जालंधर/चंडीगढ़ – आप ने 5 राज्यों के विधान सभा चुनाव -2023 में 205 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन उनके सारे कैंडिडेट हार गए। कई जगह तो हालत इतनी खराब रही कि आम आदमी पार्टी के कैंडिडेट्स से ज्यादा वोट NOTA को मिले। आप के नैशनल पार्टी और सबसे बड़ा विरोधीदल होने का दावा महज एक बयान बनकर रह गया।
दिल्ली के बाद सिर्फ पंजाब में आप सरकार है। इन चुनावी नतीजों पर पंजाब का रिएक्शन भी देखने वाला है। लोग इस बात से खफा थे कि पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान पंजाब का पैसा दूसरे राज्यों के चुनाव प्रचार में लुटा रहे थे। अब सभी सीटों पर आप की हार के बाद यह आलोचना और बढ़ गई है। यह भी माना जा रहा है कि इन नतीजों का प्रभाव पंजाब में आने वाले इलेक्शन पर भी दिखेगा। आप सरकार और भगवंत मान द्वारा चुनाव प्रचार की बयानबाज़ी को अब लोगों ने जुमला कहना शुरू कर दिया है।
आप ने मध्य प्रदेश में 66 सीटों पर चुनाव लड़। यहां उसे मात्र 0.53% वोट मिले, जो नोटा को मिले वोट प्रतिशत से भी कम है। राजस्थान में 85 प्रत्याशियों को मात्र 0.38% वोट मिले और यहां भी नोटा आगे रहा। छत्तीसगढ़ में 54 सीटों पर उसे सिर्फ 0.93% वोट मिले।
द हिन्दू की एक रिपोर्ट में आप के अज्ञात नेता का बयान छपा है। जिसमें वो कह रहे हैं- “देखिए, हम अभी भी एक युवा पार्टी हैं और इसे अन्य राज्यों में फैलने में समय लगेगा। हम कांग्रेस की तरह नहीं हैं, जो 75 साल से चुनाव लड़ रही है और फिर भी हार रही है। हम अन्य राज्यों में बढ़ रहे हैं, लेकिन यह रातोरात नहीं हो सकता।”