प्राण प्रतिष्ठा से पहले केंद्र ने ‘अयोध्या जंक्शन’ स्टेशन का नाम बदलकर ‘अयोध्या धाम जंक्शन’ किया
जालंधर /अयोध्या। अगले महीने राम मंदिर के अभिषेक समारोह के लिए अयोध्या तैयार हो रही है। शहर सज रहा है। लोग मेहमानों को पलकों पर बिठाने को आतुर हैं। गलियां और सड़कें सोहर गा रही हैं। ‘सूर्य स्तंभ’ की थीम वाले 40 खंभे सड़क धर्म पथ पर लगाए जा रहे हैं। ये रात को सूरज की तरह चमकते हैं। यही नहीं राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा से पहले केंद्र सरकार ने ‘अयोध्या जंक्शन’ रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर ‘अयोध्या धाम जंक्शन’ कर दिया है।
सनद रहे राम मंदिर का उद्घाटन 22 जनवरी को किया जाएगा। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और 6,000 से अधिक लोगों के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में भाग लेने की उम्मीद है।
कई नेता बोले, 22 जनवरी को पता चल जाएगा कौन जा रहा है और कौन नहीं
दूसरी ओर बहुत से ऐसे लोग भी हैं जो कह रहे हैं कि वो बीजेपी के इस राज्य प्रायोजित इवेंट में नहीं जायेंगे।
कई ऐसे भी हैं जो बता रहे हैं कि उन्हें नहीं बुलाया गया। नहीं जाने वालों में सीपीएम के महासचिव सीताराम येचुरी, टीएमसी प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी शामिल हैं।
एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने कहा कि उन्हें राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के लिए आमंत्रित नहीं किया गया है। पवार ने कहा- मुझे नहीं पता कि बीजेपी इस मुद्दे का इस्तेमाल राजनीतिक या व्यावसायिक उद्देश्य के लिए कर रही है। खुशी है कि मंदिर बन रहा है है।
समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार हालाँकि पवार ने कहा है, मुझे राम मंदिर के उद्घाटन में आमंत्रित नहीं किया गया है। बीजेपी राम मंदिर के नाम पर राजनीति कर रही है। सत्तारूढ़ दल के पास लोगों का समर्थन हासिल करने के लिए कोई ठोस कार्यक्रम नहीं है, इसलिए ऐसा लगता है कि वे एक माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
एनसीपी के अलायंस दल शिवसेना (यूबीटी) का भी कहना है कि उन्हें भी राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा आयोजन में नहीं बुलाया गया है।
भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत का कहना है कि उन्हें जानबूझकर नहीं बुलाया गया। टिकैत ने कहा कि दुर्भाग्य से, उन्होंने मुझे निमंत्रण कार्ड नहीं दिया है। वे उन लोगों को आमंत्रित कर रहे हैं जिनके नामों को केंद्र सरकार ने मंजूरी दे दी है।
क्या धर्म को राजनीति ही समझा जाये?
इस पूरे कार्यक्रम को लेकर बहुत कुछ कहा -सुना जा रहा है। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने 22 जनवरी 2024 को देश के लिए, 15 अगस्त 1947 जितना ही महत्वपूर्ण है, कहकर बड़ी चर्चा छेड़ दी है कि क्या धर्म को राजनीति ही समझा जाये? क्योंकि भाजपा पर धर्म का राजनीतिक इस्तेमाल करने का आरोप लग रहा है। राय पिछले तीन दशक से संघ परिवार के राम मंदिर चैप्टर के प्रभारी रहे हैं।
पीएम मोदी 22 जनवरी को राम मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के मुख्य यजमान होंगे और अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी के 121 पुजारियों के मंत्रोच्चार के बीच पहली आरती करेंगे।
किन- किन लोगों को न्यौता दिया गया है, इस पर भी बातें हो रही हैं। आरएसएस की ओर से कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे और सोनिया गांधी को 22 जनवरी का निमंत्रण भेजा गया है। कांग्रेस पसोपेश में है कि जाएगी या नहीं। कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने मीडिया से कहा है कि 22 जनवरी को पता चल जाएगा कि कौन जा रहा है और कौन नहीं। कांग्रेस ने भी आरोप लगाया है कि भाजपा इस कार्यक्रम का राजनीतिक इस्तेमाल कर रही है।
सीपीएम के महासचिव सीताराम येचुरी ने अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन में शामिल होने का निमंत्रण ठुकरा दिया है। पार्टी ने पूरी मजबूती से कहा कि धर्म एक व्यक्तिगत पसंद है।
धर्म राजनीतिक लाभ के लिए नहीं : येचुरी
येचुरी ने कहा- हमारी नीति धार्मिक मान्यताओं और हर शख्स के अपने विश्वास को आगे बढ़ाने के अधिकार का सम्मान करना है। धर्म एक व्यक्तिगत पसंद है जिसे राजनीतिक लाभ के साधन में नहीं बदला जाना चाहिए। पार्टी की ओर से कहा गया है कि कॉमरेड सीताराम येचुरी निमंत्रण मिलने के बावजूद समारोह में शामिल नहीं होंगे।
State Sponsored Event बना दिया
सीपीएम ने कहा- यह सबसे दुर्भाग्यपूर्ण है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने एक धार्मिक समारोह को राज्य प्रायोजित (state sponsored) कार्यक्रम में बदल दिया है जिसमें सीधे प्रधानमंत्री, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और अन्य सरकारी अधिकारी शामिल हैं। सीपीएम ने सुप्रीम कोर्ट और संविधान का हवाला देते हुए कहा- भारत में शासन का एक बुनियादी सिद्धांत, जैसा कि सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया है, यह है कि संविधान के तहत भारत में राज्य का कोई धार्मिक जुड़ाव नहीं होना चाहिए। अयोध्या में कार्यक्रम के आयोजन में सत्तारूढ़ शासन द्वारा इसका उल्लंघन किया जा रहा है।
भाजपा, आरएसएस और जुड़े संगठनों ने 22 जनवरी के कार्यक्रम को लेकर योजनाबद्ध तरीके से निमंत्रण भेजने के नाम पर जनता का अभी से पूरा फोकस इस पर करा दिया है। इस समय भाजपा के सामने सिर्फ 22 जनवरी का कार्यक्रम है। लेकिन 22 जनवरी को भव्य बनाने के लिए भाजपा कई कार्यक्रम कर रही है। सरकार भी अपने तरीके से जुटी है।
30 दिसंबर को पीएम मोदी अयोध्या में एयरपोर्ट का उद्घाटन करने जा रहे हैं, वे वहां एक रोड शो भी कर सकते हैं। बहाने से 22 जनवरी की तैयारियों पर नज़र मार लेंगे।
टीएमसी समारोह में कोई प्रतिनिधि भी नहीं भेजेगी
टीएमसी प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन में शामिल नहीं होने का फैसला किया है। सूत्रों के मुताबिक, उनकी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के भी समारोह में कोई प्रतिनिधि भेजने की संभावना नहीं है।
हालांकि टीएमसी ने आधिकारिक तौर पर अपने फैसले की घोषणा नहीं की है, लेकिन बनर्जी के करीबी पार्टी सूत्रों ने माना कि पार्टी सत्तारूढ़ भाजपा के राजनीतिक नेरेटिव में शामिल होने को लेकर सावधान है। उनका मानना है कि भाजपा अपने 2024 के लोकसभा अभियान के लिए राम मंदिर उद्घाटन को एक स्प्रिंगबोर्ड के रूप में उपयोग करना चाह रही है, और टीएमसी दूसरी भूमिका निभाने के लिए तैयार नहीं है।
यह घटनाक्रम राम मंदिर ट्रस्ट द्वारा समारोह के लिए सभी मुख्यमंत्रियों और प्रमुख विपक्षी हस्तियों को निमंत्रण देने की पृष्ठभूमि में आया है। टीएमसी सांसद और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी लंबे समय से कहते रहे हैं कि भाजपा और आरएसएस अपने चुनावी फायदे के लिए राम मंदिर और अयोध्या को भुना रहे हैं।
मुस्लिम मतदाता नाराज नहीं करेंगी बनर्जी
टीएमसी ने अयोध्या न जाने का फैसला पूरी तरह से अपने वोट आधार और पार्टी की धर्मनिरपेक्ष छवि के हिसाब से लिया है। पश्चिम बंगाल में मुस्लिम मतदाता लंबे समय से ममता बनर्जी की टीएमसी को वोट दे रहे हैं। यहां पर एआईएमआईएम प्रमुख असद्दुदीन ओवैसी ने बहुत कोशिश की लेकिन मुस्लिमों ने उनकी दाल नहीं गलने दी। ममता बनर्जी भी मुस्लिम संगठनों के कार्यक्रमों में खुलकर शामिल होती हैं। इसी रणनीति के तहत टीएमसी ने अयोध्या इवेंट से किनारा किया है। इधर, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह बार-बार सीएए-एनआरसी का मुद्दा उठा रहे हैं। इसको लेकर बंगाल के मुस्लिम चौकन्ने हैं।
आमंत्रितों की सूची
सूत्रों के अनुसार, राजनीति और बॉलीवुड के अलावा प्राण प्रतिष्ठा में कई विपक्षी दिग्गजों को भी आमंत्रित किया गया है। कई टीमें इस काम में लगी हुई हैं।
ट्रस्ट द्वारा अनुमोदित एक समिति ने कांग्रेस नेता सोनिया गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे, पूर्व प्रधानमंत्रियों मनमोहन सिंह और एच.डी. से आने के लिए मुलाकात की है।
आरएसएस के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, हम आधिकारिक तौर पर कुछ मेहमानों के नाम का खुलासा कर रहे हैं, जबकि राजनीतिक कारणों से कुछ अन्य का जिक्र नहीं कर रहे हैं।
विहिप के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष आलोक कुमार, पूर्व नौकरशाह और मंदिर निर्माण समिति के प्रमुख नृपेंद्र मिश्रा और आरएसएस नेता राम लाल ने कई राजनेताओं से व्यक्तिगत रूप से मुलाकात की है और उन्हें कार्यक्रम में आमंत्रित किया है।
बसपा प्रमुख मायावती समेत सभी राजनीतिक दलों के प्रमुखों को आमंत्रित किया गया है।
स्टार बुलाये Wholesale में
एक टीम ने चेन्नई में फिल्म स्टार रजनीकांत से मुलाकात की और उन्हें आमंत्रित किया। अभिनेता अमिताभ बच्चन, माधुरी दीक्षित, अरुण गोविल और नीतीश भारद्वाज और फिल्म निर्देशक मधुर भंडारकर को आमंत्रित किया गया है। टाटा समूह के नटराजन चंद्रशेखरन, अंबानी (मुकेश और अनिल) और गौतम अडानी को निमंत्रण दिया गया है।
सभी संप्रदायों के लगभग 4,000 साधु और भारत के सभी महत्वपूर्ण मंदिरों के प्रमुख समारोह में बुलाये गए हैं। कई मीडिया घरानों के मालिक, लेखक, कवि, चित्रकार और खिलाड़ी भी आमंत्रित किये गये हैं।
कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह ने संकेत दिया कि वे पार्टी के प्रतिनिधि मंदिर उद्घाटन में शामिल होंगे।
आमंत्रण देने वाली टीमों ने बताया कि बुजुर्गों और बीमार लोगों से अनुरोध किया गया है कि वे उस तारीख पर यहां आने से बचें क्योंकि यह तीन घंटे का कार्यक्रम होगा और उन्हें एक किलोमीटर पैदल चलना पड़ सकता है।