राजस्थान में बीजेपी जीत गई है। उसने 199 सीटों वाले विधानसभा में से 115 सीट फ़तेह कर बहुमत हासिल कर लिया है।
कांग्रेस को 69 सीटों से संतोष करना पड़ा। कांग्रेस के मौजूदा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने हार मानते हए राज्यपाल को अपना इस्तीफ़ा सौंप दिया है।
भाजपा ने किसी को भी सीएम चेहरा नहीं बनाया था तो अब सवाल है कि मुख्यमंत्री कौन बनेगा। घरों में, ऑफिस में और चाय के खोखों पर लोग कई नामों पर चर्चा कर रहे हैं। बाबा बालकनाथ, दीया कुमारी, वसुंधरा राज सिंधिया, अर्जुन मेघवाल, गजेंद्र सिंह शेखावत और अश्विनी वैष्णव कई ऐसे नाम हैं जिनपर जनता स्टाइल में शर्तें लग रही हैं। किसके सर सजता है ताज, ये समय के गर्भ में है।
वसुंधरा राज सिंधिया

वह दो बार सीएम रहने के अनुभव और और उनके प्रभाव वाले 50 से ज़्यादा नेताओं के जीतने समर्थन का लाभ ले सकती हैं। वसुंधरा के कई समर्थक निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर लड़े जिनमें आठ जीत भी गये। निर्दलीय उमीदवार खड़े करना उनके खिलाफ जा सकता है।
दीया कुमारी

अगर पसंद की बात होगी तो राजसमंद की सांसद दीया कुमारी यह बाजी मार लेंगी। वो जयपुर राजपरिवार से हैं और पढ़ी लिखी हैं। मां पद्मिनी देवी और पिता भवानी सिंह होटल कारोबारी थे।
वे जयपुर में रहती हैं। आमेर के जयगढ़ क़िले, महाराजा सवाई मानसिंह द्वितीय म्यूज़ियम ट्रस्ट और कई स्कूलों का कामकाज देखती हैं।
बाबा बालकनाथ

आलाकमान उन्हें राजस्थान की सीएम की कुर्सी दे सकता है। कारण कई हैं :
महंत हैं। सारा समय राजनीति को दे सकते हैं।
किसी वाद- विवाद से नाता नहीं है।
अलवर से जीत चुके हैं।
वसुंधरा उनको मानती हैं तो विरोध कहीं से आएगा नहीं।
गजेंद्र सिंह शेखावत

हॉट सीट जोधपुर पर सीएम अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत को हराने वाले शेखावत केंद्र में मंत्री हैं। वसुंधरा से उनकी पटती नहीं। अगर सभी नाम एक बार इग्नोर कर दिए जाएँ तो उनकी मेहनत और पार्टी के लिए लगे रहना काम आ सकता है।
अश्विनी वैष्णव

पीएम मोदी और अमित शाह का फैसले लेने का अपना अंदाज़ है। हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर, यूपी में योगी आदित्यनाथ,असम में हिमंत बिस्व सरमा या उत्तराखंड में पुष्कर धामी के सीएम बनने से पहले किसी को पता नहीं था कि वे बाजी जीत रहे हैं। हो सकता है राजस्थान में भी ऐसा ही कुछ हो जाये। अश्विनी वैष्णव का नाम सीएम के तौर पर सामने आ जाए।
अर्जुन मेघवाल

पूर्व आईएएस और केंद्रीय क़ानून और न्याय मंत्री अर्जुन मेघवाल बीकानेर से सांसद हैं। दलित हैं। इस समुदाय में उनकी अच्छी पैठ है। प्रशासनिक अनुभव है। ज़मीन से जुड़े नेता हैं। प्रदेश में बीआर आंबेडकर की तरह बड़े पद पर पहुंचने वाले अपनी बिरादरी के अकेले नेता हैं।