 40 साल तक कोई समस्या नहीं देगी।
पुराने ट्रांसपोर्ट में दशकों से कम निवेश किया जा रहा था। देरी, भीड़भाड़ और सुरक्षा संबंधी समस्याएं कारण थे। हालाँकि, 21वीं सदी की शुरुआत में एक ऐसे प्रोजेक्ट पर काम शुरू हुआ जिसके बारे में सोच कर विकसित देश होने का गर्व चरितार्थ होता था। इसमें अक्टूबर 2014 में ट्रांसपोर्ट फॉर लंदन द्वारा घोषित £16 बिलियन ($26 बिलियन) की परियोजना शामिल थी, जिसका उद्देश्य अपने रोलिंग स्टॉक को मौलिक रूप से किसी नई टेक्नोलॉजी में बदलना था।
इन भविष्योन्मुख नई गाड़ियों को इसलिए भी बनाया गया क्योंकि शहर की आबादी तेजी से बढ़ती दिख रही है। इसके 2050 तक 37% बढ़कर 11 मिलियन होने का अनुमान है।
इन खासियतों से लबरेज
1. लोगों की सुरक्षा चिंताओं का समाधान किया गया है।
2. विकलांगों के लिए सेवा में सुधार पर ध्यान दिया गए है।
3. यात्रियों के लिए सुखद यात्रा अनुभव प्रदान करना टॉप पर था।
4. चौड़े दरवाज़े व्हीलचेयर पर बैठे लोगों को प्लेटफ़ॉर्म से गाड़ी तक निर्बाध ले जा पाएंगे।
5. दरवाज़े के अवरोधक आत्महत्या या दुर्घटनाओं को रोक सकते हैं।
ट्रेनों को ऐसे बनाया गया है ताकि जगह ज़्यादा हो और चढ़ने में आसानी रहे। आधुनिक सिग्नलिंग और कंट्रोल पैनल बेहतर किया गया हैं। नियंत्रण प्रणालियों के संयोजन से – तेज, अधिक लगातार और अधिक विश्वसनीय सेवा प्रदान की जा सकती है। उदाहरण के लिए, पिकाडिली लाइन लंदन के कई शीर्ष पर्यटक आकर्षणों तक जाती है। इसकी क्षमता 60% बढ़ जाएगी। प्रति घंटे अतिरिक्त 19,000 यात्रियों को बोर्ड कर पायेगी।
पहले कुछ लाइनों पर गर्मी का तापमान और नमी बहुत ज़्यादा थी। इन सभी नई गाड़ियों में अब काफी बेहतर आराम के लिए एयर कंडीशनिंग की सुविधा है। इसके अलावा, हाई-टेक इलेक्ट्रॉनिक डिस्प्ले वास्तविक समय की जानकारी प्रदान करते हैं, जबकि बेहतर रोशनी एक “लिविंग रूम” का एहसास कराती है।
नई ट्यूब को पहली बार 2024 में पिकाडिली लाइन पर पेश किया जाएगा। इसके बाद बेकरलू, सेंट्रल और वाटरलू और सिटी लाइन पर।
जापान में भी सेल्फ-ड्राइविंग ट्रेनों पर काम
सेल्फ-ड्राइविंग ट्रेनें 2030 से शुरू करने की सम्भावना है। हालाँकि, लागत और सुरक्षा पहलुओं को लेकर आलोचना हो रही है। पर कुछ जगह ये ज़्यादा बेहतर हैं जैसे मानव चलित में लोग हड़ताल तक कर देते हैं।
उधर जापान में भी सेल्फ-ड्राइविंग ट्रेनों पर काम चल रहा है। उन्होंने 1981 में मानव रहित ट्रैन चला कर देखी थी पर बाद में इसे विस्तार नहीं दिया। उनकी भी योजना है कि 2027 तक सेल्फ-ड्राइविंग ट्रेनें ट्रैक पर ले आएं।
जर्मन रेल ऑपरेटर, डच बान और औद्योगिक समूह, सीमेंस ने 2021 में दुनिया की पहली स्वचालित और चालक रहित ट्रेन लॉन्च की थी । सेल्फ-ड्राइविंग ट्रेन को हैम्बर्ग शहर में लॉन्च किया गया था।