हड़तालियों को आश्वासन – कानून लागू करने से पहले ज़रूरी बदलाव संभव
नई दिल्ली। हिट एंड रन को लेकर बनाए जा रहे प्रस्तावित कानून के खिलाफ देश भर में बस और ट्रक के ड्राइवर तीन दिन से आंदोलन कर रहे थे। मंगलवार को हड़ताल को लेकर केंद्र की हड़ताल करने वाले लोगों के नेताओं के साथ मीटिंग थी। मीटिंग में हड़ताल वापस ले ली गई लेकिन सरकार ने अभी ये नहीं कहा कि हिट एंड रन केस के नए नियम बदल दिए जायेंगे। हड़तालियों को आश्वासन दिया कि कानून लागू करने से पहले ज़रूरी बदलाव किये जा सकते हैं।
देश के आठ राज्यों राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, बिहार, पंजाब, गुजरात और उत्तराखंड में बड़ी संख्या में ये ड्राइवर हड़ताल पर थे।
पंजाब में पहले दी गई थी राहत
पंजाब की आप सरकार ने शाम को ही कह दिया था कि सूबे में पेट्रोल-डीजल की कमी नहीं है। ऐसे में यहां हड़ताल की ज़रूरत नहीं। उन्होंने सभी जिलों के डीसी को आदेश जारी करने को कहा था ताकि लोग हाहाकार से बचें। मालूम हो कि कल रात से पेट्रोल पंपों पर भीड़ लगनी शुरू हो गई थी। सुबह होने तक हड़कंप मच गया था। लम्बी लाइनों के कारन जाम लग गया था। लोग तीन- तीन घंटे तक लाइनों में लगे रहे।
विस्तृत जानकारी के अनुसार, बस और ट्रक ये ड्राइवर भारतीय न्याय संहिता 2023 में प्रस्तावित संशोधन के बाद हिट एंड रन से जुड़े मामलों में दोषी पाये जाने पर ड्राइवरों पर 7 लाख रुपए तक का जुर्माना लगाने और 10 वर्ष तक की जेल के प्रावधान का विरोध कर रहे थे। उनका कहना है कि उनकी आय काफी कम होती है ऐसे में वह 7 लाख का जुर्माना कहां से भरेंगे। जुर्माना न भर पाने या अपने केस की सही तरीके से पैरवी नहीं कर पाने के कारण कम आय वाले ड्राइवर जेल जाएंगे।
कानून में हो रहे इस संशोधन के विरोध में मध्य प्रदेश के कई प्रमुख शहरों में सोमवार को जहां बसे नहीं चली वहीं अन्य राज्यों में ट्रक ड़्राइवरों ने दिन में घंटों ट्रकों को रोक कर आवागमन बाधित किया। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में ट्रक ड्राइवरों द्वारा सड़क पर वाहन खड़े कर टायरों में आग लगाने की भी खबरें आई है।
ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस की ओर से हिट एंड रन कानून को कड़ा बनाने के खिलाफ आंदोलन था। इसके कहने पर देश के इन 8 राज्यों में चक्का जाम और हड़ताल चल रही थी।
ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस के अध्यक्ष अमृत मदान ने मीडिया से बातचीत में कहा था कि इस प्रस्तावित कानून के पीछे सरकार की नीयत ठीक है लेकिन प्रस्तावित कानून में कई खामियां हैं जिन्हें दूर करने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था में परिवहन क्षेत्र और ट्रक ड्राइवरों का बड़ा योगदान है। देश इस समय वाहन चालकों की कमी से जूंझ रहा है लेकिन सरकार इस ओर ध्यान नहीं दे रही है। अगर इस प्रस्तावित कानून के जरिये सजा को 10 वर्ष कर दिया गया और जुर्माना 7 लाख रहा तो बड़ी संख्या में ट्रक ड्राइवर नौकरी छोड़ने को मजबूर हो जाएंगे।