NGT : कमिश्नर ये भी बताएं-कितना समय लगेगा, अब तक क्या किया
NGT : मॉडल टाउन में कचरे के ढेर को लेकर चिंता
जालंधर /नई दिल्ली।: नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने जालंधर नगर निगम के कमिश्नर को हलफनामे के माध्यम से अपना जवाब दाखिल करने को कहा है। इस हलफनामे में उन्हें इस बात की जानकारी देनी है कि वो हर दिन पैदा होने वाले कचरे का पूरी तरह निपटान कैसे करेंगे।
साथ ही ट्रिब्यूनल ने कमिश्नर से सालों से जमा कचरे के तय समय सीमा के भीतर निपटान के लिए कार्य योजना का भी खुलासा करने को कहा है। 27 अगस्त, 2024 को दिए आदेश में उनसे कहा है कि कार्ययोजना में यह शामिल करना होगा कि उन्होंने इस मामले में अब तक क्या किया है और वे इस काम के लिए धन कैसे जुटाएंगे।
NGT : तेजस्वी मिन्हास की कचरे को लेकर शिकायतें दूर की जायें
नगर निगम को यह भी सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है कि आवेदक तेजस्वी मिन्हास की कचरे के ढेर को लेकर जो शिकायतें हैं उन्हें दूर किया जाए। गौरतलब है कि तेजस्वी मिन्हास ने जालंधर के मॉडल टाउन में कचरे के ढेर को लेकर चिंता जताई थी।
20 अगस्त, 2024 को दाखिल की गई रिपोर्ट में पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीपीसीबी) ने पुष्टि की है कि मॉडल टाउन साइट पर बिना छांटे कचरे को डंप किया जा रहा है। नगर निगम ने कूड़ेदान या कॉम्पैक्टर उपलब्ध नहीं कराए हैं। मॉडल टाउन साइट के अलावा, शहर के कई अन्य स्थानों पर भी खुलेआम कचरा डाला जा रहा है।
रिपोर्ट में आगे जानकारी दी गई है कि पीपीसीबी ने नगर निगम जालंधर पर सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स, 2016 का उल्लंघन करने के लिए साढ़े चार करोड़ रुपए का मुआवजा (ईसी) भरने को कहा है।
जालंधर नगर निगम ने NGT को जानकारी दी है कि जालंधर में हर दिन 500 टन ठोस कचरा पैदा होता है, लेकिन उसमें से केवल 120 टन का ही उपचार हो रहा है। ऐसे में हर दिन 380 टन बिना उपचार के बच जाता है, जो पुराने कचरे के मौजूदा ढेर में योगदान दे रहा है। ट्रिब्यूनल को यह भी जानकारी दी गई है कि इस पुराने कचरे को हरियाणा में डंप साइट पर भेजा जा रहा है।
NGT : करीब 970 करोड़ का हर्जाना
मालूम रहे इससे पहले भी नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने पंजाब की अफसरशाही को लापरवाही के घेरे में खड़ा कर दिया है और अभी पंजाब के कई अफसरों पर कार्रवाई की तलवार लटक रही है। NGT ने हाल ही में पंजाब राज्य पर 1026 करोड़ रुपए का पर्यावरण हर्जाना लगाया है और यह राशि 30 दिन के भीतर जमा करवाने को कहा है। इसमें से कूड़े की मैनेजमैंट न करने को लेकर करीब 970 करोड़ का हर्जाना लगाया गया है।
खास बात यह है कि इस 970 करोड़ के हर्जाने के लिए पंजाब के सभी शहर जिम्मेदार हैं पर सबसे ज्यादा नालायकी और लापरवाही जालंधर नगर निगम की सामने आई है जिसके कारण 970 में से 270 करोड़ का हर्जाना लगा है। NGT का मानना है कि इस समय पूरे पंजाब में जहां 53.87 लाख मीट्रिक टन कूड़ा पड़ा हुआ है, वहां अकेले जालंधर में पड़े कूड़े की मात्रा 15 लाख टन है।
नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एन.जी.टी.) ने पंजाब की अफसरशाही को कटघरे के खड़ा कर दिया है और अभी पंजाब के कई अफसरों पर कार्रवाई की तलवार लटक रही है। एन.जी.टी. ने हाल ही में पंजाब राज्य पर 1026 करोड़ रुपए का पर्यावरण हर्जाना लगाया है और यह राशि 30 दिन के भीतर जमा करवाने को कहा है। इसमें से कूड़े की मैनेजमैंट न करने को लेकर करीब 970 करोड़ का हर्जाना लगाया गया है।
सबसे ज्यादा नालायकी जालंधर नगर निगम की
खास बात यह है कि इस 970 करोड़ के हर्जाने के लिए पंजाब के सभी शहर जिम्मेदार हैं पर सबसे ज्यादा नालायकी और लापरवाही जालंधर नगर निगम की सामने आई है जिसके कारण 970 में से 270 करोड़ का हर्जाना लगा है। एन.जी.टी का मानना है कि इस समय पूरे पंजाब में जहां 53.87 लाख मीट्रिक टन कूड़ा पड़ा हुआ है, वहां अकेले जालंधर में पड़े कूड़े की मात्रा 15 लाख टन है।
जालंधर निगम कई सालों से शहर के कूड़े को एक स्थान से उठाकर दूसरे स्थान पर फेंक रहा है जिसपर हर महीने करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं। इस निगम में सैनीटेशन ब्रांच के पास अपनी असंख्य गाडियां हैं, फिर भी कूड़े की लिफ्टिंग हेतु नगर निगम प्राइवेट ठेकेदारों की सेवाएं भी लेता है। पिछले लंबे समय से इस काम पर भी करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं इसके बावजूद शहर की सैनीटेशन व्यवस्था सुधरने का नाम नहीं ले रही।
स्मार्ट सिटी और स्वच्छ भारत के अरबों रुपए खर्च, कूड़ा वहीँ
लोगों का कहना है, स्मार्ट सिटी मिशन के तहत आए अरबों रुपयों को 10 साल में खर्च कर देने के बाद आज जालंधर की हालत देखें तो ऐसे लग रहा है कि स्मार्ट सिटी हेतु आया सारा पैसा गलियों, नालियों, स्ट्रीट लाइटों, पार्कों और सीवरेज से संबंधित कामों पर ही खर्च कर दिया गया जबकि यह सारे काम निगम खजाने से होने चाहिए थे।
नगर निगम ने स्मार्ट सिटी मिशन के तहत करोड़ों अरबों रुपए खर्च करके कई प्रोजैक्ट शुरू किए परंतु सभी फेल साबित हुए। आज शहर का कूड़ा सबसे बड़ी समस्या है पर स्मार्ट सिटी ने वेस्ट मैनेजमैंट की दिशा में कुछ नहीं किया। शहर से हर रोज़ निकलते कूड़े को खाद इत्यादि में बदलने का कोई प्रोजैक्ट नहीं चलाया गया। सालों हो गए पर वरियाणा में बायो माईनिंग प्लांट भी नहीं लग पाया। करोड़ों की सफाई वाली गाड़ियां लीं पर वो साफ़ सड़क ही साफ़ करती रहती हैं। जब भी देख लो ये गाड़ियां सर्किट हाउस या फिर गुरु मिशन चौक पर मिलेंगी।