अस्पताल युद्ध के मैदान में तब्दील, 15,000 से अधिक लोगों की मौत
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने यूएन चार्टर के अनुच्छेद 99 का सहारा लेते हुए, सुरक्षा परिषद से, ग़ाज़ा में मानवीय त्रासदी को रोकने के लिए कार्रवाई करने और इसराइल व फ़लस्तीनी चरमपंथियों के बीच पूर्ण युद्धविराम के लिए पुकारों में एकजुट होने का आह्वान किया है।
एंतोनियो गुटेरेश ने कहा कि आम लोगों के लिए कोई प्रभावी सुरक्षा नहीं है और कोई भी स्थान सुरक्षित नहीं है।
“अस्पताल युद्ध के मैदान में बदल गए हैं”
अनुच्छेद 99 संयुक्त राष्ट्र चार्टर का सबसे शक्तिशाली प्रावधान
यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने, सुरक्षा परिषद को लिखे पत्र में, यूएन चार्टर के अनुच्छेद 99 का सन्दर्भ दिया है, जो अध्याय XV का हिस्सा है. संयुक्त राष्ट्र के इतिहास में, अनुच्छेद 99 का प्रयोग बहुत कम और केवल अति असाधारण मामलों में करते देखा गया है। यह अनुच्छेद केवल नौ बार ही इस्तेमाल किया गया है और दशकों से इस अनुच्छेद का इस्तेमाल नहीं हुआ है।
पत्र में कहा गया है कि यूएन प्रमुख “सुरक्षा परिषद के ध्यान में एक ऐसा मामला लाना चाहते हैं जो उनके विचार में, अन्तरराष्ट्रीय शान्ति व सुरक्षा को जोखिम में डाल सकता है”
बीते कई हफ्तों से संयुक्त राष्ट्र ग़ाज़ा में युद्ध से हो रही मानवीय तबाही के बारे में चेतावनी दे रहा है और इसे रोकने की अपील कर रहा है, लेकिन अब एंटोनियो गुटेरेस ने अपने सबसे शक्तिशाली डिस्ट्रेस सिग्नल (संकट संकेतों) में से एक को लागू किया है ताकि सदस्य देशों का ध्यान इस संकट पर केंद्रित किया जा सके और मानवीय युद्ध विराम लागू हो।
बन्धकों को तुरन्त और बिना शर्त रिहा किया जाए
एंतोनियो गुटेरश ने सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष को लिखे अपने पत्र में कहा है कि कुल मिलाकर आठ सप्ताह से अधिक के युद्ध ने “इसराइल और उसके क़ब्ज़े वाले फ़लस्तीनी क्षेत्र में भयावह मानवीय पीड़ा, विध्वंस और विनाश व सामूहिक आघात पैदा किया है”
इसराइल में किए गए हमले में, हमास के चरमपंथियों द्वारा 1,200 से अधिक लोगों की “क्रूरतापूर्वक हत्या” को रेखांकित किया है, जिनमें 33 बच्चे भी शामिल थे. उस हमले में बन्धक बनाए गए लोगों में से 130 लोग अब भी बन्धक हैं।
यौन हिंसा की घटनाएँ भयावह
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख वोल्कर टर्क ने इसराइल के दक्षिणी इलाक़े में, हमास के आतंकी हमलों के दौरान कथित यौन हिंसा की निन्दा करते हुए, उसकी जाँच का आग्रह किया है। इस बीच फ़लस्तीनी क्षेत्र ग़ाज़ा में मानवीय सहायता एजेंसियों ने कहा कि दक्षिणी इलाक़े में इसराइल की लगातार भीषण बमबारी और उसके कारण, बड़े पैमाने पर लोगों के विस्थापन की वजह से, मानवीय स्थितियाँ बेहद ख़राब हो गई हैं।
वोल्कर टर्क ने, ग़ाज़ा में संकट पर संयुक्त राष्ट्र की स्थिति के सम्बन्ध में दोहरे मानक अपनाए जाने के आरोपों का भी खंडन किया है। उन्होंने ध्यान दिलाया है कि उन्हें दक्षिणी इसराइल में समुदायों पर हमास के हमले के दौरान, यौन हिंसा के आरोपों से अवगत कराया गया था। उन्होंने कहा कि यह “दर्दनाक रूप से स्पष्ट” था कि “नृशंस” हमलों की पूरी तरह से, स्वतंत्र रूप से जाँच होनी चाहिए “क्योंकि यह हम पर पीड़ितों का क़र्ज़ है”।
संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने भी अपने पत्र में यौन हिंसा का ज़िक्र किया, “उन बन्धकों को तुरन्त और बिना शर्त रिहा किया जाए। हमलों के दौरान यौन हिंसा की घटनाएँ भयावह हैं”
15,000 से अधिक लोग मारे गए हैं
यूएन प्रवक्ता स्तेफ़ान दुजैरिक दुजैरिक ने पत्रकारों बताया कि संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ” ग़ाज़ा और इसराइल में, इतने कम समय में, मानव जीवन के इतने बड़े नुक़सान को देखते हुए” यह क़दम उठा रहे हैं।
अपने पत्र में यूएन प्रमुख ने यह भी लिखा है कि इसराइल ने हमास लड़ाकों को निशाना बनाना जारी रखा है, इस सैन्य कार्रवाई में पुरे ग़ाज़ा पट्टी इलाक़े में आम लोगों को गम्भीर ख़तरे में पड़ गए हैं. अभी तक की ख़बरों के अनुसार ग़ाज़ा में, 15,000 से अधिक लोग मारे गए हैं, जिनमें से 40 प्रतिशत से अधिक बच्चे हैं।
11 लाख से अधिक लोग बेघर
लगभग 80 प्रतिशत ग़ाज़ावासी विस्थापित हो गए हैं, 11 लाख से अधिक लोग, संयुक्त राष्ट्र फ़लस्तीन शरणार्थी एजेंसी (UNRWA: United Nations Relief and Works Agency) के आश्रय स्थलों में पनाह लिए हुए हैं। 7 अक्टूबर से अब तक इन हमलों के दौरान UNRWA के भी 130 सहकर्मी मारे जा चुके हैं।
इसराइल के दक्षिणी हिस्से में, हमास के चरमपंथियों द्वारा किए गए आतंकी हमलों और उसके बाद ग़ाज़ा पट्टी में इसराइली सेना द्वारा की जा रही बमबारी और ज़मीनी आक्रमण के बाद से, सुरक्षा परिषद ने, नवम्बर के मध्य में एक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें “तत्काल और विस्तारित मानवीय युदधविराम” लागू किए जाने की मांग की गई थी।
उससे पहले सुरक्षा परिषद में, इस मुद्दे पर, सर्वसम्मति प्राप्त करने के चार असफल प्रयास हो चुके थे।